केशव मौर्य का मथुरा कार्ड

केशव मौर्य का मथुरा कार्ड

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
उत्तर प्रदेश मंे विधानसभा के चुनाव इस बार अनुमानों से परे नजर आ रहे हैं। जाति-धर्म के समीकरण रोज नए रूप ले रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार की उपलब्धियां अपनी जगह हैं लेकिन चुनाव जीतने के समीकरण उन पर भारी पड़ रहे हैं। इसीलिए जिताऊ लोगों को पार्टी में शामिल करते समय उनकी जन्म कुंडली नहीं देखी जाती। नये-नये मुद्दे गढ़े जा रहे हैं। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने राजनीतिक गलियारे मंे एक नयी बहस छेड़ दी है। उन्हांेने ट्वीट किया ‘अयोध्या, काशी मंे मंदिर निर्माण जारी है, अब मथुरा की तैयारी है। इतना ही नहीं केशव मौर्य ने कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने को कृष्ण भक्त कहते हैं। वे बताएं कि मथुरा में मंदिर निर्माण चाहते हैं। इस प्रकार मथुरा का मंदिर विवाद भी 2022 के विधानसभा चुनाव में मुद्दा बन सकता है। यूपी का विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसीलिए पीएम नरेन्द्र मोदी को दिसम्बर महीने मंे कई जनसभाओं व आयोजनों मंे बुलाया जाएगा। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ने इस बार मजबूत गठजोड़ किया है।
उत्तर प्रदेश मंे विधानसभा चुनाव-2022 का समय जैसे-जैसे पास आता जा रहा है, वैसे-वैसे सियासी हलचल भी तेज होती जा रही हैं। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने एक ट्वीट कर सियासी गलियारे में हलचल ला दी। उन्होंने प्रयागराज से ट्वीट किया कि ‘अयोध्या-काशी में मंदिर निर्माण जारी है अब मथुरा की तैयारी है’। साथ ही हैशटैग किया- ‘जय श्री राम, जय शिव शंभू, जय श्री राधे-कृष्ण।’ यह भारतीय जनता पार्टी के भगवा एजेंडे का संकेत माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में मथुरा भी मुद्दा बन सकता है।
इससे पहले मंगलवार को प्रयागराज पहुंचे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने एक चैनल से हुई बातचीत में कहा था कि जिस प्रकार से अयोध्या में श्री राम की जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण से पूरी दुनिया के रामभक्तों में खुशी की लहर दौड़ गई हे, उसी तरह वाराणसी में बाबा विश्वनाथ के भव्य मंदिर के कॉरीडोर का निर्माण भी हो चुका है। ऐसे में छह अगस्त 2020 के बाद से हम जो नारा लगाते थे कि अयोध्या हुई हमारी, अब काशी-मथुरा की बारी, वह नारा संपन्न होता नजर आ रहा है।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति ने भी करवट ली है। दशकों तक अयोध्या से पर्याप्त दूरी बनाए रहे और खुद को ‘सेक्युलर’ कहने वाले गैर भाजपाई दलों के नेताओं ने धीरे-धीरे हिंदुत्व की ओर भी सधे कदम रखे हैं। भाजपा पर भगवान राम के नाम पर राजनीति का आरोप लगाने के साथ सपा मुखिया अखिलेश यादव यदा-कदा भगवान कृष्ण को अपना आराध्य बताते रहे हैं। वह मथुरा, चित्रकूट सहित कई धर्मस्थलों पर गए, वहां से राजनीतिक कार्यक्रमों की भी शुरुआत की। केशव मौर्य का मथुरा कार्ड इसी का जवाब माना जाता है। हालांकि भाजपा योगी का काम और मोदी का नाम भी भुनाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे दिसंबर उत्तर प्रदेश के बैक-टू-बैक दौरे कर सकते हैं।
पीएम मोदी के 7 दिसंबर को गोरखपुर पहुंचने की संभावना है। यहां वे ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज का उद्घाटन करेंगे। पीएम ने जुलाई 2016 में यूपी में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने से पहले इस परियोजना की आधारशिला रखी थी। वे गोरखपुर में खाद फैक्ट्री का भी उद्घाटन कर सकते हैं। 13 दिसंबर से पीएम मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंच सकते हैं, जहां वे काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे। सीएम आदित्यनाथ ने हाल ही में उद्घाटन कार्यक्रम की तैयारियों का जायजा लेने के लिए वाराणसी का दौरा किया था। साथ ही सरकार ने ‘भव्य काशी, दिव्य काशी’ कार्यक्रम और काशी विश्वनाथ धाम यात्रा के तहत 13 दिसंबर से लेकर 14 जनवरी तक कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का फैसला लिया है। वाराणसी में पीएम भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को संबोधित कर सकते हैं। इसके अलावा वे किसान सम्मेलन और देशभर के कई शहरों से महापौरों का सम्मेलन भी संबोधित कर सकते हैं। पार्टी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि प्रधानमंत्री सिंचाई परियोजना के चलते दिसंबर में गोंडा का दौरा भी कर सकते हैं। साथ ही मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के एक सेक्शन के उद्घाटन के लिए उनके कानपुर पहुंचने की भी संभावना है। वे राजधानी लखनऊ में पार्टी की 6 यात्राओं को लेकर एक विशाल रैली को भी संबोधित करेंगे। ये यात्राएं यूपी के 6 क्षेत्रों को कवर करेंगी। इनमें अवध, काशी, गोरखपुर, कानपुर, बृज और पश्चिम यूपी शामिल है।
यहां पर ध्यान देने की बात है कि विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने राम मंदिर निर्माण को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने साफ कहा था कि जब तक अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नहीं हो जाता, संगठन किसी और केस में अपना हाथ नहीं डालेगा। श्रीराम मंदिर निर्माण तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण की मियाद 3 साल की रखी है। संगठन सिर्फ इसी बात पर फोकस कर रहा है कि तय समय पर मंदिर निर्माण पूरा हो और रामलला अपने स्थान पर विराजमान हो जाएं। विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने साफ कहा था कि कृष्ण जन्मभूमि मामले को अभी संगठन कोई तूल नहीं देना चाहता है। राम मंदिर निर्माण हो जाने के बाद जब भगवान राम अपना स्थान ग्रहण कर लेंगे, उसके बाद मथुरा काशी जैसे बाकी विषयों पर कार्य किया जाएगा। श्रीकृष्ण के भक्तों ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में मुगल शासक औरंगजेब के कार्यकाल में बने शाही ईदगाह मस्जिद को वहां से हटाने की मांग की है। इस मामले में मथुरा जिला सिविल न्यायालय में याचिका दायर की गई है। श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका में 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक की मांग की गई है। जानकारी के मुताबिक, आधा दर्जन भक्तों ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह प्रबंध समिति के बीच पांच दशक पूर्व हुए समझौते को अवैध बताते हुए उसे निरस्त करने और मस्जिद को हटाकर पूरी जमीन मंदिर ट्रस्ट को सौंपने की मांग की है। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने 25 सितम्बर 2020 को मथुरा की अदालत में दायर की गई याचिका में कहा है कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह प्रबंध समिति के बीच हुआ समझौता पूरी तरह से गलत है और भगवान कृष्ण व उनके भक्तों की इच्छा के विपरीत है। इसलिए उसे निरस्त किया जाए और मंदिर परिसर में स्थित ईदगाह को हटाकर वह भूमि मंदिर ट्रस्ट को सौंप दी जाए। लखनऊ की रहने वाली रंजना अग्निहोत्री और त्रिपुरारी त्रिपाठी, सिद्धार्थ नगर के राजेश मणि त्रिपाठी और दिल्ली निवासी प्रवेश कुमार, करुणेश कुमार शुक्ला और शिवाजी सिंह ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को जमीन देने को गलत बताते हुए सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा की कोर्ट में दावा पेश किया है। श्रीकृष्ण विराजमान, स्थान श्रीकृष्ण जन्मभूमि और उक्त लोगों की ओर से पेश किए दावे में कहा गया है कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ (जो अब श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से जाना जाता है) और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जमीन को लेकर समझौता हुआ था। इसमें तय हुआ था कि मस्जिद जितनी जमीन में बनी है, बनी रहेगी। (हिफी)हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ