आ रहीं सबकी लक्ष्मी माता
आ रहीं सबकी लक्ष्मी माता
अपने उल्लू पर सवार,
आयेगी जब माँ धरा पर,
मुस्कुरायेगा घर-परिवार
आ रहीं सबकी...।
आयेंगी जब माता लक्ष्मी,
सजेगा हर गाँव,शहर, घर-द्वार,
भागेगा अंधियारा जग से,
जगमगायेगा संसार
आ रहीं सबकी...।
माँ लक्ष्मी जहाँ-जहाँ भी जाती,
मिलती वहाँ सुख-शांति अपार,
वह स्थान पावन हो जाता,
लगता वहाँ माँ का दरबार।
आ रहीं सबकी...।
माँ की महिमा बड़ी निराली,
माँ सबपर प्यार लुटानेवाली,
आओ चलें सब उनकी शरण में ,
आओ करें माँ की भक्ति,
देंगी माँ धन,वैभव बेशुमार।
आ रहीं सबकी...।
जिस दिन हो माँ लक्ष्मी की पूजा,
करें उस दिन गृह लक्ष्मी का श्रृंगार,
कभी नहीं जलायें घर की लक्ष्मी को,
नहीं करें उसपर अत्याचार।
आ रहीं सबकी...।
मन से करें माँ लक्ष्मी की अर्चना,
बहेगी वहाँ भक्ति की बयार,
दिल से माँ की अराधना करने से,
मिलता उसे माँ लक्ष्मी का प्यार।
आ रहीं सबकी...।
कवि"अकेला"की माँ से यह विनती,
सबपर रहे तेरी कृपा बरकरार ,
माँ,कोई नहीं रहे भूखा जग में,
नहीं रहे कोई बेरोजगार।
आ रहीं सबकी...।
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अरविन्द अकेला
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