प्राकृतिक कृषि व पशुपालन को प्रोत्साहन

प्राकृतिक कृषि व पशुपालन को प्रोत्साहन

(डॉ. दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
भारत में प्राचीनकाल से कृषि व पशुपालन परस्पर पूरक रहे है। यह भारत की समृद्ध अर्थव्यवस्था के आधार थे। जैविक अथवा प्राकृतिक कृषि से लागत कम आती थी। इसके अनुरूप लाभ अधिक होता था। ऐसे कृषि उत्पाद स्वास्थ्य के लिए भी लाभ दायक थे। जमीन की उपजाऊ क्षमता भी बनी रहती थी। कुछ दशक पहले केमिकल खाद का प्रचलन शुरू हुआ। उत्पादन बढ़ा लेकिन इससे अनेक समस्याएं भी पैदा हुई। मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा। जमीन की उपजाऊ क्षमता कम होने लगी। कृषि की लागत बढ़ने लगी। पशुपालन की ओर भी पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। अब यह समस्याएं जन जीवन को प्रभावित करने लगी है। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद इस ओर ध्यान दिया। इस क्षेत्र में बड़े बदलाव की आवश्यकता थी। कृषि क्षेत्र में परिवर्तन अपेक्षित थे लेकिन यह कार्य केवल सरकार के स्तर पर संभव नहीं था। किसानों का भी जागरूक होना आवश्यक था। नरेंद्र मोदी सरकार ने यूरिया की कालाबाजारी रोकी। नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन शुरू किया गया। सरकार ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह किया। इसी के साथ प्राकृतिक कृषि को प्रोत्साहित करने का अभियान भी शुरू किया गया। बड़ी संख्या में किसान अब प्राकृतिक कृषि के प्रति आकर्षित हो रहे है। मोदी सरकार किसानों की आय दो गुनी करने की दिशा में कार्य कर रही है। इसमें जैविक कृषि भी उपयोगी साबित हो रही है। विगत सात वर्षों के दौरान किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में अनेक कदम उठाए गए है।

प्राकृतिक कृषि से देश के अस्सी प्रतिशत किसानों को सर्वाधिक लाभ होगा। इनमें दो हेक्टेयर से कम भूमि वाले छोटे किसान हैं। केमिकल फर्टिलाइजर से इन किसानों की कृषि लागत बहुत बढ़ जाती है। प्राकृतिक खेती से इनकी आय बढ़ेगी। केमिकल के बिना भी बेहतर फसल प्राप्त की जा सकती है। पहले केमिकल नहीं होते थे, लेकिन फसल अच्छी होती थी। विगत सात वर्षों में बढ़िया बीज कृषि उत्पाद हेतु बाजार के प्रबंध किए गए। मृदा परीक्षण,किसान सम्मान निधि, डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य, सिंचाई के सशक्त नेटवर्क, किसान रेल जैसे अनेक कदम उठाए गए है। प्रधानमंत्री ने प्राचीन भारतीय पारम्परिक और प्राकृतिक खेती को पुनर्जीवित करने का एक बहुत बड़ा अभियान शुरू किया है। कुछ दिन पहले नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से प्राकृतिक खेती राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को सम्बोधित किया था। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने सरकारी आवास से वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए थे। यह सम्मेलन आणंद गुजरात में आयोजित किया गया था। इसके बाद किसान दिवस पर लखनऊ व काशी में किसान हित के कार्यक्रम आयोजित हुए। लखनऊ के कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ शामिल हुए जबकि काशी के कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ दोनों सहभागी थे। इन सभी कार्यक्रमों में किसानों के कल्याण संबन्धी अभियान को आगे बढ़ाया गया। प्राकृतिक कृषि पर बल दिया गया। वर्चुअल सम्मेलन में आठ करोड़ से अधिक किसान तकनीकी माध्यम से जुड़े थे। इसमें नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्राकृतिक खेती को जनआंदोलन बनाने की आवश्यकता है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस अमृत महोत्सव वर्ष में हर पंचायत का कम से कम एक गांव प्राकृतिक खेती से जोड़ना होगा। गाय, भैंस का मजाक उड़ाने वाले भूल जाते हैं कि देश के आठ करोड़ परिवारों की आजीविका पशुधन से चलती है। इनकी मेहनत से भारत हर साल लगभग साढ़े आठ लाख करोड़ रुपये का दूध उत्पादन करता है। यह धनराशि भारत में गेहूं और धान की कीमत से अधिक है। इसलिए डेयरी सेक्टर को मजबूत करना हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। इसी कड़ी में बनास काशी संकुल संयंत्र का शिलान्यास किया गया है। बनास डेयरी से जुड़े लाखों किसानों के खाते में करोड़ों रुपये ट्रांसफर किये गये हैं। वाराणसी दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के रामनगर डेयरी प्लाण्ट को चलाने के लिए बायो गैस आधारित ऊर्जा संयंत्र का शिलान्यास किया गया है। दूध की शुद्धता के प्रमाणन के लिए एकीकृत व्यवस्था और लोगो जारी हुआ। लगभग बीस लाख परिवारों को घर के कानूनी दस्तावेज की कॉपी सौंपी गयी। नरेंद्र मोदी ने कहा कि डेयरी सेक्टर हमारे यहां रोजगार का बड़ा माध्यम रहा है। इस सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए हमारी सरकार ने कामधेनु आयोग का गठन किया। डेयरी सेक्टर के इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए विशेष फण्ड बनाया गया। पशुपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड से जोड़ा गया।

पशुधन, बायो गैस, जैविक खेती, प्राकृतिक खेती का आधार बन सकता है। सहकारिता क्षेत्र की बड़ी इकाई बनास और पूर्वांचल के किसानों की सहभागिता से वाराणसी सहित इस क्षेत्र के किसानों को लाभ होगा। इससे आस पास के गांवों में दुग्ध समितियां, कलेक्शन सेन्टर बनेंगे। दूध की गुणवत्ता प्रमाणिकता को लेकर उलझन रही है। प्रमाणिकता के लिए अलग। अलग व्यवस्था के कारण पशुपालकों, दुग्ध संघों को कठिनाइयां होती रहीं। इसके समाधान के लिए भारतीय मानक ब्यूरों ने देश भर के लिए मानक जारी किया है। कामधेनु का लोगो भी जारी किया गया है। यह लोगो दूध व दुग्ध उत्पादों की गुणवत्ता व विश्वसनीयता की पहचान होगा। बायो गैस द्वारा बिजली बनाने के इस संयंत्र से ऊर्जा जरूरते पूरी होंगी। उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में तेईस लाख से अधिक घरौनी तैयार हुई हैं। इनमें से इक्कीस लाख परिवारों को यह दस्तावेज दिये गये। लखनऊ में भी किसान दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इसमें योगी आदित्यनाथ कहा कि स्वॉयल हेल्थ कार्ड, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, खेती सिंचाई में विविधीकरण करने के साथ तकनीक का उपयोग से किसानों की लाभ मिल रहा है। देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करीब पांच दशक पहले हुई थी लेकिन ईमानदारी के साथ किसान को इसके साथ जोड़ने का कार्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया है। उनकी सरकार ने लागत के डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागू करने का कार्य किया। वर्तमान प्रदेश सरकार ने सत्ता में आने के तुरन्त बाद छियासी लाख किसानों के छत्तीस हजार करोड़ रुपये के फसली ऋण को माफ करके उन्हें राहत देने का कार्य किया। विगत साढ़े चार वर्ष के दौरान वर्तमान सरकार ने प्रदेश में अनेक लम्बित सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने का कार्य किया गया जिससे बाइस लाख हेक्टेयर से अधिक अतिरिक्त सिंचन क्षमता भी सृजित हुई है। वर्तमान प्रदेश सरकार ने करीब दो सौ उन्नीस लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की। एमएसपी का लाभ डीबीटी के माध्यम से सीधे किसानों के खातों में देने का कार्य किया गया है। वर्तमान प्रदेश सरकार ने किसानों को आलू का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य देकर लाभान्वित किया है। (हिफी)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ