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बिहार और दिल्ली में मुस्लिम इमामों को वेतन हैं तो हिन्दू मन्दिर के पुजारियों को क्यों नहीं?रागिनी
बिहार ,पश्चिम बंगाल, हरियाणा, केरल, कर्नाटक और दिल्ली में मुस्लिम इमामों को वेतन हैं तो पुजारियों को क्यों नहीं ? रागिनी तिवारी समाजसेवी रागिनी तिवारी ने आज बिहार भवन में जाकर एक ज्ञापन सौपा और उस ज्ञापन में माँग की गई है कि आखिर बिहार की मस्जिदों में नमाज पढ़ाने वालों को 15000, अजान देने वालों को 10000 प्रतिमाह सैलरी क्यों अगर उन्हें दिया जा सकता है तो मन्दिर के पुजारियों को क्यों नहीं ? ज्ञात हो कि बिहार में नमाज पढ़ाने वालों को ₹15000, अजान देने वालों को ₹10000 प्रतिमाह सैलरी देने ला लारी किए गया है बिहार की 1057 मस्जिदों को तोहफा : बिहार स्टेट सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड में पंजीकृत पेशइमाम (नमाज पढ़ाने वाला मौलवी) और मोअज्जिन (अजान देने वालों) के लिए फ़रवरी 2021 का महीना जाते-जाते खुशखबरी दे गया। बिहार स्टेट सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड अब 1057 मस्जिदों के उन सभी मोअज्जिनों और पेशइमामों को मानदेय देने जा रहा है, जो उसके तहत पंजीकृत हैं। पेशइमाम को 15,000 रुपए प्रतिमाह और मोअज्जिन को 10,000 रुपए प्रतिमाह दिए जाएँगे। बिहार की राजधानी पटना में भी ऐसे 100 मस्जिदें हैं, जो बोर्ड के अंतर्गत रजिस्टर्ड हैं। मानदेय देने के लिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की सचिव सफीना एएन, विभाग के निदेशक एएए फैजी, बोर्ड के अध्यक्ष मोहम्मद इरशादुल्लाह और सीईओ खुर्शीद सिद्दीकी ने समीक्षा बैठक भी की, जिसमें ये निर्णय लिया गया। उधर बिहार स्टेट शिया वक़्फ़ बोर्ड भी 105 मस्जिदों के पेशइमाम और मोअज्जिनों को मानदेय दे रहा है। उसके अंतर्गत पेशइमाम को 4000 तो मोअज्जिन को 3000 रुपए प्रतिमाह की दर से मानदेय दिया जाता है। सुन्नी बोर्ड से पूरे बिहार में 1057 मस्जिद रजिस्टर्ड हैं। पटना जंक्शन इमाम मस्जिद, फकीरबाड़ा, करबिगहिया जामा मस्जिद और कुम्हरार मस्जिद इनमें प्रमुख हैं। फ़िलहाल इन मस्जिदों के कर्मचारियों को स्थानीय मस्जिद कमिटी ही मानदेय या वेतन देती है। इसके तहत लोगों से ही 50-100 रुपए चंदा के रूप में लेकर इन्हें दिया जाता है। उनका कहना है कि उन्हें जो मिलना चाहिए, उतना मानदेय नहीं हो पाता। फिर भी पेशइमाम को 6-8 हजार और मोअज्जिनों को 4-5 हजार रुपए प्रतिमाह मिल जाते हैं। दोनों स्थानीय मुस्लिमों के बच्चों को तालीम भी देते हैं। निकाह, मिलाद व अन्य मजहबी कार्यक्रमों से भी उनकी कमाई होती है। सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष मोहम्मद इरशादुल्लाह ने कहा कि पेशइमाम को 15,000 रुपए प्रतिमाह और मोअज्जिन को 10,000 रुपए प्रतिमाह मानदेय के रूप में दिए जाने से उनका भला हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार भी मानदेय देना चाहती है। बोर्ड की बैठक से प्रस्ताव पारित करा कर विभाग को भेजा जाएगा। पश्चिम बंगाल, हरियाणा, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में वहाँ के सुन्नी बोर्ड ऐसे मानदेय दे रहे हैं। दिल्ली में मुस्लिम इमामों का वेतन कितना है और कौन देता है? दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में इमामों के वेतन और मस्जिदों के मुअज़्ज़िनों में बढ़ोतरी की घोषणा की थी । दिल्ली वक्फ बोर्ड बढ़ा हुआ वेतन देगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान यह घोषणा की जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में सभी मस्जिदों के इमामों ने भाग लिया था। दिल्ली वक्फ बोर्ड ने मस्जिदों के इमामों की सैलरी बढ़ा दी है। दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह खान ने बोर्ड के एक कार्यक्रम में मस्जिदों के इमामों की सैलरी बढ़ाने का एलान किया था। वक्फ बोर्ड चेयरमैन के मुताबिक, लंबे समय से इमाम सैलरी बढ़ाने की मांग कर रहे थे, इस पर काफी पहले विचार किया जा चुका था। वो खुद सैलरी बढ़ाने के पक्ष में थे, लेकिन दो साल तक बोर्ड भंग था। इसलिए कुछ नहीं हो पाया। गौर हो कि राजधानी दिल्ली में वक्फ बोर्ड की तरफ से करीब 300 मस्जिदों के इमामों को सैलरी दी जाती है। दिव्य रश्मि ! धर्म, राष्ट्रवाद , राजनीति , समाज एवं आर्थिक जगत की खबरों का चैनल है | जनता की आवाज़ बनने के उदेश्य से हमारे सभी साथी कार्य करते है अत: हमारे इस मुहीम में आप के साथ की आवश्यकता है |हमारे खबरों को लगातार प्राप्त करने के लिए हमारे चैनल को सबस्क्राइब करना न भूले और बेल आइकॉन को अवश्य दबाए | चैनल को सब्सक्राइब करें खबर को शेयर जरूर करें Facebook : https://ift.tt/3mi8FgA Twitter https://twitter.com/DivyaRashmi8 instagram : https://ift.tt/35ARrp0 visit website : https://ift.tt/3d6mwRK
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