जमुई में समाज सुधार अभियान में शामिल हुए मुख्यमंत्री

जमुई में समाज सुधार अभियान में शामिल हुए मुख्यमंत्री

पटना, 23 फरवरी 2022 को मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार राज्य में पूर्ण नशामुक्ति, दहेज प्रथा उन्मूलन एवं बाल विवाह से मुक्ति हेतु जमुई के श्रीकृष्ण सिंह मेमोरियल स्टेडियम में आयोजित समाज सुधार अभियान में शामिल हुए। इस अवसर पर आयोजित जनसभा को लेकर बने मंच पर आयुक्त मुंगेर प्रमंडल श्री प्रेम सिंह मीणा ने मुख्यमंत्री को पौधा भेंटकर उनका अभिनंदन किया। जिलाधिकारी जमुई श्री अवनीश कुमार सिंह ने स्मृति चिन्ह भेंटकर मुख्यमंत्री का स्वागत किया। जमुई, शेखपुरा एवं लखीसराय के जदयू जिलाध्यक्षों ने फूलों की बड़ी माला पहनाकर मुख्यमंत्री का अभिनंदन किया। सिमुलतला आवासीय विद्यालय की छात्राओं ने मुख्यमंत्री के आगमन पर स्वागत गान प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन द्वारा प्रकाशित ‘समाज सुधार अभियान-जमुई एक परिचय’ पुस्तिका का विमोचन किया। लोकगायिका सुश्री मैथिली ठाकुर ने दहेज प्रथा उन्मूलन एवं समाज सुधार अभियान पर आधारित गीत की प्रस्तुति भी दी। इस मौके पर जीविका दीदियों ने ‘बढ़ते कदम’ गीत का गायन किया।
जनसभा में शामिल होने से पहले मुख्यमंत्री ने गुब्बारा उड़ाकर शराबबंदी, बाल विवाह एवं दहेज प्रथा मुक्त समाज बनाने का संदेश दिया। जीविका (जमुई, शेखपुरा, मुंगेर एवं लखीसराय) द्वारा विभिन्न स्टॉलों पर सतत् जीविकोपार्जन योजना, जीविका प्रोत्साहित जलवायु के अनुकूल खेती, गैर कृषि एवं सूक्ष्म उद्यम आधारित गतिविधियां, दीदी की रसोई, नीरा, समाज सुधार अभियान के पक्ष में किये गए हस्ताक्षरों का संग्रह आदि से संबंधित लगायी गयी प्रदर्शनियों का मुख्यमंत्री ने अवलोकन किया।
मुख्यमंत्री ने सतत् जीविकोपार्जन योजना के अंतर्गत 2,558 हितग्राहियों को 6.73 करोड़ रुपये का डमी चेक, बैंको के माध्यम से 2,886 स्वयं सहायता समूहों को कैश क्रेडिट लिमिट के तहत 49.465 करोड़ रुपये का डमी चेक, जल-जीवन-हरियाली अभियान के माध्यम से 12 नवसृजित जलाशयों के प्रबंधन हेतु 13.45 करोड़ रुपये की राशि का चेक लाभुकों को प्रदान किया। सतत् जीविकोपार्जन योजना की मदद से शराबबंदी के पश्चात् शराब का व्यवसाय छोड़ दूध का कारोबार करने वाले 50 लाभुकों को 33 लाख 50 हजार रुपये की राशि का चेक प्रदान किया गया। अंतरजातीय विवाह करने वाले श्री राहुल कुमार मांझी और श्रीमती बबीता पासवान को मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की तरफ से दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि के तहत एक लाख रुपये का चेक प्रदान किया। मुख्यमंत्री ने लोकगायिका सुश्री मैथिली ठाकुर को अंगवस्त्र, पाग एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर उन्हें सम्मानित किया।
जीविका दीदियों के साथ संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत जीविका समूह की दीदियों ने शराबबंदी, बाल विवाह एवं दहेज प्रथा मुक्त समाज बनाने के प्रति अपनी-अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की। मुख्यमंत्री द्वारा विकास कार्यों के साथ-साथ चलाए जा रहे समाज सुधार अभियान की तारीफ करते हुए श्रीमती बेबी कुमारी, श्रीमती पूनम देवी, श्रीमती गुंजन देवी, श्रीमती रानी देवी, श्रीमती शैला देवी, श्रीमती सुक्रिया देवी, श्रीमती सुनैना कुमारी, श्रीमती सोनी खातून, श्रीमती परवीन खातून एवं दहेज मुक्त आदर्श विवाह करने वाले श्री राहुल कुमार मांझी और श्रीमती बबीता पासवान ने अपनी आप बीती सुनायी तथा अपने कई अनुभवों को भी साझा किया। मुख्यमंत्री ने आदर्श विवाह करने वाले श्री राहुल कुमार मांझी और श्रीमती बबीता पासवान के साथ फोटो सेशन कराया ताकि दहेज जैसी कुप्रथा के खिलाफ लोगों को प्रेरित किया जा सके।
श्रीमती बेबी कुमारी ने बताया कि मेरे माता-पिता कम उम्र में ही मेरी शादी करना चाहते थे, जबकि मैं पढ़ लिखकर कुछ करना चाहती थी। हमने अपने माता-पिता को मेरी शादी करने से मना किया लेकिन वे अपनी जिद पर अड़े रहे। वह समय मेरे लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण था क्योंकि मेरे पापा ने कहा था कि अगर तुम शादी से इनकार करोगी तो मैं खुद को नुकसान पहुंचा लूंगा। उस समय मैं दसवीं कक्षा में पढ़ती थी। मैंने माता-पिता के सामने यह शर्त रखी कि यदि मैं मैट्रिक पास कर जाऊँ तो मेरी शादी की बजाय मुझे आगे पढ़ने की अनुमति दें। उन्होंने मेरे शर्त को मान लिया और मैं मैट्रिक की परीक्षा में सेकेंड डिवीजन से पास हो गई। मैंने अपने माता पिता को यह आष्वस्त किया कि सामाजिक परंपरा और दायरे में रहकर पढ़ाई करुंगी और आपके मान पर धब्बा नहीं लगने दूंगी। इसके बाद मैंने अपनी सहेलियों और आस-पड़ोस की लड़कियों को भी बाल विवाह के दुष्परिणामों के प्रति जागरुक करना शुरू किया ताकि सभी लड़कियां उच्च शिक्षा हासिल कर सशक्त बन सके।
श्रीमती पूनम देवी ने बताया कि घर के बगल में कुछ लोग शराब बनाया करते थे, जहां शराबियों का जुटान होने से हमलोगों को काफी परेशानी होती थी। आये दिन झगड़ा भी हुआ करता था। मेरे पति भी शराब पीकर घर में झगड़ा करते थे। वर्ष 2016 में शराबबंदी की घोषणा से हमें काफी खुशी हुई। शराबबंदी के बाद भी चोरी छिपे कुछ लोग मेरे पड़ोस में शराब बनाकर बेचा करते थे। ग्राम संगठन की महिलाओं और प्रशासन की सहायता से उस पर रोक लगाई गयी। शराबबंदी के बाद अब घर की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। बच्चों की पढ़ाई एवं भोजन पर पैसे खर्च हो रहे हंै। होली के समय एक शराबी, शराब पीकर ड्रामा कर रहा था। हम सब महिलाओं ने उसे पेड़ से बांधकर पुलिस को फोन किया और इसकी सूचना टॉल फ्री नंबर 15545 पर भी दी।
सतत् जीवकोपार्जन योजना की लाभार्थी श्रीमती गुंजन देवी ने बताया कि मेरा परिवार शराब के रोजगार से जुड़ा हुआ था। शराबबंदी के निर्णय से मुझे काफी खुशी हुई लेकिन परिवार की आमदनी बंद होने से मुझे दुख भी हुआ था। बीमार पति के इलाज के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे। ग्राम संगठन की महिलाओं ने मुझसे संपर्क कर अपने साथ जोड़ा। ग्राम संगठन से मुझे आर्थिक मदद उपलब्ध हुई जिससे मैंने अपना व्यवसाय शुरु किया। साग सब्जी की खेती भी करने लगी। हमने अपने बच्चों का बीमा भी करवाया। मैं अपने बच्चों को पुलिस सेवा में भेजना चाहती हूं ताकि वे समाज की सेवा कर सके। अब मुझे किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ता है। शराब के अवैध कारोबार की जानकारी मिलने पर हम महिलाएं बिजली के खंभे पर लिखे टॉल फ्री नंबर 15545 पर सूचना देने का काम करते हैं।
श्रीमती रानी देवी ने बताया कि मेरे पति बीमार रहते थे। हमलोग दारु बनाकर घर का खर्च चलाते थे। शराबबंदी के बाद जब पैसे की तंगी हुई तो दूसरे के घरों में काम करके अपने परिवार का गुजारा किया करती थी। इसी बीच ग्राम संगठन की दीदी ने हमें सतत् जीवकोपार्जन योजना के तहत आर्थिक मदद दिलाई। जिससे हमने किराना दुकान खोला। किराना दुकान में प्रतिदिन 1000 से 1200 तक बिक्री हो जाती है। इसके अलावा बकरी पालन भी करते हैं। दुकान में श्रृंगार का सामान भी रखते हैं। मेरे बच्चे स्कूल में भी पढ़ने जाने लगे हैं। कई दीदियां जो पहले दारु के व्यवसाय से जुड़ी हुई थीं, अब दूध बेचने लगी हैं।
सतत् जीवकोपार्जन योजना की लाभार्थी श्रीमती शैला देवी ने बताया कि उनके पति दोनों हाथ से विकलांग हैं जबकि मैं स्वयं पैर से विकलांग हूं। गोतिया के घरों में झाड़ू पोछा का काम करके खाने का खर्चा निकालती थी लेकिन काम छूटने के बाद भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई। जीविका समूह की एक दीदी ने हमें समूह से जुड़ने की सलाह दी। उसके बाद समूह से जो आर्थिक मदद मिली उससे हमने सिलाई मशीन और बकरी खरीदी। दुकान भी खोला, जिससे हमारी स्थिति में काफी सुधार हुआ है। जीविका से मुझे जीने का सहारा मिला है।
श्रीमती सुक्रिया देवी ने बताया कि परिवार के लोग पहले दारु ताड़ी का काम करते थे लेकिन शराबबंदी के बाद काफी परेशानी हो रही थी। पति का निधन भी हो गया। जीविका दीदी ने हमें जीविका समूह से जोड़ने की बात कही और सतत् जीवकोपार्जन योजना के जरीये हमें आर्थिक मदद दी गई, जिससे हमने किराना दुकान खोला। बकरी पालन भी कर रही हूं। हमारे बच्चे स्कूल में भी पढ़ रहे हैं। बैंक में 60 हजार रुपये भी जमा कर चुकी हूं। मेरी तरह हजारों दीदियां जीविका समूह से जुड़कर खुश हैं।
श्रीमती सुनैना कुमारी ने बताया कि मेरी 14 साल की उम्र में शादी हो चुकी थी क्योंकि मेरे पिता गरीब थे। शादी के बाद मेरे दो बच्चे हुए। शादी के चार साल बाद ही 18 वर्ष की उम्र में मैं विधवा हो गई। ससुराल वालों ने मुझे घर से निकाल दिया। मैं अपने माता-पिता के घर पर रहने लगी। मेरे पिता मजदूरी करते थे इसलिए आर्थिक तंगी के कारण काफी परेशानी होती थी। मुझे जीविका समूह के बारे में जानकारी हुई और मैं उससे जुड़ गयी। जीविका समूह से ऋण लेकर मैंने सिलाई मशीन खरीदी। सतत् जीवकोपार्जन योजना और ग्राम संगठन से भी मुझे आर्थिक मदद मिली, जिससे बकरियां खरीदी। अब बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ने लगे हैं। मैं अपने माता-पिता को भी आर्थिक मदद करती हूं। बैंक खाते में भी पैसे जमा करती हूं। मैं चाहती हूं कि कोई भी महिला कम उम्र में अपनी बेटी की शादी नहीं करे। बेटी को पढायें और सही उम्र में शादी करें।
श्रीमती सोनी खातून ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय होने से एक दिन मजबूर होकर मैं अपने बच्चे को स्टेशन पर जाकर छोड़ आयी लेकिन मन नहीं माना तो फिर बच्चे को जाकर वापस लाई। जीविका दीदी को जब इसके बारे में पता चला तो उन्होंने जीविका समूह से हमें जुड़ने की बात कही। मैंने कहा कि मैं पढ़ी लिखी नहीं हूं तो रोजगार कैसे करुंगी। तब जीविका दीदी ने हमें समझाया कि समूह की तरफ से आर्थिक मदद दी जायेगी। मुझे आर्थिक मदद मिली उससे हमने किराना दुकान खोली। मेरा राशन कार्ड भी बन गया। धीरे-धीरे मेरी स्थिति बेहतर हो रही है। बच्चे स्कूल भी जा रहे हैं।
श्रीमती परवीन खातून ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वह दूसरे के घरों में दाई का काम करती थी। पति जब बीमार हुए तो चंदा इकट्ठा करके इलाज कराया। अब जीविका समूह से जुड़ने के बाद सब्जी बेचने का काम कर रही हूॅ। अपना घर भी बना लिया है। गाय भी खरीदी है और अब अपने बच्चों को ठीक ढंग से पढ़ा भी रही हूॅ। गाय पालन होने से परिवार के लोगों को दूध भी मिलने लगा है। पहले बैंक का मुॅह तक नहीं देखा था लेकिन जीविका समूह से जुड़ने के बाद मैं स्वयं बैंक में पैसा जमा करने लगी हूं। आज हमारे पास आधार एवं राशन कार्ड भी है।
अंतरजातीय विवाह करने वाली श्रीमती बबीता पासवान ने बताया कि घर वालों की मर्जी के खिलाफ हमने शादी की है। मुख्यमंत्री के दहेज मुक्त अभियान को सफल बनाने के लिए लोगों को जागरुक भी कर रही हूं। श्रीमती बबीता देवी के पति श्री राहुल कुमार मांझी ने बताया कि दहेज मुक्त एवं अंतरजातीय विवाह करने से मेरे माता पिता नाराज थे लेकिन पत्नी की कार्यकुशलता देखकर परिवार के लोग काफी खुश हुए और उनकी नाराजगी भी दूर हो गई। मुख्यमंत्री के दहेज प्रथा उन्मूलन को सफल बनाने के लिए हम दोनों पति-पत्नी लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के इस कार्यक्रम में शामिल होकर मुझे बेहद खुशी हो रही है। विधायिका सुश्री श्रेयसी सिंह को मैं विशेष तौर पर बधाई देता हूं कि इन्होंने दो-दो मेडल जीते हंै। यहां पर जीविका समूह से जुडी 9 दीदियों ने अपने अनुभव साझा किये। आदर्श और अंतरजातीय शादी करने वाली श्रीमती बबीता देवी एवं श्री राहुल कुमार मांझी ने भी आप बीती सुनाई है। इन लोगों ने अंतरजातीय विवाह किया है, मुझे यह जानकार बड़ी खुशी हुई है। लड़की पासवान जाति से है जबकि लड़का मांझी समाज से है। हमने बुलाकर उन्हें बधाई भी दी है। समाज सुधार का यह जो अभियान चल रहा है, यह अंतरजातीय विवाह उसी का एक हिस्सा है। यह एक तरह से आदर्श विवाह है। राज्य सरकार की तरफ से अंतरजातीय विवाह करने वालों को एक लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। हमने कहा है कि यह प्रोत्साहन राशि आज ही यहीं दे दी जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिसंबर 2021 से ही हमने समाज सुधार अभियान की शुरुआत की थी। इसको लगातार आगे बढ़ाने वाले थे लेकिन इसी साल जनवरी माह में कोरोना का तीसरा दौर आ गया। हमें भी ओमिक्रॉन हो गया। हम पूरी तरह आइसोलेट रहे। देश दुनिया की तुलना में बिहार में इसका कम प्रभाव रहा। कोरोना के बढ़ते प्रक्रोप को देखते हुए 6 जनवरी के बाद इस कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया। कोरोना पीड़ित लोगों के इलाज का पुख्ता प्रबंध किया गया। लोगों को सचेत एवं जागरुक करने के लिए गाइडलाइन भी जारी किये गये। अब कोरोना संक्रमण का प्रभाव काफी तेजी से नीचे जा रहा है। यह देखकर मुझे खुशी हो रही है। अब जमुई जिले में कोरोना संक्रमित सिर्फ एक व्यक्ति है। लखीसराय जिले में 3, शेखपुरा में 6 और मुंगेर में सिर्फ 4 व्यक्ति ही कोरोना से संक्रमित हैं। आप सब सचेत और सजग रहिए तभी यह धीरे-धीरे पूरी तरह से खत्म होगा। दुनिया के कई देशों में वर्ष 2019 में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आये थे जिसे कोविड-19 नाम दिया गया। हमको पूरा भरोसा है कि यह अब खत्म हो जायेगा। हम प्रतिदिन पूरे बिहार और बिहार के बाहर की स्थिति की जानकारी भी लेते रहते हैं। बिहार पहला राज्य है जहां कोरोना संक्रमण से मृतक के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की सहायता राशि देने की शुरुआत की गई। कोरोना काल में बिहार के बाहर जो लोग फंसे थे, उनको बिहार लाने का प्रबंध किया गया। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा ट्रेनें भी चलाई गयीं। राज्य सरकार की तरफ से विभिन्न राज्यों में बिहार के फंसे लोगों के भोजन का इंतजाम भी किया गया। कोरोना संक्रमण चीन से शुरु हुआ था, अब इससे निजात मिलेगी। कोरोना संक्रमण से विकसित देश भी काफी प्रभावित हुए। विकसित देशों की तुलना में भारत पर इसका प्रभाव कम रहा। आबादी में बिहार देश में तीसरे स्थान पर है, जबकि कोरोना के मामले में यह 25वें स्थान पर रहा। हम चाहते हैं कि समाज सुधार का यह अभियान निरंतर चलता रहे। वर्ष 2016 में शराबबंदी लागू करने के बाद हम सभी प्रमण्डलों में 9 जगहों पर गये थे। शराबबंदी से लोगों को काफी फायदा हुआ है। शराब की बिक्री से सरकार को काफी राजस्व मिलता था लेकिन हमने उसकी परवाह नहीं की। जननायक कर्पूरी ठाकुर जी ने भी शराबबंदी लागू की थी लेकिन उसे दो साल बाद ही खत्म कर दिया गया, जिसेे देखते हुए मेरे मन में आशंका रहती थी कि हम शराबबंदी लागू कर पायेंगे या नहीं। 9 जुलाई 2015 को पटना में जीविका के एक कार्यक्रम में महिलाओं ने शराबबंदी को लेकर आवाज उठाना शुरु कर दिया था। उसके बाद मैं वापस माइक पर आया और कहा कि अगर आपलोगों ने फिर से सेवा का मौका दिया तो बिहार में शराबबंदी लागू करेंगे। बिहार की जनता ने पुनः हमलोगों को काम करने का मौका दिया और हमने 20 नवंबर को शपथ ली। शपथ लेने के बाद 26 नवंबर को ही मीटिंग बुलाकर शराबबंदी को लेकर अभियान चलाने का निर्णय लिया। वर्ष 2011 से ही 26 नवंबर को हमलोग मद्य निषेध दिवस के रुप में मनाते हैं। शराब पीना बुरी चीज है। इसे लोगों के बीच प्रचारित एवं प्रसारित करवाते थे। 26 नवंबर 2015 को मद्य निषेध दिवस कार्यक्रम में शराबबंदी के पक्ष में बड़े पैमाने पर अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। 30 मार्च 2016 को कानून बनाया गया और 1 अप्रैल 2016 से बिहार में शराबबंदी लागू की गई। पहले 1 अप्रैल 2016 को ग्रामीण इलाके में देशी और विदेशी शराब पर हमलोगों ने रोक लगायी, जबकि शहरी इलाकों, नगर निगम और नगर परिषद में तब विदेशी शराब बंद नहीं करने का निर्णय लिया गया था। हमने सोचा गांव में इतना अभियान चलाए हैं और शहर में नहीं चलाए हैं तो बाद में इसको हम देखेंगे लेकिन शहरों में महिलाएं, युवक-युवतियों, कई जगहों पर पुरुषों ने भी शराब की आवंटित दुकानों के खोले जाने पर कड़ा विरोध जताया। इसके बाद हमने कैबिनेट की मीटिंग बुलाई और 5 अप्रैल 2016 को राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी। उसके बाद शराबबंदी को लेकर व्यापक पैमाने पर अभियान चलाया गया। एक जगह पर एक महिला ने अपनी आप बीती सुनाते हुए कहा कि मेरे पति काम से लौटते थे तो दारू पीकर आते थे, मारपीट करते थे, हंगामा करते थे। परिवार में सभी को बुरा लगता था, देखने में खराब लगते थे। अब जब शराबबंदी हो गई तो बाजार से सब्जी लेकर आते हैं और घर में आते हैं तो मुस्कुराते हैं और घर के काम में भी सहयोग करते हैं। वे अब देखने में अच्छे लगते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चंद लोग गड़बड़ मानसिकता के होते हैं। यह प्रकृति की ही देन है कि सभी लोग सही नहीं हो सकते हैं। 10 प्रतिशत से कम लोग गड़बड़ी करने वाले होते हैं। चंद बड़े बड़े लिखने वाले लोग हैं वे खुद को काबिल समझते हैं और शराबबंदी को लेकर अनाप शनाप लिखते रहते हैं। ऐसे लोग मेरी आलोचना करते हैं और मुझसे नाराज रहते हैं। यहां आप सबों के बीच जो बुकलेट वितरित किया गया है, उसमें बापू की कही बातों और विष्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा शराब सेवन के दुष्परिणामों पर जारी रिपोर्ट का उल्लेख किया गया है। इसे अपने घरों में सुरक्षित रखियेगा, खुद भी पढ़ियेगा और लोगों को भी पढाइयेगा। बापू ने कहा था कि शराब आदमी से न सिर्फ उसका पैसा छीन लेता है बल्कि उसकी बुद्धि भी हर लेता है। शराब पीने वाला इंसान हैवान हो जाता है। बापू ने कहा था कि यदि एक घंटा के लिए हम तानाशाह बन जायें तो शराब को बंद करा देंगे। संविधान में भी सभी राज्यों को यह अधिकार दिया गया है कि अगर वो चाहे तो अपने-अपने राज्यों में शराबबंदी लागू कर सकता है। वर्ष 2018 में हमने सर्वे कराया था जिसमें यह पता चला कि करीब 1 करोड़ 64 लाख लोगों ने अब शराब पीना छोड़ दिया है। इस बार फिर से इसको लेकर सर्वे किया जा रहा है। शराब पीने के पक्षधर लोग कहते हैं कि नहीं पीयेंगे तो तबीयत खराब हो जायेगी। यह बिल्कुल गलत बात है। दारु पीने से तबीयत ठीक नहीं बल्कि खराब होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज सुधार का अभियान आप निरंतर चलाते रहें। विष्व स्वास्थ्य संगठन ने पूरी दुनिया का वर्ष 2016 में सर्वेक्षण कराया और 2018 में ही रिपोर्ट को प्रकाशित किया। उस रिपोर्ट में बताया गया है कि शराब पीने से दुनिया में एक साल में 30 लाख लोगों की मृत्यु होती है यानि दुनिया में जितनी मृत्यु हुई है उसका 5.3 प्रतिशत मौत शराब पीने से हुयी है। 20 से 39 आयु वर्ग के लोगों में 13.5 प्रतिशत मृत्यु शराब पीने के कारण होती है। शराब के सेवन से 200 प्रकार की बीमारियां होती हैं, जबकि 18 प्रतिशत लोग शराब पीने की वजह से आत्महत्या कर लेते हैं। डायबिटीज, लिवर सिरोसिस जैसी अनेक बीमारी शराब पीने से होती है। शराब पीने के कारण 18 प्रतिशत आपसी झगड़े होते हैं। शराब पीने के कारण दुनिया भर में 27 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। दुनिया भर में कोरोना संक्रमण जैसी गंभीर बीमारी से भी उतनी मौतें नहीं हुई है जितनी एक साल में दारु पीने से होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहरीली शराब की घटना जब सामने आयी तब कुछ लोग शराबबंदी को असफल बताने लगे। इस पर तरह-तरह के सवाल उठाने लगे। तब हमने कहा कि शराब पीना बुरी चीज है, पीओगे तो मरोगे। कुछ लोग जहरीली शराब पिला देगा तो मर जाओगे। दूसरे कई राज्यों में शराबबंदी नहीं है, वहां भी जहरीली शराब पीने से यहां से अधिक मौतें हुआ करती हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ भी हमने वर्ष 2017 में अभियान की शुरुआत की थी। शराबबंदी के बाद बिहार में सड़क दुर्घटनाओं में काफी कमी आयी है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कही गयी बातों और विष्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर अमल कीजिए और दूसरे को भी बताइये। एक एक आदमी को सचेत करना है। हमलोग विकास के साथ-साथ समाज सुधार का भी काम कर रहे हैं। 24 नवंबर 2005 को हमने पहली बार मुख्यमंत्री के रुप में शपथ ग्रहण किया था। उस समय बिहार की क्या हालत थी। शाम होने के बाद लोग अपने घरों से निकलने की हिम्मत नहीं कर पाते थे। अब सभी लोग आनंद से रहते हैं। सड़कों की हालत काफी दयनीय थी। हमलोग गांवों को पक्की सड़कों से जोड़ने और उसे ठीक रखने की दिशा में काम कर रहे हैं। वर्ष 2005 के पहले गरीब गुरबों, समाज के कमजोर तबकों एवं महिलाओं के बारे में किसी को कोई चिंता नहीं थी। पांचवी क्लास के बाद परिवार की गरीबी एवं पोशाक के अभाव में लड़कियां आगे की पढ़ाई नहीं कर पाती थीं। उस समय गरीबी के कारण 12.5 प्रतिशत बच्चे स्कूलों से बाहर थे। हमलोगों ने अनेक स्कूलों का निर्माण कराया। 9वीं क्लास मंे पढ़ने वाली लड़कियों के लिए साइकिल योजना की शुरुआत की। इस पर कुछ लोगों ने तंज कसना शुरु किया कि साइकिल से स्कूल जाती लड़कियों को लोग रास्ते में तंग करेंगे। हमने कहा कि कोई तंग नहीं करेगा। इससे लड़कियां काफी खुश हैं, इसे भूलियेगा मत। बिहार की साइकिल योजना को तीन देशों के लोग देखने आये थे। वर्ष 2009-10 एवं 2011 में रिपोर्ट भी प्रकाशित कराया था। बाद में लड़कों की मांग पर उनको भी साइकिल योजना का लाभ दिया गया। एक साल पहले मैट्रिक की परीक्षा में लड़कियों की संख्या लड़कों से 300 अधिक थी। वर्ष 1994-95 में ग्राम पंचायत और नगर निकायों में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार ने कानून बना दिया लेकिन यह बिहार में लागू नहीं हुआ। बिहार पहला राज्य है जिसने ग्राम पंचायत और नगर निकाय के चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत का आरक्षण दिया। इस बार आरक्षण के साथ चुनाव का यह चैथा टर्म है। इसी साल नगर निकाय का भी चुनाव होना है। वर्ष 2006 में हमने स्वयं सहायता समूह के द्वारा किये जा रहे कार्यों को देखा। जिसका हमने जीविका नाम दिया। भ्रम में मत रहियेगा। 10 लाख स्वयं सहायता समूह बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। वल्र्ड बैंक से कर्ज लेकर इस काम आगे बढ़ाया गया। अब 10 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह का गठन हो चुका है। आज 1 करोड़ 28 लाख परिवारों की महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हैं। इससे महिलाओं की स्थिति काफी बेहतर हुई है। वर्ष 2013 में पुलिस बल में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐलान किया गया। वर्ष 2016 से सभी सरकारी सेवाओं में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। बिहार पुलिस में महिलाओं की संख्या 25 हजार 128 है। पुलिस सेवा में महिलाओं की इतनी बड़ी संख्या देश के किसी दूसरे राज्य में नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों ने हाशिये पर खड़े लोगों के उत्थान के लिए विशेष पहल की। सभी धर्म समुदाय के विकास के लिए हमलोगों ने काम किया। सात निश्चय योजना के तहत हर घर नल का जल, हर घर शौचालय निर्माण, हर घर पक्की गली-नाली का निर्माण आदि कराया गया। अब इन सबके मेंटेनेंस का कार्य भी किया जायेगा। पूरे बिहार में अभी कितने सड़कों की और जरुरत है, इसको लेकर सर्वेक्षण करा रहे हैं। न्याय के साथ विकास एवं लोगों की सेवा करना ही हमारा धर्म है। लड़कियों की कम उम्र में शादी से कई प्रकार की परेशानियां होती हैं इसलिए गांव-गांव तक समाज सुधार अभियान को निरंतर चलाइये। केंद्र सरकार ने भी बेटियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने हेतु कानून बनाने की शुरुआत की है। बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के खिलाफ पहले से ही कानून बने हुये हंै बावजूद इसके आज भी यह कुप्रथा समाज में व्याप्त है। दहेज के कारण हत्या, आत्महत्या, प्रताड़ना आदि की घटनाएं आये दिन घटित हुआ करती हैं। हमने यह तय किया है कि शादी के निमंत्रण कार्ड में दहेज मुक्त शादी की बात लिखी होगी, उसी शादी समारोह में शामिल होंगे। इसके प्रति आपकी भी प्रतिबद्धता होनी चाहिए, तभी यह कुप्रथा खत्म होगी। समाज सुधार अभियान के इस कार्यक्रम को हम और चार जगहों पर करेंगे लेकिन आप इसे निरंतर जारी रखियेगा। अंतरजातीय शादी को भी बढ़ावा दीजिए। बिहार में जब हम जीविका समूह बनाये तो उस समय केंद्र सरकार के लोग इसे आकर देखा और देश भर में इसका नाम आजीविका समूह कर दिया। आप अपना काम अच्छे ढंग से कीजिए। सतत् जीवकोपार्जन योजना के तहत मदद दी जा रही है। नीरा स्वास्थ्यवर्द्धक एवं स्वादिष्ट पेय पदार्थ है। सूर्याेदय से पहले जो ताड़ी निकलती है उसी से नीरा बनता है। नीरा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इससे जुड़े लोगों को राज्य सरकार की तरफ से 1 लाख रुपये तक की सहायता देने का निर्णय लिया गया है। समाज सुधार अभियान को निरंतर चलाने के लिए आप सभी ने हाथ उठाकर संकल्प लिया है। इसके लिए मैं आप सभी को धन्यवाद देता हूं। आप सभी के सहयोग से समाज विकसित होगा, बिहार आगे बढ़ेगा और देश की सेवा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देगा। आपस में प्रेम और भाईचारे का भाव रखते हुए समाज को एकजुट रखें, मिल-जुलकर आगे बढ़ें।
कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री सह मुंगेर जिले के प्रभारी मंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद, शिक्षा मंत्री सह शेखपुरा जिले के प्रभारी मंत्री श्री विजय कुमार चैधरी, भवन निर्माण मंत्री सह जमुई जिले के प्रभारी मंत्री श्री अशोक चैधरी, मंत्री मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन श्री सुनील कुमार, परिवहन मंत्री सह लखीसराय जिले की प्रभारी मंत्री श्रीमती शीला कुमारी, मंत्री विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी श्री सुमित कुमार सिंह, मुख्य सचिव श्री आमिर सुबहानी, पुलिस महानिदेशक श्री एस0के0 सिंघल, अपर मुख्य सचिव गृह श्री चैतन्य प्रसाद, मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री के०के० पाठक ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर विधायक श्री दामोदर रावत, विधायक सुश्री श्रेयसी सिंह, विधायक श्री सुदर्शन कुमार, विधायक श्री प्रफुल्ल कुमार मांझी, विधायक श्री राजीव कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार, शिक्षा सचिव श्री असंगबा चुबा आओ, आयुक्त भागलपुर श्री प्रेम सिंह मीणा, जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्री बाला मुरुगन डी०, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह, पुलिस उप महानिरीक्षक, मुंगेर श्री संजय कुमार, जिलाधिकारी जमुई श्री अवनीश कुमार सिंह, शेखपुरा जिलाधिकारी श्रीमती इनायत खान, लखीसराय जिलाधिकारी श्री संजय कुमार सिंह, मुंगेर जिलाधिकारी श्री नवीन कुमार, पुलिस अधीक्षक जमुई श्री शौर्य सुमन, पुलिस अधीक्षक शेखपुरा श्री कार्तिकेय के0 शर्मा, पुलिस अधीक्षक लखीसराय श्री सुशील कुमार, पुलिस अधीक्षक मुंगेर श्री जगुनाथ जलारेड्डी सहित अन्य वरीय पदाधिकारी, जीविका दीदियां एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
कार्यक्रम के पष्चात् राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से संबंधित पत्रकारों के प्रष्न का जवाब देते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। मुझे आष्चर्य है कि ऐसी बात कैसे उठी। हमारे मन में ऐसी कोई आकांक्षा नहीं है। इन सबसे मेरा कोई लेना देना नहीं है। कहीं कोई बात नहीं हुई है। न हमको ऐसी बातों में रूचि है और न ही मेरा समर्थन है। हम अपना काम कर रहे हैं। समाज सुधार, विकास, समाज में प्रेम, भाईचारे का भाव हो, सब मिलकर चलें, हमारी दिलचस्पी इसी में है। हम शुरु से काम कर रहे है।

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