खुशियाली का राज़ बेटियाँ

खुशियाली का राज़ बेटियाँ

खुशियाली का राज़ बेटियाँ
जीने का अन्दाज़ बेटियाँ 

नहीं  किसी  के आज सहारे
करतीं  सारे  काज  बेटियाँ 

बेटे  ही  क्यों  लगते  प्यारे
पूछ  रहीं   हैं  आज  बेटियाँ 

कौन धर्म है कोई  बताये
बनीं न रीति-रिवाज़ बेटियाँ

रिश्ते -नाते,  सब आगत  के
सदा   उठाती   नाज़ बेटियाँ 

नइहर-पीघर दोनों कुल की
रखतीं हरदम लाज़ बेटियाँ 

गौरैया   सी     सीधी -साधी
बनी कहाँ  कब बाज़  बेटियाँ 

मधुर -मधुर मुस्कान लुटाकर
दिल  पे  करती  राज़ बेटियाँ 

बुरे दिनों में  मातु पिता की
बन जाती आवाज़ बेटियाँ
                *
~जयराम जय
'पर्णिका'बी-11/1,कृष्ण विहार,
आवास विकास,कल्याणपुर,कानपुर-17(उ०प्र०
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