ज्यों इति अथ
--:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र"अणु"
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एक दिन राजा सुरथ
हो गए दीनहीन
खोकर ऐश्वर्य पुण्य पथ।।
बचाने को प्राण
खोजते परित्राण
अपने अश्व के साथ
चले जा रहे थे
करते अरण्य रोदन
खोजते अपना अथ।।
ठीक उसी समय
एक वैश्य
उसी अवस्था में
आ पहुंचा वहां
बेहद चिंतातुर
भयभीत लाचार
सबकुछ खोकर
घर से प्रताड़ित
हारकर गथ।।
राजा और वैश्य
दोनों समय से हारे
मिले एक दुसरे से
कहते दुख सारे
फिर दैवी कृपा से
सुधरी खोपडी
दिखी झोंपडी
ज्यों इति अथ।।
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