फर्जी पत्रकारों की बाढ़, यातायात पुलिस परेशान।
पटना यातायात पुलिस राजधानी में कुकुरमुत्ता की तरह पनप रहे फर्जी पत्रकारों की तसली- वसूली धंधे से परेशान है। इन पत्रकारों के कारण प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के श्रमजीवी पत्रकारों की पहचान और पेशा खतरे में पड़ गई है।सोशल/ पोर्टल /यूट्यूब की वीडियोग्राफी की आड़ में ट्रैफिक पोस्ट पर खड़े होकर गाड़ियों को पकड़ वाना और फिर यातायात पुलिसकर्मियों से हिस्सा की रकम मांगना इन फर्जी पत्रकारों एकमात्र धंधा है ।पटना यातायात पुलिस के ट्रैफिक एस पी डी अमरकेस के बुने जाल में "खान"नामक एक पत्रकार नामक एक पत्रकार फस गया है ।टारगेट हिट पर है बहुत जल्द यह पत्रकार राजधानी के पटना सिटी के किसी थाने में हाजत में बंद नजर आए। इसी प्रकार पटना के एसएसपी ने उर्दू अखबार से जुड़े 6 फीट लंबे एक पत्रकार जो शक्ल सूरत से पुलिसकर्मी लगता है अपने टारगेट में ले रखा है बस निशाना लगने भर की देर है। इसी प्रकार "रा" नामक एक पत्रकार संगठन ने फुलवारी में 100 से भी ज्यादा पत्रकार बना रखा है।इन जी ओ की आड में चलने वाला यह संगठन पत्रकार बहाल करने और बनाने का बाजप्ता आपका धंधा खोल रखा है फुलवारी में स्टूडियो चलाने वाले और शादी ब्याह में फोटो खींचने वाले कैमरामैन भी रा संगठन का पट्टा गले में टांगकर आराम से घूमते हैं। पटना पुलिस के हुक्मरानों से गुजारिश है कि ऐसे फर्जी पत्रकारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ।हां कार्रवाई के दरमियान इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि कोई सही और जायज पत्रकार परेशान ना हो अच्छा तो यह होता कि राजधानी पटना में पुलिस और प्रेस लिखी तमाम बाइक और वाहनों को विशेष अभियान के तहत जांच की जाए।
लेखक पटना के जाने माने पत्रकार श्याम नाथ श्याम है |
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