महाशिवरात्रि पर भगवान शंकर का विशेष आशीर्वाद कैसे प्राप्त करें?

महाशिवरात्रि पर भगवान शंकर का विशेष आशीर्वाद कैसे प्राप्त करें?

हर हर महादेव

लेखक: रवि शेखर सिन्हा उर्फ आचार्य मनमोहन ,ज्योतिष मार्तंड एवं जन्म कुंडली विशेषज्ञ।

मैं आप सबको और आप सबके हृदय में विराजमान ईश्वर को प्रणाम करता हूं और धन्यवाद करता हूं।

महाशिवरात्रि के पावन शुभ अवसर पर मैं सभी पाठकों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। भोलेनाथ शिव शंकर और माता जगदंबा पार्वती को प्रणाम करते हुए धन्यवाद करते हुए आइए जानते हैं इस महाशिवरात्रि पर भगवान शिव शंकर को प्रसन्न करके मनोवांछित वरदान कैसे प्राप्त करें।

भगवान शिव को प्रसन्न करने का सर्वश्रेष्ठ विधि है उनका अभिषेक। जिसे हम रुद्राभिषेक के नाम से जानते हैं। यदि आप स्वयं रुद्राभिषेक कर सकते हो, यदि आप लघु रुद्री, रुद्राष्टक का पाठ स्वयं करते हुए अभिषेक कर सकते हो तो सर्वोत्तम। यदि ऐसा नहीं है तो आप किसी ब्राह्मण, पंडित, पुजारी का सहयोग ले सकते हैं और उनसे आप रुद्री का पाठ करवाते हुए रुद्राभिषेक कर सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति के लिए महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक कर पाना संभव नहीं होता क्योंकि उस दिन मंदिरों में श्रद्धालुओं की काफी मात्रा में भीड़ होती है। जहां पर एक घंटा, दो घंटा बैठकर अभिषेक करना थोड़ा मुश्किल काम हो जाता है‌ आइए जानते हैं यदि आप रुद्राभिषेक विधिवत नहीं कर पाते हैं तो महाशिवरात्रि के दिन ऐसा कौन सा उपाय करें, ऐसी कौन सी संक्षिप्त पूजा करें जिससे भगवान शिव शंकर प्रसन्न होकर हमें विशेष आशीर्वाद प्रदान करें।

वैसे तो प्रत्येक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के रूप में जाना जाता है। उस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। किंतु फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि विशेष रूप से भगवान शिव शंकर के पूजा के लिए श्रेष्ठ दिन माना गया है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती विवाह के बंधन में बंधे थे।

फाल्गुन मास की शिवरात्रि के दिन यानी महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने के लिए अथवा श्री महामृत्युंजय का जाप आरंभ करने के लिए अथवा श्री महामृत्युंजय हवन यज्ञ करने के लिए अथवा किसी भी प्रकार के भगवान शिव की विशेष पूजा करने के लिए किसी भी मुहूर्त, नक्षत्र देखने की आवश्यकता नहीं होती। इस दिन भगवान शिव बड़े प्रसन्न मुद्रा में होते हैं और उनका आवाहन कर उनका पूजन करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

फाल्गुन मास 2 नक्षत्रों के मेल से बना है, पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र। यह फाल्गुन मास शिव शक्ति को समर्पित मास कहलाता है और विक्रम संवत हिंदू महीने से यह बारहवां और अंतिम महीना होता है। अपने भाग्य को प्रबल करने के लिए श्री महादेव जी का अभिषेक करने की प्राचीन परंपरा रही है। कहते हैं ब्रह्मा जी के लेख को स्वयं ब्रह्मा जी नहीं मिटा सकते। इस पूरे ब्रह्मांड में ऐसी कोई शक्ति नहीं है जो किसी के भाग्य को बदल दें अथवा किसी के जन्म कुंडली या भाग्य में लिखे के एक अक्षर को भी इधर से उधर पलट दे। एकमात्र भगवान भोलेनाथ शिव शंकर ही हैं जो भाग्य को पलटने की शक्ति रखते हैं। किसी भी व्यक्ति के जो उनकी शरण में सच्चे भाव से जाता है, सच्चे मन से उनकी अराधना पूजा करता है, भगवान शिव उसका भाग्य परिवर्तन, ब्रह्मा के लेख का भी परिवर्तन कर देते हैं।

अलग-अलग वस्तुओं से अलग-अलग वस्तु से भगवान शिव के अभिषेक करने का अलग अलग फल होता है। सामान्य तौर पर भगवान शिव का अभिषेक चांदी अथवा पीतल के पात्र से करना चाहिए। विशेष रुप से दूध, दही, घी, मधु और शक्कर तांबे के पात्र से अर्पित नहीं करना चाहिए।

सर्वप्रथम जलाभिषेक का क्या फल होता है ?

जल से अभिषेक करने पर शांति मिलती है मन प्रसन्न होता है। शरीर स्वस्थ होता है ।

दूध से अभिषेक करने पर किसी भी वाद-विवाद में विजय लाभ मिलता है। जीवन से अशुभता समाप्त होती है।

पंचामृत से अभिषेक करने पर मनोकामना पूर्ण होती है। कई जगह पंचामृत के अलावा पंचगव्य, पंचमहाभूत से अभिषेक करना सर्वोत्तम माना गया है। ध्यान रहे भगवान शिव का यदि पंचामृत से अभिषेक कर रहे हो तो उसमें किसी भी हाल में तुलसी के पत्ते नहीं डालते। भगवान शिव के अभिषेक में पंचामृत में बेलपत्र का प्रयोग करना चाहिए।

जल में सुगंध अथवा इत्र मिलाकर अथवा गुलाब जल मिलाकर अभिषेक करने से धन, वैभव, संपत्ति प्राप्त होती है। ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है । रंग रूप में निखार आता है। व्यापार व्यवसाय में वृद्धि होती है और रोग व्याधि दूर होते हैं।

ध्यान रहे भगवान शिव के ऊपर केवड़ा जल अथवा केवड़ा के इत्र का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

विभिन्न प्रकार के फलों के रस से अभिषेक करने पर दुर्भाग्य समाप्त होता है। पुराने रोग दूर होते हैं। टोना टोटका या किसी प्रकार का काला जादू समाप्त होता है।

जल में तिल मिलाकर अभिषेक करने से दुर्भाग्य समाप्त हो जाता है और परिश्रम का पूरा फल मिलता है‌ किसी भी प्रकार की हानि रुक जाती है। कई प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।

शनि के प्रकोप से शांति मिलती है। यदि किसी भी व्यक्ति की शनि की महादशा, अंतर्दशा अथवा शनि की साढ़ेसाती या शनि की ढैया चल रही हो तो एक मुट्ठी काला तिल सामान्य जल में मिलाकर पीतल के लोटे से अथवा चांदी के लोटे से उसमें थोड़ा दूर्वा और सफेद फूल डालकर उससे भगवान शिव का अभिषेक किया जाए महाशिवरात्रि के दिन तो शनि से उत्पन्न पीड़ा और कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

जल में भांग मिलाकर अभिषेक करने से सभी प्रकार के वाद-विवाद में विजय मिलती है। सभी प्रकार के कार्यों में सफलता मिलती है। विवादों में जीत होती है। पुराने से पुराने असाध्य रोग समाप्त हो जाते हैं। शत्रुओं पर जीत हासिल होती है। शत्रु बाधा समाप्त हो जाती है। किसी भी प्रकार के कोर्ट केस, कोर्ट, कचहरी, पुलिस, केस मुकदमे में विजय मिलती है।

भांग का एक नाम विजया भी है अतः भांग चढ़ाने से विजय प्राप्त होती है।

गाय के घी से अभिषेक करने पर मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है। जमीन जायदाद का लाभ होता है।

शहद से अभिषेक करने पर विजय लाभ मिलता है। सम्मोहन शक्ति प्राप्त होती है। किसी भी प्रकार के आकस्मिक दुर्घटना से बचाव होता है।

जल में मिश्री मिलाकर अथवा बेल के रस से अभिषेक करने पर बुध ग्रह से मिलने वाले अशुभ परिणाम शांत हो जाते हैं। बौद्धिक क्षमता बढ़ती है ।बुद्धि का विकास होता है। शत्रु बाधा शांत होती है और व्यापार में वृद्धि होती है। रोजगार व्यवसाय में विशेष लाभ मिलता है।

सरसों के तेल से रुद्राभिषेक करने पर मुकदमों में जीत हासिल होती है ।यदि काफी दिनों से चल रहा कोई कोर्ट केस हो तो उसमें विजय लाभ मिलता है। शत्रु शांत होते हैं और कई तरह की मुसीबतें समाप्त हो जाती हैं। गन्ने के रस से अभिषेक करने पर धन, वैभव, ऐश्वर्य बढ़ता है। संपन्नता बढ़ती है। मां लक्ष्मी की कृपा होती है। पौरूष शक्ति, काम शक्ति बढ़ती है। जीवन आनंदमय और प्रसन्नता से भर जाता है।

दही से अभिषेक करने पर धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

गुड से अभिषेक करने पर परीक्षा में विशेष सफलता मिलती है। किसी भी तरह की परीक्षा में शानदार सफलता मिलती है।

गुड़ और घी मिलाकर अभिषेक करने से किसी भी तरह के प्रतियोगिता परीक्षा में जीत हासिल होती है।

इस प्रकार अलग-अलग कामनाओं की पूर्ति के लिए, अलग-अलग मनोकामना ओं को प्राप्त करने के लिए अलग-अलग वस्तुओं से भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है। यदि आप रुद्राभिषेक नहीं कर सकते तो इन्हीं वस्तुओं को अपने वांछित कार्य के अनुसार पीतल अथवा चांदी के पात्र में लेकर शिव मंदिर जाएं और ओम नमः शिवाय अथवा महामृत्युंजय मंत्र बोलते हुए भगवान शिव के ऊपर अर्पित कर दें इसे सामान्य तौर पर अभिषेक कहा जाता है।

मां जगदंबा और भगवान भोलेनाथ शिव शंकर सब का कल्याण करें ‌सब की मनोकामना पूरी करें‌ इसी शुभकामना के साथ आप सबको और आप सबके हृदय में विराजमान ईश्वर को मैं प्रणाम करता हूं और धन्यवाद करता हूं ।

नमः शिवाय !! इति शुभमस्तु!!
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