अंतर्राष्ट्रीय संस्कृति संसद के तीसरे व अंतिम दिन अनेक सत्र आयोजित किए गए ।
इनमें 'कला संस्कृति की आड़ में परोसी जा रही विकृतियां' पहला सत्र रहा ।
इस सत्र के वक्ताओं में रूपा गांगुली (महाभारत की द्रोपदी) , गजेंद्र चौहान (महाभारत के युधिष्ठिर) , मालिनी अवस्थी , दिलीप सूद थे ।
इस सत्र के संचालन का कार्य दूरदर्शन के अशोक श्रीवास्तव जी ने किया ।
इस सत्र की समाप्ति पर गंगा महासभा बिहार-झारखंड के उपाध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने दिलीप सूद जी को गंगाजल की लुटिया भेंट कर सम्मानित करने का कार्य किया ।
सम्मान स्वरूप रुद्राक्ष की माला , धार्मिक पुस्तके , गंगाजल की लुटिया , अंगवस्त्रम आदि भेंट की गयी ।
सत्र में प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें कहा गया कि हमारी संस्कृति के विरुद्ध बनायी जाने वाली फिल्मों का बहिष्कार करेंगे ।
आर्थिक चोट आवश्यक है ।
दूसरा सत्र 'हिन्दू मंदिरों का प्रबंधन हिंदुओ के द्वारा' पर हुआ ।
इसमें वक्ताओं में पद्मनाभस्वामी मंदिर , केरल के राजा आदित्य वर्मा जी भी थे ।
अन्य सत्रों में : --
'शिक्षण संस्थानों के प्रबंधन की स्वतंत्रता'
'सशक्त राष्ट्र के निर्माण में युवाओं की भूमिका'
आदि प्रमुख रूप से रहे ।
इन सभी सत्रों में अनेक वक्ता सम्मिलित थे । सभी सत्रों का संचालन विभिन्न विद्वानों ने किया । जिनमे गोविंद शर्मा , भक्ति किरण , सी पी सिंह , विहिप के आलोक कुमार आदि के नाम सम्मिलित है ।
वक्ताओं में उड़ीसा के सांसद सारंगी जी का भी नाम सम्मिलित है ।
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