मां का आंचल
मां तेरे यह फैले आंचल,
फैले और मटमैले आंचल,
दुनिया की पत्थरों और गमों को
हमेशा रोके यह तेरे आंचल,
ज्वालामुखी को भी रोके,
यह ऐसे ही हैं
मां तेरे आंचल।
रोक सकेगी मां----
क्या तुम उनको
छूने चले हैं मुझे
जो दूषित दुनिया के लोग।
नींद मिली है
उस आंचल में,
शांति और सुख के पल
हर्ष विनोद के क्षण।
जीवन क्या हम जान भी देंगे,
दौर चले हो हर्ष निनाद का
मेरे सारे दुख विरह को
क्या दौड़ सकेंगे तेरे आंचल
अपने आंचल में मुझे छुपा लो माँ
मां तेरे यह फैले आंचल।
धन्यवाद
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