सिद्धू के खिलाफ उठी आवाज

सिद्धू के खिलाफ उठी आवाज

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
पंजाब में जिस काम को कांगे्रस हाईकमान करती, वही काम वहां के चार मंत्रियों ने कर दिखाया। कांगे्रस हाईकमान को कम से कम अब तो सबक सीखना चाहिए। लगभग दो महीने के अंदर ही वहां विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं। कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रान के तेजी से प्रसार ने यह सवाल तो खड़ा किया है कि क्या ऐसे में विधानसभा चुनाव कराना उचित होगा? यही सवाल उत्तर प्रदेश में भी मुख्य चुनाव आयुक्त के सामने उठाया गया था। उन्होंने यूपी के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से बात करके यही पाया कि कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए विधानसभा चुनाव कराए जाएं। इसलिए पंजाब में भी विधानसभा के चुनाव होंगे। चुनाव से लगभग तीन महीने पहले नवजोत सिंह सिद्धू ने जिस तरह से बवाल काटा, उससे कांग्रेस काफी कमजोर हो गयी है। सिद्धू को प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष बनाया गया है और इसी से नाराज होकर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री की कुर्सी ही नहीं छोड़ी बल्कि नयी पार्टी भी बना ली है। अमरिंदर की नयी पार्टी भाजपा के साथ गठबंधन करके विधानसभा चुनाव लड़ रही है। इस गठबंधन के साथ पूर्व में सत्तारूढ़ रही शिरोमणि अकाली दल भी जुड़ जाएगी, ऐसी प्रबल संभावना है। राज्य में दूसरी पार्टियों की तरह कांग्रेस भी चुनाव की तैयारी में जुटी है। चुनाव के लिए गठित कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य एवं पंजाब सरकार के चार मंत्री उपमुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह रंधावा के नेतृत्व में पिछले दिनों नई दिल्ली में पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणु गोपाल से मिले और सिद्धू पर लगाम लगाने का अनुरोध किया।

पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बड़बोलेपन से उनकी ही पार्टी के मंत्री नाराज हैं। एक तरफ जहां कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी हैं वहीं चुनाव के लिए गठित कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के लिए दिल्ली पहुंचे पंजाब के चार मंत्रियों ने कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ मोर्चा खोला दिया है। बैठक से पहले पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा समेत कई नेताओं ने पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात कर सिद्धू पर लगाम लगाने का अनुरोध किया है।

उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के नेतृत्व में पंजाब कैबिनेट के चार मंत्रियों ने दिल्ली में एआईसीसी महासचिव के सी वेणुगोपाल से कहा है कि यदि सिद्धू की सरकार और मंत्रियों के खिलाफ की जा रही बयानबाजी पर लगाम नहीं लगाई गई तो इसका खमियाजा विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। सिद्धू के खिलाफ शिकायत करने वालों में रंधावा के अलावा अन्य मंत्री परगट सिंह, भारत भूषण आशु और अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग शामिल थे। ये सभी एक समय सिद्धू के सहयोगी थे। इन मंत्रियों ने सिद्धू के बड़बोलेपन की जमकर आलोचना की। मंत्रियों ने कहा कि परगट, राजा वारिंग और डॉ अमर सिंह ने हाल ही में उनसे मुलाकात की थी लेकिन उनकी मुलाकात का सिद्धू पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इस बीच रंधावा और आशु उन मंत्रियों में शामिल हैं, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से सिद्धू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसके अलावा एक अन्य कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने भी सिद्धू पर निशाना साधा है। शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए के सी वेणुगोपाल ने कहा है कि वे इस मामले को राहुल गांधी के समक्ष उठाएंगे। उन्होंने पार्टी के नेताओं से चुनाव में एकजुट रहने की भी अपील की है। दरअसल, ये सभी मंत्री आगामी विधानसभा चुनाव के लिए गठित स्क्रीनिंग कमेटी की पहली बैठक में शामिल होने आए थे। यह बैठक दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज रोड स्थित कांग्रेस के वार रूम में महासचिव अजय माकन की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में सीटों पर संभावित उम्मीदवारों को लेकर चर्चा की गई। सूत्रों के मुताबिक इन नेताओं ने चुनाव में पार्टी की रणनीति और प्रदेश में संगठन की स्थिति को लेकर चर्चा की। हालांकि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी इस बैठक में मौजूद नहीं थे। बताया जा रहा है कि वे पहले से तय आधिकारिक कार्यक्रमों के चलते स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में हिस्सा नहीं ले सके। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक जल्द ही उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की जा सकती है।

इस प्रकार पंजाब कांग्रेस के नेताओं बीच चल रहा झगड़ा एक बार फिर से खुलकर सामने आ गया है। पंजाब के डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा ने दावा किया है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू उनसे नाराज चल रहे हैं। इसके साथ ही सुखजिंदर सिंह रंधावा ने गृह मंत्रालय छोड़ने की पेशकश भी की है।

सुखजिंदर सिंह की ओर से नवजोत सिंह सिद्धू के साथ चल रहे मतभेदों पर पहली बार चुप्पी तोड़ी गई। सुखजिंदर रंधावा ने कहा, जब से मैं पंजाब का गृह मंत्री बना हूं तब से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू मुझ से नाराज चल रहे हैं। अगर नवजोत सिद्धू गृह मंत्रालय चाहते हैं तो मैं उनके लिए यह मंत्रालय छोड़ने को तैयार हूं। मैं एक मिनट में गृह मंत्रालय उनके पैरों में रख सकता हूं। इससे पहले नवजोत सिंह सिद्धू लगातार सुखजिंदर सिंह रंधावा के फैसलों पर सवाल खड़े करते रहे हैं। नवजोत सिंह सिद्धू चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार पर बिक्रम मजीठिया को गिरफ्तार नहीं कर पाने की वजह से हमला बोल रहे हैं। एक तरह से सिद्धू सुखजिंदर सिंह रंधावा पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं क्योंकि गृह मंत्रालय उन्हीं के पास है। इससे पहले चरणजीत सिंह चन्नी की ओर से भी सिद्धू के साथ सुलह ही पेशकश की गई है। चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा है कि वह नवजोत सिंह सिद्धू के साथ काम करने के लिए तैयार हैं और उसके लिए कोई भी त्याग कर सकते हैं। पहले चन्नी और अब सुखविंदर रंघावा के बयान को सिद्धू की ओर से लगातार हाईकमान पर बनाए जा रहे दबाव से जोड़कर देखा जा सकता है। नवजोत सिंह सिद्धू चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी उनके नाम पर विधानसभा चुनाव में हिस्सा ले। कांग्रेस की पंजाब यूनिट के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कई बड़े वादे किए हैं। नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि कांग्रेस की दोबारा सरकार बनने पर पंजाब की घर संभालने वाली महिलाओं को 2 हजार महीना और साल में आठ सिलेंडर दिए जाएंगे। इससे पहले आम आदमी पार्टी की ओर से पंजाब की हर महिला को प्रति महीना एक हजार रुपये देने का वादा किया गया था। आम आदमी पार्टी के वादे को काउंटर करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने यह बड़ा दांव खेला है। नवजोत सिद्धू बरनाला में रैली को संबोधित करने पहुंचे थे। नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा, हमारी सरकार दोबारा बनने पर 2000 हजार हर महीने पंजाब की घर संभालने वाली महिलाओं को देगी। इसके साथ ही साल में आठ सिलेंडर भी दिए जाएंगे। नवजोत सिंह सिद्धू ने पढ़ाई करने वाली लड़कियों के लिए अलग वादे किए हैं। सिद्धू ने कहा कि पांचवीं से लेकर 10वीं तक पढ़ाई कर रही लड़कियों को 5000 रुपये देंगे। 10 पास बच्चियों को 15000 दिए जाएंगे। 12वीं पास लड़कियों को 20000 रुपये दिए जाएंगे। कॉलेज की दाखिला पर्ची दिखाने पर लड़कियों को स्कूटी मिलेगी। विदेश जाने वाली बच्ची को 1 टैबलेट देंगे। लड़कियों के नाम मिलकियत जमीन फ्री रजिस्ट्र्ड होगी। इससे पहले आम आदमी पार्टी की ओर से पंजाब की महिला वोटर्स को लुभाने के लिए बड़ा चुनावी दांव खेला गया था। नवजोत सिंह सिद्धू और कांग्रेस पार्टी की ओर से आप की इस घोषणा पर सवाल खड़े किए गए थे। (हिफी)
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