उ जुग गेलो
बात- बात में लाल- पीअर तू देख लाबह$ आंख।
रह लो न अब उ जुग बाबू , कर दे तो कोई साफ़।।
तोहरा से कोई कम न हेअब ,तू का ह ओकरो गम न हे।
संभल के चलब तभे निबहब, तोहरा में कोई दम न हे ।।
तोहरे ला हम आज कही थी, जे दिल में हल साफ कही थी।
बात "विवेक" के खूब तू बुझिह$, बीन मतलब के कभी न जुझिह$।।
जे दिन बीत लो उतो गे लो, ओकर झंझट छोड़$।
आबे बाला के दिन देख, तू अप्पन जिनगी के जोड़$।।
डॉक्टर विवेकानंद मिश्र
डॉक्टर विवेकानंद पथ,
गोल बगीचा गया, बिहार
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