पटना। राज्य के
विद्यार्थियों को सरकारी खर्च पर पर्यटन स्थलों की सैर कराने का निर्णय एक सराहनीय
पहल है। इससे पढ़ाई का बेहतर माहौल तैयार करना भी आसान होगा। कोरोना काल में लंबे
समय तक छात्रों की पढ़ाई बाधित रही है। आनलाइन पढ़ाई से उनके स्वास्थ्य पर विपरीत
असर पड़ा है। ऐसे में शैक्षिक पर्यटन के सहारे विद्यालय, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय परिसर में फिर से पठन-पाठन
को लयबद्ध करने में मदद मिल सकती है। हालांकि उच्च शिक्षण संस्थानों के
छात्र-छात्रओं को पढ़ाई के साथ-साथ प्रमुख पर्यटन स्थलों का भ्रमण कराने का
प्रस्ताव केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति में शामिल है।
इसी आलोक में
शिक्षा मंत्रालय ने पर्यटन मंत्रालय के साथ मिलकर देश के ऐसे सौ स्थलों की सूची
तैयार की है, जहां छात्रों को
भ्रमण के लिए ले जाया जा सकेगा। इनमें सबसे अधिक आठ पर्यटन स्थल अकेले मध्य प्रदेश
के हैं, जबकि उत्तर प्रदेश के सात
एवं बिहार के पांच पर्यटन स्थल शामिल हैं। इसके बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
(यूजीसी) ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को पर्यटन स्थलों की इस सूची के साथ ही यह
निर्देश दिया है कि वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिश को ध्यान में रखते हुए छात्रों
को इन स्थलों के भ्रमण की योजना बनाएं। सरकार के इस कदम से घरेलू पर्यटन को तो
बढ़ावा मिलेगा ही, साथ ही
विद्यार्थी ऐसे स्थलों के इतिहास, वैज्ञानिक योगदान,
परंपराओं आदि से भी परिचित हो सकेंगे, जो अब तक वे किताबों में ही पढ़ते रहे हैं। इससे
छात्रों में भारत भ्रमण की जिज्ञासा भी बढ़ेगी। वहीं नई पीढ़ी देश की समृद्ध विरासत,
विविधता, संस्कृति, भाषा और ज्ञान से
जुड़ेगी।
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