कोरोना की जंग में वैक्सीन लेने और भ्रम दूर करने से ही मिलेगी जीत
-शशिभूषण कुंवर
देश कोरोना नियंत्रण के महाअभियान में जुटा हुआ है. कोरोना के संक्रमितों के ग्राफ में निरंतर कमी आ भी रही है. साथ ही दूसरी ओर टीकाकरण की रफ्तार भी तेजी से गति पकड़ता जा रहा है. जिस प्रकार से देश को कोरोना नियंत्रण में सफलता मिल रही है इसके दूसरो ओर समाज में कोरोन और कोरोना के टीकाकरण को लेकर तरह-तरह के अफवाह, भ्रम और भ्रांतियां भी बनी हुई हैं. कोई भी अफवाह कोरोना जैसी बीमारी से कम संक्रामक नहीं है. अफवाह भी समाज में तरह-तरह से फैलाये जा रहे हैं. मसलन एक व्यक्ति बिना किसी वैज्ञानिक प्रमाण का यह कहता पाया गया कि उसने कोरोना का टीका लिया और उसके शरीर में चुम्बकीय प्रवाह होने लगा. इसके सबूत में उसने अपने नंगे बदन पर दर्जनों चम्मच को चुम्बकीय प्रभाव से सटाकर दिखाने का भ्रम फैलाने की कोशिशि की. सच तो यह है कि देश में अभी तक करीब 31 करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना का टीका किया जा चुका है.
देश में किसी भी टीका लेने वाले में चुम्बकीय प्रवाह की वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है. ऐसे में कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए सरकार को दो मोर्चों पर काम करना पड़ रहा है. इसमें स्वास्थ्य सेवाओं और संरचनाओं के विकास की दिशा में काम किया जा रहा है बल्कि समाज में फैलने वाले हर प्रकार के अफवाह और भ्रांति को दूर करने की कोशिश की जा रही है. भ्रम को रोकने के लिए सरकार हर जागरुक नागरिक से अपील भी कर रही है.
देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में कमी आने के बाद अलग-अलग राज्यों द्वारा अनलॉक के तहत गतिविधियां खोली जा रही है. इसका कतई मतलब नहीं है कि कोरोना का खतरा समाप्त हो गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण का इस बात पर जोर है कि कोविड-19 के खिलाफ पांच सूत्री रणनीति को अपनाना होगा. इसमें कोविड से बचाव के लिए उसके अनुरूप अपने व्यवहार को बनाये रखना है. सही तरीके से नाक व मुंह ढ़का हुआ मास्क पहनना, हाथों को नियमित अंतराल के बाद साबून- पानी से धोते रहना है या सैनेटाइजर का प्रयोग करना है. दो गज दूरी का पालन कर सोशल डिस्टेंसिंग को अपनाना हैं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा सरकार का जोर कोरोना की टेस्टिंग की संख्या को बढ़ाने को लेकर की जा रही है. इसके साथ ही जांच में पॉजिटिव पाये जाने पर उस संक्रमित के संपर्क में आने वालों की कंट्रेक्ट ट्रेसिंग करना और संक्रमित होने पर ट्रीटमेंट की व्यवस्था किया जा रहा है. स्वास्थ्य सचिव का कहना है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में टीकाकरण मजबूत हथियार हैं. अगर किसी व्यक्ति में कोरोना जैसा लक्षण दिखे तो अविलंब जांच करानी चाहिए. पॉजिटिव पाये जाने पर अविलंब अस्पताल या होम आइसोलेशन में रखा जाना चाहिए. संक्रमिण के चेन को तोड़ना भी आवश्यक है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अगर एक कोरोना संक्रमित व्यक्ति अपना समय पर जांच और इलाज नहीं कराता है तो वह एक महीने में वह 406 लोगों में संक्रमण फैला सकता है. संक्रमित व्यक्ति के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाये तो संक्रमण फैलाने की क्षमता न के बराबर हो जाती है.
कोरोना नियंत्रण के लिए भारत सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर काम किया जा रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल बताते हैं कि भारत में कोरोना नियंत्रण की कितनी बड़ी चुनौतियां हैं. देश की आबादी करीब अरब 30 करोड़ है. इस देश में 22 भाषाएं बोली जाती है.भिन्न-भिन्न भाषा बोलने वालों के बीच कोरोना का मैसेज पहुंचाने में समाज के एक-एक जिम्मेदार नागरिक का काम है. वे बताते हैं कि भारत सरकार द्वारा किये जा रहे कोविड नियंत्रण की गतिविधियों कितनी प्रभावी तरीके संचालित की जा रही है.
प्रधानमंत्री की ओर से कोरोना नियंत्रण को लेकर अभी तक 29 बैठकें की गयी है. राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ निरंतर स्थिति की समीक्षा की गयी. कोरोना को लेकर गठित मंत्रियों के समूह के साथ 28 बैठकें प्रधानमंत्री ने किया है. केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ 126 बैंठकें कर चुकी है. तकनीकी कोर कमेटी की 55 बैठकें हो चुकी है. कोरोना को लेकर इम्पावर ग्रुप बनाया गया है. उन्होंने बताया कि देश में कोरोना नियंत्रण को देखते हुए देश में स्वास्थ्य संरचना में निरंतर विकास किया गया. इसके लिए देश में करीब 18 लाख आइसोलेशन बेड बनाये गये. आइसीयू बेड की संख्या बढ़ाकर एक लाख की गयी. भारत में पीपीई किट निर्माण में शून्य की स्थिति में था. वर्तमान में देश के अंदर एक हजार से अधिक पीपीई किट निर्माता कंपनियां उत्पादन का काम कर रही हैं. कोरोना नियंत्रण को लेकर रणनीति तैयार होती रही. स्थिति यह है कि अभी तक कोरोना को लेकर 127 प्रकार की गाइडलाइन जारी की जा चुकी है. कोरोना नियंत्रण में इनफॉर्मेशन तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है. मैनपावर तैयार करने की दिशा में 16 मिलियन लोगों को प्रशिक्षित किया गया है.
सरकार द्वारा कोरोना नियंत्रण की दिशा में सभी सेक्टर के लोगों का सहयोग ले रहा है. इसमें निजी क्षेत्र के चिकित्सकों के सहयोग के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के साथ काम किया जा रहा है. देश में 90 हजार स्वयंसेवी संगठनों के साथ बात की जा रही है और उनका सहयोग लिया जा रहा है. पंचायतीराज संस्थाओं और महिला स्वयं सेवी संगठनों का सहयोग लिया जा रहा है. देश में किये गये सामूहिक प्रयास का परिणाम है कि जहां अमेरिका जैसा साधन संपन्न राष्ट्र में प्रति 10 लाख पर 10 हजार लोगों की कोरोना से मौत हुई है वहीं भारत में प्रति 10 लाख की आबादी पर सिर्फ 462 लोगों की मौत हुई. अमेरिका में 10 प्रतिशत आबादी कोरोना से संक्रमित हुई तो उसकी तुलना में भारत में सिर्फ 2.2 लोग ही संक्रमित हुए. भारत ने 158 दिनों में देश के 29 करोड़ नागरिकों का वैक्सीनेशन किया तो अमेरिका में 29 करोड़ लोगों के टीकाकरण में कुल 165 दिन लग गये.
कोरोना टीकाकरण को लेकर अक्सर कई प्रकार के सवाल पूछे जाते हैं. लोगों में भ्रम है कि टीका लेने के बाद किसी तरह का कुप्रभाव पड़ता है. सच तो यह है कि अभी तक जिन लोगों को टीका दिया जाता है उनमें शरीर में हल्का दर्द होने, हल्की बुखार होने की शिकायत मिलती है. इसको लेकर टीकाकरण के बाद उनको आधे घंटे तक टीकाकेंद्र पर ऑब्जर्वेशन के लिए रखा जाता है. देश में कोरोना का 29 करोड़ लोगों को टीका दिया गया है जिसमें सिर्फ एक मौत की पुष्टि हुई है. साथ ही इससे न तो प्रजनन क्षमता या किसी अन्य प्रकार को जोखिम है. कोरोना का टीकाकरण में अभी गर्भवती महिलाओं को शामिल नहीं किया गया है. हां दूध पिलानेवाली माताओं का टीकाकरण किया जा रहा है. इसके अलावा कॉकटेल वैक्सीनेशन की बात की जा रही है. वैज्ञानिकों द्वारा अभी तक इस प्रकार का अध्ययन नहीं किया गया है जिससे कोई व्यक्ति अगर कोविशिल्ड या कोवैक्सीन का पहला डोज लेता है तो उसे दूसरे डोज के तौर पर पहले डोज से अलग वैक्सीन ले. पहले डोज वाले वैक्सीन का ही दूसरा डोज लिया जाना प्रमाणित है. कोरोना वैक्सीन निर्माता कंपनियों द्वारा भी इस प्रकार का अध्ययन नहीं किया गया है. देश में अब 21 जून से 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को मुफ्त वैक्सीन देने की व्यवस्था की गयी है.
----*(लेखक वरिष्ठ पत्रकार)
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