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पति की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष पूजा की गयी

पति की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष पूजा की गयी

शेखपुरा: सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री के पावन मौके पर बृहस्पतिवार को विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना कर ईश्वर से पति की दीर्घायु होने की मंगल कामनाएं की। इस तरह के धार्मिक गतिविधि से क्षेत्र का माहौल भक्तिमय बना रहा। इस दौरान सुबह से ही विवाहित महिलाओं ने एक थाली में गुड़, भीगे हुए चने, मिठाई, कुमकुम, रोली, मोली, विभिन्न प्रकार के फल, पान का पत्ता, धुप, घी का दीया, जल, हाथ पंखा आदि लेकर बरगद पेड़ के नीचे पहुंचकर पेड़ की जड़ में जल, फूल, चन्दन, प्रसाद, धुप, दीपक चढ़ाकर एवं सच्चे मन से पूजा के बाद पंखे से वट वृक्ष को हवा कर सावित्री मां से पति के लिए दीर्घायु व स्वस्थ्य रखने की आशीर्वाद लिया। साथ ही बरगद के पेड़ के चारों ओर कच्चे धागे से या मोली से सात फेरे लगाकर प्रार्थना की एवं पति को परमेश्वर मान कर आशीर्वाद प्राप्त की। शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में पूजा को लेकर महिलाएं काफी उत्साहित थी। इस अवसर पर महिलाओं को पंडित ने वट सावित्री पूजा के बारे में विस्तृत रूप से बताया तथा कथा सुनाई।

सुहागिन महिलाओं ने सावित्री कथा का किया श्रवण पान

शेखोपुरसराय प्रखंड के सभी गांवों की महिलाओं ने अपने पति के दीर्घायु होने के कामना करते हुए सोलह श्रृंगार कर वट वृक्ष की पूजा को किया। इस बाबत नीमी देवी स्थान के पुजारी संतोष पाण्डेय ने बताया की इस पर्व को खासकर सुहागिन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु के लिए रखती है। इस पर्व को ज्येष्ठ महीने के अमावस्या तिथि को सोलाह श्रृंगार से सुसज्जित होकर महिलाएं विधिवत वट सावित्री की पूजा अर्चना कर कथा श्रवण करती है। उन्होंने बताया के इस पर्व को पतिव्रता स्त्री सावित्री ने सर्वप्रथम कर अपने पति सत्यवान को पुनर्जीवित कर लिया था। सावित्री ने अपने मृत पति के जीवित करने के लिए यमराज से याचना की थी यमराज ने सावित्री को तीन वचनों को देकर उनके सद्बुद्धि का इस्तेमाल कर उनके पति को पुनर्जीवित कर दिया था। आज भी भारतीय संस्कृति का यह पावन पर्व भारतीय महिलाओं के द्वारा हर्षोल्लास के साथ किया जाता है।
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