आकबर को महान और महाराणा प्रताप को साधारण बताकर स्कूलों के पाठ्य पुस्तकों में रखना और पढ़ाया जाना नितांत गलत एवं अन्याय पूर्ण है ।
इस मामले पर भारतीय जन महासभा के संरक्षक श्री राजेंद्र कुमार अग्रवाल के नेतृत्व में भारतीय जन महासभा का एक 2 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल स्थानीय सांसद श्री विद्युत वरण महतो जी से वृहस्पतिवार को मिला ।
प्रतिनिधिमंडल में श्री अग्रवाल के अलावे राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार सम्मिलित थे ।
इस प्रतिनिधिमंडल ने सांसद महोदय को एक ज्ञापन सौंप कर मांग की कि इस महत्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रश्न को पार्लियामेंट में उठाकर इस पर उचित कदम उठाया जाए ।
इस बारे में जानकारी देते हुए भारतीय जन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने बताया कि सामाजिक व्यवस्था में जो गुण किसी महानायक में होने चाहिए वे सभी महाराणा प्रताप में विद्यमान थे ।
इसके विपरीत किसी प्रतिनायक में वांछित समस्त दोष अकबर के चरित्र में था ।
कहा कि ऐतिहासिक तथ्यों को खंगालने पर पता चलता है कि क्रूर एवं खूंखार पूर्वजों तथा सहयोगियों के बल पर सत्तासीन होकर भारतीय संस्कृति को मिटाने का स्वप्न देखने वाले अकबर को योजनाबद्ध तरीके से रोकने का अदम्य साहस केवल महाराणा प्रताप में था ।
दीन ए इलाही की आड़ में अपसंस्कृति स्थापित करने और मीना बाजार के नाम पर नारी शोषण एवं वासना का नंगा नाच नाचने का अधम उद्देश्य था अकबर का जिस पर न केवल अंकुश लगाने बल्कि चट्टान की तरह टकराकर रोकने का महती कार्य महाराणा प्रताप ने किया ।
कहा कि दु:खद स्थिति है कि कुछ तथाकथित इतिहासकार महाराणा प्रताप को भगोड़ा , जंगलों में छिपने वाला तथा घास की रोटी खाकर जीने वाला बताते हैं ।
जबकि सच्चाई यह है कि महाराणा प्रताप आवश्यकतानुसार गोरिल्ला युद्ध के भी समर्थक थे । दुश्मन को असफल कर मेवाड़ की रक्षा करना उनका लक्ष्य था ।
जंगल में छिप कर वे कभी नहीं रहे बल्कि मेवाड़ के सीमावर्ती इलाके में लोहारों को हथियार और भीलों को सैनिक बनने का प्रशिक्षण देते और उनकी प्रगति पर निगरानी रखते थे ।
बताया कि कवि पीथल ने अपने काव्य में घास की रोटी का जिक्र किया है जो काव्य की शोभा बढ़ा सकता है किंतु पूर्णत: गलत है ।
फिकार एक प्रकार का जंगली गेहूं होता है जिसकी रोटी बनती है । आज के समय में बुंदेलखंड में इसकी खेती भी की जाने लगी है ।
महाराणा प्रताप अपने राज्य के कोने-कोने में जाकर आमजन में राज्य और अधिकार के प्रति जागरूकता फैलाते थे और स्थानीय लोगों के साथ स्थानीय उपलब्ध भोजन करते थे जो कोई महानायक ही कर सकता है ।
कहा कि महाराणा प्रताप का जीवन संघर्षों से भरा था । उनके सिर पर कांटों का ताज था लेकिन उन्होंने संघर्ष जारी रखा और कभी हार नहीं मानी ।
उनका घोड़ा चेतक और हाथी रामप्रसाद भी इतिहास में अपनी उज्जवल और अद्वितीय पहचान रखते हैं ।
हमारे महापुरुषों को नीचा दिखाने की यह प्रवृत्ति तत्काल प्रभाव से बंद होनी चाहिए ।
बताया कि उन्होंने सांसद महोदय के द्वारा भारत सरकार से आग्रह किया है कि इतिहास का सही पुनर्लेखन करके पाठ्य पुस्तकों में बदलाव किया जाए जिससे बच्चे अपने पूर्वजों को ठीक से समझ सके । महाराणा प्रताप को इतिहास के पन्नों में उचित जगह मिल सके ।
कहा कि महाराणा प्रताप , अकबर और तत्कालीन इतिहास को नीर क्षीर विवेक से जानने के लिए सुविख्यात इतिहासकार पी एन ओक की पुस्तक "कौन कहता है अकबर महान था" एवं "भारतीय इतिहास की भयंकर भूलें" पढ़नी चाहिए ।
कहा कि हम सरकार को सुझाव देना चाहेंगे कि केंद्र या किसी भी राज्य सरकार को इतिहास की पुस्तकों में बदलाव करने हेतु किसी भी प्रकार का सहयोग चाहिए तो भारतीय जन महासभा (देश और समाज को समर्पित अखिल भारतीय सामाजिक संगठन) सहयोग करने को तत्पर है ।
सौंपे गए ज्ञापन में सांसद महोदय से मांग की गयी है कि इस बात को पार्लियामेंट में उठाकर संबंधित सभी शिक्षा विभाग को आदेश दिया जाए कि तत्काल प्रभाव से इतिहास की पुस्तकों में उचित बदलाव कर सही इतिहास पढ़ाया जाए जो समस्त भारतवासियो का हक भी है।
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