तुमको प्रणाम
---:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र"अणु"
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अपने कठोर
तपस्या के बल पर
उसने पाया था वरदान
कि जब कभी कोई
करते तुम पर.शस्त्र संधान
तब तुम्हारे एक रक्त बिंदु से
जन्म लेगा असंख्य
तुम्हारे हीं समान वीर बलवान
और फिर वह
करने लगा प्राणियों पर
तरह-तरह का उत्पात
धरती हिलने लगी
कांपने लगा था आसमान।।
देवता होकर भयभीत
छुप गए थे गीरी काननों में
और ये सब संगठित होकर
आतंक भरे हुए था सज्जनों में
तब देवी ने
किया देवताओं को आश्वस्त
आप घबराओ नहीं
मै दुंगी इस राक्षस को शिकस्त
और तब वह
बनी काली विकराली
पूर्ण दिगंवरा
मुंडमाली खंग खप्पर वाली
वह अनंत विस्तारित वदन
मारती दानव को कर गर्जन
एक-एक रक्तबिंदु
करते हुए पान
राक्षस को मारकर वो
हो गई नृत्य रत बन महाश्मशान
देख देवताओं ने
जोडकर हाथ किया स्तुति गान
धन्य हो जगतजननी
जो बचाया देवगण का सम्मान
तुमको प्रणाम!
तुमको प्रणाम!!
तुमको प्रणाम!!!
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वलिदाद,अरवल(बिहार)
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