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खिलौने और भोला

खिलौने और भोला 

मालती ने तुनकते हुए रूखे स्वर मे कामवाली बाई को ताना मारा-

' कम्मो ! ठीक है तू मेहनत करके कमा रही है और बेटे को कान्वेंट मे पढ़ा रही है अच्छी बात है लेकिन उसे अच्छे संस्कार भी तो दे '

कम्मो एकदम सहम गई फिर डरते हुए पूछा-

' मैडम ! मेरे भोला से कोई गलती हो गई क्या ? कल से उसे साथ लेकर नहीं आऊँगी वो तो परीक्षा खत्म हो गई आज इसलिए -- वैसे क्या किया उसने मैडम जी ?'

' किया तो कुछ नहीं इतना बड़ा हो गया है फिर भी बड़ों के बात की कोई कद्र नहीं कब से नीरव उसे अपने साथ खेलने को कह रहा है तीन चार

 किस्म के शानदार इलेक्ट्रॉनिक खिलौने  भी निकाल कर ले आया लेकिन उसने खेलने से मना कर दिया मैंने भी उससे कहा लेकिन वह टस का मस नहीं हुआ ऐसी भी क्या जिद '

इस पर कम्मो ने भोला को डाँटते हुए पूछा-

' क्यों भोला ! घर मे तो दिनभर खिलौनों की रट लगाये रहता है यहाँ भैया के साथ खेलने मे क्या परेशानी है ज्यादा समझदार मत बन जा चुपचाप खेल'

दस बर्षीय भोला होले से बोला-

'  मै नहीं खेलूँगा '

तभी मालती बोली-

' देख ले अपने बेटे को अभी से बात नहीं मानता है बड़ा होकर न जाने क्या करेगा '

अबकी कम्मो बरस पड़ी भोला पर-

' पड़ेगी एक सब खेलने लग जायेगा बता क्यों नहीं खेलेगा ?'

' मम्मी ! ये सभी खिलौने चायना मेड है और स्कूल मे सर ने बताया है कि चायना के कारण हमारे कई सैनिक बेवजह शहीद हो चुके हैं  इसलिए वहाँ के सामान का उपयोग करना देशभक्ति के प्रति लापरवाही व सेना का अपमान है'
              भोला के मुख से सत्य सुन मालती  झेप गई अब भोला उसे अपने से कहीं ज्यादा समझदार और  बड़ा नजर आ रहा था.

उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है
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