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कैद में हनुमान!!

कैद में हनुमान!!

  • पटना की रामगढ़ मठिया ठाकुरबाड़ी में वर्षों से बंद हैं पूजा-अर्चना, भोग और भजन—प्रशासन मौन!

राजकिशोर सिंह की खबर |

पटना, बिहार।
यह दृश्य किसी आस्था पर आघात से कम नहीं—संकटमोचन, भक्त वत्सल, रामदूत श्री हनुमान आज स्वयं संकट में हैं।
राजधानी पटना के अशोक राजपथ स्थित मरीन ड्राइव लिंक रोड के नीचे, कृष्ण घाट के पास स्थित राम जानकी ठाकुरबाड़ी (हनुमान मंदिर), रामगढ़ मठिया में वर्षों से पूजा-अर्चना, आरती, भजन और राग-भोग पर जैसे ग्रहण लग गया है।

यह वही पावन स्थान है जहाँ कभी घंटियों की गूंज, भजन की मधुर लहरियाँ और श्रद्धालुओं की भीड़ में भक्ति का सागर उमड़ता था। परंतु आज वही ठाकुरबाड़ी ताले की जंजीरों में जकड़ी पड़ी है। मंदिर का द्वार बंद, आँगन सूना, और परिसर में उगी झाड़ियाँ मानो उपेक्षा की गवाही दे रही हैं।

यह जागृत ठाकुरबाड़ी बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के अंतर्गत निबंधन संख्या 3782/07 से पंजीकृत है। बावजूद इसके, परिषद के जिम्मेदार अधिकारी और पदाधिकारी इस मंदिर की सुध लेने से जैसे बेपरवाह हैं।
भक्तों का कहना है कि “जिस बजरंगबली ने रावण की सोने की लंका जला डाली, वही आज कथित रावणों के अनुयायियों की लापरवाही से कैद में हैं!”

स्थानीय श्रद्धालु बताते हैं कि कई वर्षों से मंदिर में न तो नियमित पूजा होती है, न आरती की ध्वनि सुनाई देती है। भोग-प्रसाद, दीप-आरती और भक्ति-संवेदना जैसे विलुप्त से हो गए हैं। ठाकुरबाड़ी का वातावरण उपेक्षा की मार झेल रहा है, और हनुमान जी मानो मौन होकर भक्तों की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं कि उनका उद्धार कब होगा।

लोगों का सवाल है —
जब बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद का मुख्य उद्देश्य धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और संचालन है, तो फिर इस प्राचीन रामगढ़ मठिया ठाकुरबाड़ी की इस दुर्दशा के लिए कौन जिम्मेदार है?
क्या परिषद के अध्यक्ष डॉ. रणवीर नंदन और उनकी टीम को इस पावन स्थल की खबर नहीं? या फिर किसी “अदृश्य राजनीति” के कारण हनुमान जी की पूजा पर ताला जड़ दिया गया है?

श्रद्धालु समुदाय ने सरकार और परिषद से मांग की है कि
👉 ठाकुरबाड़ी के ताले तुरंत खोले जाएं,
👉 नियमित पूजा-अर्चना, आरती-भजन की पुनः व्यवस्था हो,
👉 परिसर की सफाई और सुरक्षा सुनिश्चित की जाए,
ताकि यह पावन स्थल पुनः अपनी जाग्रत पहचान और दिव्यता प्राप्त कर सके।

सच में, यह विडंबना ही है —
जो हनुमान दूसरों के संकट हरते हैं, वे स्वयं संकट में हैं!
अब देखना यह है कि “हनुमान जी की इस कैद से मुक्ति” कब और कैसे होती है...


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