पैर, पग, कदम जैसे अनेक शब्द हिन्दी, संस्कृत की शान हैं, मूल भाव एक ही है मगर अलग अलग जगह अलग शब्द.
छूकर चरण तुम्हारे
छूकर चरण तुम्हारे, जीवन पथ पर कदम बढाऊँगा,
छोडकर राह में चिन्ह पदों के, आगे बढता जाऊँगा।
थककर हो गये गर पैर भारी, कुछ क्षण विश्राम कर,
फिर से आगे बढ चलूँगा, मन्जिलों तक जाऊँगा।
खेलते कुछ लोग लंगडी, कुछ लगाते तंगडी भी,
मानवता का पैगाम दूँगा, इन्सानियत समझाऊँगा।
बाप की जब लात पडती, संदेश छुपा होता वहाँ,
खामियाँ अपनी मिटाकर, जल्द सुधर जाऊँगा।
टाँग कभी अडाता नही, प्रभु का जब काम हो,
घुंघरू बाँध निज पगों में, नृत्य में रम जाऊँगा।
धारण करूँ निज हृदय में, सदा प्रभु पाद को,
ऐसी कृपा हो ईश की, फिर कर्म में रम जाऊँगा।
अ कीर्तिवर्धनदिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
1 टिप्पणियाँ
Bahut sundar
जवाब देंहटाएंदिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com