बांध सकीं कब बेड़ियां,जाति-धर्म की रीति।
न्यारी सबसे है यहां,बहन-भ्रात की प्रीति।।
कच्चे धागे से बंधा ,रिश्ता है मजबूत।
आकर इसके सामने,नतमस्तक यमदूत।।
भाई-बहना सा कहां,है कोई संबंध।
लड़े-भिडे फिर एक हो,देते नेह सुगंध।।
मिला प्रेम को है यहां,अति पावन संसार।
रिश्ते को पक्का करे,धागों का त्योहार।।
राखी का त्योहार यह,देता है संदेश।
पावन रिश्ते को मिलेअति प्रगाढ परिवेश।
इतराती बहना फिरे ,भाई के घर द्वार।
कच्चे धागे बांधकर,पाती पक्का प्यार।।
इसमेंभाई-बहनका,भरा अपरिमित प्यार।
यह केवल होता नहीं,धागों का त्योहार।।
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~जयराम जय
'पर्णिका'बी-11/1, कृष्णविहार ,
कल्यणपुर,कानपुर-208017(उ.प्र. )
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