संबंधित देवी को कौनसे फूल चढाएं ?
विशिष्ट देवी को विशिष्ट फूल चढाने
का शास्त्रीय आधार
देवतापूजन का एक उद्देश्य यह है कि, उस
देवताकी मूर्ति के चैतन्य का प्रयोग हमारी आध्यात्मिक उन्नति के लिए हो । विशिष्ट
फूलों में विशिष्ट देवता के पवित्रक, अर्थात
उस देवता के सूक्ष्मातिसूक्ष्म कण आकर्षित करने की क्षमता अन्य फूलों की तुलनामें
अधिक होती है । ऐसे फूल जब देवता की मूर्ति को चढाते हैं, तो
मूर्ति को जाग्रत करने में सहायता मिलती है । इससे मूर्ति के चैतन्य का लाभ हमें
शीघ्र होता है । इसलिए विशिष्ट देवता को विशिष्ट फूल चढाना महत्त्वपूर्ण है । इसके
अनुसार आगे की सारणी में कुछ देवियों के एवं उन्हें चढाने हेतु उपयुक्त फूलों के
नाम दिए हैं ।
श्री
दुर्गा - मोगरा
श्री
लक्ष्मी - गुलाब
श्री
सप्तशृंगी - कवठी चाफा
श्री
शारदा - रातरानी
श्री
याेगेश्वरी - साेनचाफा
श्री
रेणुका - बकुल
श्री
वैष्णोदेवी - रजनीगंधा
श्री
विंध्यवासिनी - कमल
श्री
भवानी - स्थलकमल
श्री
अंबा - पारिजात
सारणी
में दिए गए विशिष्ट फूलों की सुगंध की ओर, विशिष्ट देवी का तत्त्व आकृष्ट होता है । इसलिए उस
सुगंध की उदबत्ती के (अगरबत्ती के) प्रयोग से भी उस विशिष्ट देवी के तत्त्व का लाभ पूजक
को अधिक मिलता है ।’
२. देवीपूजन
में निषिद्ध पुष्प
• अपवित्र
स्थलपर उत्पन्न हुए
• अनखिले
पुष्प अर्थात कलियां
• बिखरी
हुई पंखुडियोंवाले
• निर्गंध
अथवा तीव्र गंधवाले
• सूंघे
हुए पुष्प
• पृथ्वीपर
गिरे हुए
• बाएं
हाथ से लाए गए
• जल
में डुबोकर धोए हुए पुष्प
• दूसरों
को अप्रसन्न कर लाए हुए पुष्प
• पहने
हुए अधोवस्त्रमें अर्थात निचले वस्त्र में लाए गए ऐसे पुष्प देवी मां को मत चढाइए
।
ऐसे पुष्प देवी मां को अर्पण करने
से पूजक को कोई आध्यात्मिक लाभ नहीं होता; अपितु
देवी मां की अवकृपा होने से ये पूजक के लिए हानिकारक हो सकता है । इसलिए उचित
पुष्पों का ही चयन करना चाहिए ।
संदर्भ – सनातनका ग्रंथ, ‘देवीपूजनसे संबंधित कृत्योंका शास्त्र‘
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