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वैश्य बंधू

महाराजा अग्रसेन जयंती पर

 वैश्य बंधू 

वैश्य बन्धुवों इस धरती पर, फिर से स्वर्ग बनाओ,
ऊँच नीच को जड़ से मिटाकर, आज गले से मिल जाओ।

दया धर्म की बातें हमको, पुरखों ने सिखलाई,
मंदिर,धर्मशाला,प्याऊ पोखर, फिर से तुम बनवाओ।

समाजवाद की बातें जग को, अग्रसेन ने बतलाई,
एक रुपैया एक ईंट दे, फिर सशक्त समाज बनाओ।

शिक्षा दान है महादान, ऋषि-मुनियों ने बतलाया,
शिक्षित हो भारत की नारी, शिक्षा के दीप जलाओ।

दहेज़-गरीबी, भ्रूण हत्या, दुश्मन मानवता के,
सभी बुराई जड़ से मिटाकर, पुरखों का मान बढाओ।

बीस नियमों का निर्धारण ही, ऋषि तुल्य अग्र  बनाए,
इन नियमों का पालन कर तुम, अग्रसेन से बन जाओ।

गाय हमारी माता है, और महालक्ष्मी है कुल देवी,
व्यापार कर्म में नैतिकता, कुलदेवी की कृपा पाओ।

नशा- जुआ और व्यभिचार, घर का नाश कराते,
इनसे बचना यह मूलमंत्र, बच्चों को सिखलाओ।

गर्व करो हम अग्रवंशी हैं, सात्विक अपना जीवन,
मांसाहार रोगों की जड़ है, शाकाहारी बन जाओ।

व्यापार में खेती भी तो, अपना कर्म कहलाया,
दुश्मन सर पर आता दिखे, खड्ग -तलवार उठाओ।

राष्ट्र धर्म है सबसे पहले, अपना सर्वस्व लुटाओ,
राष्ट्र प्रेम में वारि सब कुछ, भामाशाह बन जाओ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन 
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