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गठबंधन नहीं, प्रेम बंधनः प्रियंका

गठबंधन नहीं, प्रेम बंधनः प्रियंका

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
राजनीति के भी कई रूप देखने को मिलते हैं। आज दोस्ती, कल दुश्मनी करने वाले तो असंख्य है लेकिन आत्मा की आवाज सुनने वाले भी उनसे पीछे नहीं रहना चाहते। मजे की बात यह कि आत्मा भी कुर्सी देखकर जागती है। इसी बीच गठबंधन और तालमेल भी राजनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। अगले साल के प्रारम्भ मंे ही पांच राज्यों मंे विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। इनमंे सबसे प्रमुख उत्तर प्रदेश माना जाता है। कांग्रेस यहां पर चैथे नम्बर पर पहुंच गयी है। उसको पहले या दूसरे नम्बर पर लाने के लिए प्रियंका गांधी ने जिस तरह की राजनीति शुरू की है, उसने सभी का ध्यान खींचा है। वह हवाई जहाज पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से बतियाती है ताकि खबर बने। वे बसपा प्रमुख मायावती की माता जी के निधन की खबर पाकर उनके घर पहुंचती हैं। यह भी एक खबर बनती है। इसके बाद प्रियंका गांधी बयान जारी करती है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश मंे किसी से गठबंधन नहीं करेगी। प्रियंका ने सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है और लड़कियों को स्कूटी, महिलाओं को 40 फीसद टिकट देने जैसे कई वादे भी कर रखे हैं। वे सपा और बसपा की आलोचना न करके उनके साथ प्रेम का बंधन बांधेे हैं। यह गठबंधन से ज्यादा मुफीद साबित हो सकता है।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मियों के बढ़ने के साथ-साथ राजनीतिक गठजोड़ और सियासी समीकरण भी बदलता नजर आ रहा है। इसी कड़ी में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बीते दिनों अचानक दिल्ली में बसपा सुप्रीमो मायावती की मां रामरती को श्रद्धांजलि देने पहुंच गईं। ऐसे में प्रियंका-मायावती की मुलाकात के बाद सवाल खड़े होने लगे हैं कि क्या यूपी में गठबंधन का समीकरण बदलेगा? वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ हाल फिलहाल के दिनों में दो बड़े नेताओं के साथ अचानक एयरपोर्ट पर मिलना, मिलकर मुस्कुरा देना और बात करने की खास तौर से चर्चा हो रही है। इससे पहले भी अखिलेश यादव के साथ एक ही फ्लाइट में दिल्ली से लखनऊ लौटते समय उनकी एक फोटो खूब वायरल हुई थी। हालांकि ऐसा पहला मौका नहीं है जब प्रियंका गांधी की किसी बड़े विपक्षी नेता के साथ मुलाकात हुई हो। बता दें कि 31 अक्टूबर को जयंत चैधरी लखनऊ में अपना कार्यक्रम खत्म कर दिल्ली लौट रहे थे और प्रियंका गांधी गोरखपुर में अपनी प्रतिज्ञा यात्रा के समापन के बाद लखनऊ से दिल्ली जा रही थीं। दोनों नेताओं की मुलाकात लखनऊ एयरपोर्ट पर हो गई। लाउंज में दोनों नेता काफी देर तक बैठ कर बातचीत करते दिखे थे। प्रियंका गांधी वाड्रा प्रदेश में कांग्रेस को किसी भी तरह एक सम्मानजनक संख्या मे सीटें दिलाना चाहती हैं। इसके लिए उनका अन्य गैर भाजपा दलों से कोई परोक्ष या प्रत्यक्ष समझौता भले न हो लेकिन उनसे प्रेम का बंधन बनाना चाहती हैं। इसीलिए वे गठबंधन से मना कर रही हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता अंशु अवस्थी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश पिछले 32 साल से गैर कांग्रेसी सरकारों में सभी दलों को देख चुका है। प्रदेश में जो आर्थिक विकास दर 1989 में 13 फीसदी थी, वह घटकर आधे से भी नीचे चली गई और उसका परिणाम यह हुआ कि प्रदेश में रोजगार खत्म हो गए। उन्होंने कहा कि सिर्फ जाति और धर्म की राजनीति करके प्रदेश को लूटते रहे और 2022 में उत्तर प्रदेश की जनता कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका देने जा रही है, क्योंकि भाजपा या सपा- बसपा के पास प्रदेश के लिए नीति और नीयत नहीं है। बुलंदशहर में प्रियंका गांधी ने कहा भी कि कांग्रेस यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में किसी से भी गठबंधन नहीं करेगी और अकेले दम पर चुनाव लड़ेंगी, लेकिन प्रियंका का छोटे दलों के बड़े नेताओं सेे मिलना क्या आंतरिक समझौते के संकेत हैं?
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने पूरी तरह से कमान संभाल रखी है। रविवार को बुलंदशहर में कांग्रेस की रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ऐलान किया कि कांग्रेस इस बार रण में अकेले ही उतरेगी। प्रियंका ने कहा कि कांग्रेस को यूपी का रण जीतना होगा तो वह अपने दम पर जीतेगी। साथ ही ये भी कहा कि पार्टी प्रदेश की हर सीट पर कांग्रेस कार्यकर्ता को उम्मीदवार बनाएगी। प्रियंका गांधी ने विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) पर निशाना साधते हुए कहा कि यूपी में न सपा लड़ रही है और न ही बसपा, सिर्फ कांग्रेस लड़ रही है। प्रियंका गांधी ने कहा कि कोरोना वायरस हो या कोई और संकट, कांग्रेस के कार्यकर्ता ही हैं जो लोगों की मदद के लिए आगे आए। उन्होंने सवाल किया कि क्या उन्नाव, लखीमपुर खीरी या हाथरस की घटनाओं के खिलाफ सपा या बसपा के लोग खड़े हुए थे? नहीं, लेकिन कांग्रेस वहां खड़ी रही। प्रियंका गांधी से पहले अखिलेश यादव भी गठबंधन न करने की बात कह चुके हैं। अखिलेश यादव ने कहा था, ‘हमारा बड़ी पार्टियों के साथ गठबंधन करने का अनुभव काफी कड़वा रहा है। इसलिए अब हम छोटी पार्टियों को एक साथ लाने की उम्मीद कर रहे हैं न कि बड़ी पार्टियों को।’
प्रियंका गांधी केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार में हुए पुलिसिया जुल्म की दास्तां भी सुनाती हैं। बुलंदशहर मंे उन्होंने कहा, योगी राज में महिलाओं और गरीबों पर जुल्म बढ़े हैं। प्रियंका गांधी ने बुलंदशहर की जनता से कई वादे किए। गोरखपुर की प्रतिज्ञा वादा दोहराते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनी तो महिलाओं की सुरक्षा और युवाओं को रोजगार मुहैया कराया जाएगा। करो या मरो नारा के अब दोबारा साकार करने का समय आ गया है। प्रियंका गांधी ने महंगाई पर भी बीजेपी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, 70 साल में पेट्रोल का दाम 70 रुपये हुआ। पिछले सात साल में 100 रुपये हो गया। गैस डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। आपकी लड़ाई सपा और बसपा नहीं सिर्फ कांग्रेस लड़ रही है। इस प्रकार करीब तीन दशक से राजनीतिक वनवास झेल रही कांग्रेस ने आखिरकार वो कदम उठा ही लिया जो सभी राजनीतिक दलों को बैकफुट पर ला सकता है। मंडल-कमंडल की राजनीतिक दांवपेंच मे उलझकर प्रदेश की सत्ता से बाहर हो चुकी कांग्रेस को एक बार फिर लड़ाई में एंट्री दिलाने के लिए प्रियंका गांधी ने सीधे आधी आबादी की तरफ रुख कर लिया है। चालीस फीसदी टिकट महिलाओं को देने की घोषणा कर प्रियंका गांधी ने नेता के तौर पर खुद को सेंटर में ला दिया है। बसपा की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने तुरंत ट्वीट कर प्रियंका गांधी की घोषणा को चुनावी नाटकबाजी करार दिया, वहीं भारतीय जनता पार्टी ने एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष रह चुकीं अपनी सांसद को बयान के लिए उतारा तो वहीं दूसरी तरफ राज्यपाल रह चुकीं बेबी रानी मौर्य से बयान दिलवाकर मैदान में महिला नेताओं की उपस्थिति दर्ज कराई।
ध्यान रहे कि 2017 के विधानसभा चुनाव मंे पुरुषों का मत प्रतिशत 58 था जबकि महिलाओं ने 63 फीसद मतदान किया था। (हिफी)

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