सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल : अज्ञता का द्वार रुकना चाहिए
डॉ राकेश कुमार आर्य
पहलगाम आतंकी हमला के समय जिस प्रकार देश की राजनीति और नेताओं ने एकता का परिचय दिया, वह एक अनुकरणीय कार्य था। जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए, उतनी कम है, परंतु आज जिस प्रकार इंडी गठबंधन के नेता अपने आपको सरकार से अलग करके दिखा रहे हैं ,उससे लगता है कि इस गठबंधन की नेताओं की द्वारा ' देश के साथ खड़े होने' का निर्णय तात्कालिक आधार पर लिया गया एक ऐसा निर्णय था जो उन्होंने किसी 'मजबूरी' में लिया था। ह्रदय से राहुल गांधी और उनकी टीम के लोग नहीं चाहते थे कि सरकार के साथ लगा जाए । परंतु उन्हें यह डर था कि यदि इस समय देश के साथ खड़े नहीं हुए तो लोग उनके लिए 'अपशब्दों' प्रयोग करेंगे। अब जब धीरे-धीरे संभावित अपशब्दों का डर कम हो गया है तो राहुल गांधी अपनी पुरानी फॉर्म में आ गए हैं। यही कारण है कि राहुल गांधी ने कहा है कि सरकार को इस समय यह बताना चाहिए कि पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में हमारे कितने लड़ाकू विमान समाप्त हुए हैं? वास्तव में कांग्रेस के नेता की इस प्रकार का बयान देश के सैनिकों के मनोबल को तोड़ने वाला बयान है। राहुल गांधी के इस बयान को पाकिस्तान के समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है। वहां की मीडिया और सरकार कांग्रेस नेता के इस बयान को इस प्रकार दिखा रही है कि जैसे वास्तव में ही पाकिस्तान ने भारत के कई लड़ाकू विमानों को खाक कर दिया है।
जबकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सहित सेना के बड़े अधिकारी और मंत्री बराबर कह रहे हैं कि भारत से पाकिस्तान को भारी सैन्य क्षति उठानी पड़ी है। इस समय विपक्ष के नेता सरकार की आलोचना केवल इस बिंदु पर करते हुए नजर आ रहे हैं कि कथित सीजफायर की जानकारी देश को अमेरिका के राष्ट्रपति के माध्यम से हुई। जबकि पीएम श्री मोदी निरंतर देश के लिए काम करते रहकर दूसरी चुनौतियों से जूझ रहे हैं और उनके समाधान में लगे हुए हैं। सभी को पता है कि इस समय चीन, अमेरिका, बांग्लादेश, पाकिस्तान ,तुर्की जैसे कई देशों से कई प्रकार के खतरा देश के लिए हैं और उन सबका सामना करने के लिए देश को एकजुट रहने की आवश्यकता है, इसके उपरांत भी विपक्ष के नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष नई-नई समस्याएं खड़ी कर रहा है। अभी तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ब्रिटेन के दौरे से पर रही हैं ,जहां उन्होंने इस बात पर आपत्ति व्यक्त की कि हमारा देश प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरता जा रहा है। यह बहुत ही दुखद तथ्य है कि विपक्ष के किसी भी नेता को विदेश की भूमि पर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बढ़ते भारत की प्रशंसा सुनना भी अच्छा नहीं लगता है।
हम सभी जानते हैं कि भारत की सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के समय अपने लक्ष्य को बहुत ही सटीकता से प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की है । इस समय भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादियों के 9 बड़े ठिकानों को पूर्णतया ध्वस्त कर संसार को यह दिखा दिया कि आज का भारत सशक्त भारत है। आज के सशक्त और समर्थ भारत को लेकर सारे विपक्ष को भी गर्व और गौरव की अनुभूति होनी चाहिए। परंतु वह इसके विपरीत आचरण करता हुआ दिखाई दे रहा है। उसे सशक्त भारत पर शर्म आ रही है । विशेष रूप से राहुल गांधी के बारे में यह बात कही जा सकती है, जिनकी पार्टी ने भारत को कभी सशक्त भारत बनने की दिशा में आगे बढ़ने ही नहीं दिया। आज वे पाकिस्तान और चीन के गीत गाते हुए दिखाई दे रहे हैं। उनकी यह खतरनाक प्रवृत्ति भारतीय राजनीति को जिस दिशा में ले जा रही है, वह देश के लिए किसी भी दृष्टिकोण से ठीक नहीं कहीं जा सकती। अपनी नई विदेश नीति के अंतर्गत भारत सरकार ने कूटनीतिक स्तर पर भारत की बात को विश्व के देशों के सामने रखने के लिए 7 सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का निर्णय लिया है और उसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को स्थान देकर उसे ' भारत का प्रतिनिधिमंडल' बनाने का प्रयास किया है। इसका अर्थ हमें समझना चाहिए कि भारत सरकार जागृत अवस्था में निर्णय ले रही है। वह देश के लोगों को ही नहीं संसार के लोगों को भी यह बताना चाहती है कि पाकिस्तान की मानसिकता क्या है और वह किस प्रकार आतंकवाद का जनक बनकर उस लज्जास्पद स्थिति पर भी गर्व अनुभव कर रहा है ? भारत जब धार्मिक स्तर पर सारे संसार में अकेला देश हो, तब इस प्रकार के प्रतिनिधिमंडल का विशेष महत्व है। इन प्रतिनिधिमंडलों का अर्थ है कि युद्ध रुका नहीं है बल्कि युद्ध जारी है तथा आगे की स्थिति और भी अधिक खतरनाक हो सकती हैं। जिसमें सरकार विपक्ष के सुझावों का सम्मान ही नहीं करती है अपितु उसे समुचित सम्मान देते हुए उसका मार्गदर्शन भी चाहती है। एक प्रकार से इस समय राष्ट्रीय सरकार का सा परिवेश सृजित करना सरकार की प्राथमिकता है। जिसका सारे विपक्ष को सम्मान करना चाहिए । इस समय विपक्ष को यह नहीं कहना चाहिए कि अमुक कार्य तो सरकार का है, हमारा काम केवल आलोचना करना है ? इसके विपरीत उसे यह दिखाना चाहिए कि राष्ट्र हम सब का है और इसकी सेवा सुरक्षा के लिए हम सब एक साथ खड़े हैं। इन प्रतिनिधिमंडलों के माध्यम से संसार के किसी भी देश में जाने वाला हमारा प्रतिनिधिमंडल और उसका सदस्य अपने आपको केवल भारत का प्रतिनिधि माने। वह किसी पार्टी विशेष का सांसद या प्रतिनिधि तब तक हो सकता है जब तक वह वायुयान में प्रवेश न कर जाता है। जैसे ही वह विमान में प्रवेश कर आगे के लिए प्रस्थान करे, तुरंत उसे राष्ट्र के प्रतिनिधि के रूप में अपने आपको परिवर्तित कर लेना होगा।
हमें ध्यान रखना होगा कि हमारे राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं,परंतु वह राजनीतिक मतभेद भी राष्ट्र उन्नति के लिए ही होते हैं। सभी का अंतिम लक्ष्य राष्ट्र की उन्नति ही होता है। ऐसी स्थिति में मेरा राष्ट्र समृद्ध हो, समर्थ हो, सक्षम हो, सबल हो, सफल हो - यह मनोकामना हम सब की सांझी मनोकामना है । अब समय आ गया है जब हम इसी सांझी मनोकामना के वशीभूत होकर विश्व मंचों पर और विश्व के विभिन्न देशों के शासनाध्यक्षों के समक्ष अपनी बात को रखें।
अंत में मैथिलीशरण गुप्त जी की इन पंक्तियों के साथ अपनी बात को समाप्त करता हूं :-
उनके चतुर्दिक कीर्ति पट को है असंभव नापना।
की दूर देश में जिन्होंने उपनिवेश स्थापना ।।
वे जहां भी गए अज्ञता का द्वार जानो रुक गया।
झुक गए जिस ओर वे संसार मानो झुक गया।।
कहने का अभिप्राय है कि हमारा प्रतिनिधिमंडल जिस ओर भी जाए , उस ओर अज्ञता का द्वार रुकना चाहिए और उस ओर ही संसार झुकना चाहिए।
( लेखक डॉ राकेश कुमार आर्य सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता हैं।)
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