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मणिपुर चुनाव में अफस्पा मुख्य मुद्दा

मणिपुर चुनाव में अफस्पा मुख्य मुद्दा

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
पूर्वोत्तर भारत के संवेदनशील राज्य मणिपुर में इस बार विधानसभा चुनाव में आम्र्ड फोर्सेस पावर एक्ट (अफस्पा) मुख्य मुद्दा बन गया है। कोरनाड संगमा ने भी इस कानून को निरस्त करने पर जोर दिया है। भाजपा शासित राज्य को एन. वीरेन सिंह दुबारा भगवा रंग में कैसे रंगेंगे, यह देखने की बात होगी। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) राज्य में भाजपा की प्रमुख सहयोगी दल है। उसी पार्टी ने 2017 में अपने विधायकों के जरिए 60 सदस्यीय सदन में भाजपा को बहुमत दिलाया था। वीरेन सिंह भी कहते हैं कि अफस्पा पूर्वोत्तर में चिंता का विषय है लेकिन केन्द्र सरकार पर वे दबाव भी नहीं डाल पा रहे हैं। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार भी इसे हटा नहीं सकी थी। पिछली बार कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन सरकार नहीं बना पायी। इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों को कड़े मुकाबले कई सीटों पर करने पड़ सकते हैं। कुछ प्रमुख सीटों के बारे में हम यहां बात कर रहे हैं।

तदुबी विधानसभा सीट मणिपुर के सेनापति जिला के अंतर्गत आती है। यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। तदुबी सीट पर दूसरे चरण में 3 मार्च को चुनाव होगा। इस सीट पर 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर फ्रांसिस न्गाजोकपा विधायक निर्वाचित हुए थे। 2002 के विधानसभा चुनाव में भी फ्रांसिस ने बाजी मारी थी। 2017 में वे भारतीय जनता पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनावी अखाड़े में उतरे, मगर नेशनल पीपुल्स पार्टी उम्मीदवार एन. कायिसी ने उन्हें परास्त कर दिया। साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार फ्रांसिस न्गाजोकपा ने नागा पीपुल्स फ्रंट प्रत्याशी के। रैना को 6,055 मतों से हराया। इस चुनाव में फ्रांसिस को कुल 18,006 वोट मिले थे, जबकि नागा पीपुल्स फ्रंट को 11,951 वोट मिले थे। 2012 के चुनाव में तदुबी सीट पर कांग्रेस ने 55.43 फीसदी मतों के साथ जीत हासिल की थीन, वहीं एनपीएफ को 36.79 फीसद वोट मिले थे। साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में नेशनल पीपुल्स पार्टी के एन. कायिसी ने बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे फ्रांसिस न्गाजोकपा को कुल 11,299 वोटों से हराया था। इस चुनाव में एनपीपी के उम्मीदवार एन. कायिसी को कुल 17,115 वोट प्राप्त हुए थे, जबकि एन. फ्रांसिस न्गाजोकपा को कुल 15,816 वोट मिले थे। 2017 के चुनाव में तदुबी विधानसभा सीट पर एनपीपी ने 42.22 फीसद मत से जीत हासिल की थी। वहीं, बीजेपी को 39.02 फीसदी मत से ही संतोष करना पड़ा।

तदुबी सीट, बाहरी मणिपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। इस संसदीय क्षेत्र से नागा पीपुल्स फ्रंट के सांसद हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के एच. शोखोपाओ माते बेंजामिन को 73,782 वोट से हराया था। तदुबी विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 48,540 है।

इसी प्रकार दूसरी चर्चित सिंघाट विधानसभा सीट है। मणिपुर के चुराचांदपुर जिला के अंतर्गत आती है। यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है। सिंघाट सीटपर पहले चरण में 27 फरवरी 2022 को वोटिंग होगी। इस सीट का सियासी समीकरण बेहद दिलचस्प है। 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर जिनसुआनहौ विधायक निर्वाचित हुए थे। 2020 में उन्होंने कांग्रेस और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। लिहाजा इसी साल सिंघाट सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें बीजेपी की टिकट पर जिनसुआनहौ निर्विरोध चुने गए। 2022 के चुनाव में भी वे इसी सीट से बीजेपी के उम्मीदवार हैं। साल 2012 के चुनाव में जिनसुआनहौ कांग्रेस के टिकट पर सिंघाट सीट से विधायक चुने गए थे। इस चुनाव में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के टी. हांगखानपाउ को 10,690 वोट से हराया, जिनसुआनहौ को कुल 12,875 वोट मिले थे, जबकि टीएमसी के उम्मीदवार को महज 2,185 मत ही प्राप्त हुए थे। 2012 के चुनाव में सिंघाट सीट पर कांग्रेस को 83.7 फीसद और टीएमसी को 14.2 फीसद वोट मिले थे, जबकि सीपीआई 1.78 फीसदी मत पाकर तीसरे स्थान पर थी। साल 2017 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जिनसुआनहौ ने बीजेपी के उम्मीदवार चिनलुंथांग को 1,162 वोट से हराया था। इस चुनाव में जिनसुआनहौ को कुल 8,131 वोट मिले थे, जबकि भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को 6,969 वोट प्राप्त हुए थे। 2017 के चुनाव में सिंघाट सीट पर कांग्रेस को 44.62 फीसद और टीएमसी को 38.24 फीसद वोट मिले थे, जबकि नेशनल पीपुल्स पार्टी 17.14 फीसदी मत ही मिल सके थे।

सिंघाट सीट, बाहरी मणिपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। इस संसदीय क्षेत्र से नागा पीपुल्स फ्रंट के सांसद हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के एच. शोखोपाओ माते बेंजामिन को 73,782 वोट से हराया था। सिंघाट विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 27,089 है।

साइकोत विधानसभा सीट मणिपुर के चुराचांदपुर जिला के अंतर्गत आती है। यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है। साइकोत सीट पर पहले चरण में 27 फरवरी को चुनाव होगा। अगर बात करें इस क्षेत्र के सियासी समीकरण की तो पिछले दो दशकों से कांग्रेस के टी.एन. हाओकिप चुनाव जीतते आ रहे हैं। टी.एन. हाओकिप 4 बार कांग्रेस और एक-एक बार मणिपुर स्टेट कांग्रेस पार्टी और कुकी नेशनल असेंबली के टिकट से विधानसभा के लिए चुने जा चुके हैं। साल 2017 के चुनाव में बीजेपी पहली बार इस सीट पर दूसरे स्थान पर थी। साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टी.एन. हाओकिप ने एक तरफा मुकाबले में तृणमूल कांग्रेस के लुंखोलाल को कुल 8,157 वोट से हराया था। टी। एन। हाओकिप को इस चुनाव में कुल 13,684 वोट मिले थे, जबकि टीएमसी उम्मीदवार को 5,527 मत प्राप्त हुए थे। 2012 के चुनाव में साइकोत सीट पर कांग्रेस को 45.6 फीसद और टीएमसी को 18.42 फीसद वोट मिले थे, जबकि बीजेपी 16.34 फीसदी मत पाकर तीसरे स्थान पर थी। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार टी.एन. हाओकिप ने साइकोट सीट पर छठी बार जीत दर्ज की। इस चुनाव में उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार पी. हाओकिप को 5,101 वोट से मात दी। टी.एन. हाओकिप को कुल 16,354 वोट मिले, जबकि बीजेपी उम्मीदवार को कुल 11,253 मत प्राप्त हुए। 2017 के चुनाव में साइकोत सीट पर कांग्रेस को 48.52 फीसद और बीजेपी को

33.39 फीसद वोट मिले थे। 2022 के चुनाव में साइकोत सीट पर फिर से दोनों एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। साइकोत सीट, बाहरी मणिपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इस संसदीय क्षेत्र से नागा पीपुल्स फ्रंट के सांसद हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के एच। शोखोपाओ माते बेंजामिन को 73,782 वोट से हराया था। साइकोत विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 53,193 है।

चुराचांदपुर विधानसभा क्षेत्र, मणिपुर के चुराचांदपुर जिला के अंतर्गत आता है। यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है। यहां पहले चरण में 27 फरवरी को मतदान होगा। चुराचांदपुर सीट पर 2002 के चुनाव से लेकर 2012 तक कांग्रेस का दबदबा रहा। लगातार तीन बार कांग्रेस के दिग्गज नेता टी. फुंगजाथांग इस सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे। साल 2017 के चुनाव में भाजपा के सियासी चाल के आगे कांग्रेस पस्त हो गई। बीजेपी के वी. हांगखालियन चुराचांदपुर सीट से विधायक बने थे। वीं. हांगखालियान इस सीट से चार बार विधायक बन चुके हैं। (हिफी)
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