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उठो और उस पर वार करो

उठो और उस पर वार करो


बाईस शहिदो को शब्द श्रद्धांजली।

मारे जा रहे हैं मेरे जवान,
बचा रह जा रहा शैतान।।
यह खेल कबतक चलेगा?
है पुछ रहा अब हिन्दुस्तान।।
       शेर शिवा का वंशज यह,
      अजेय राणा प्रताप प्रतापी।
      फिर भी कैसे बच जा रहा?
      इस पवित्र धरा पर पापी।।
इसी तरह से जब रक्षक,
अपने घर प्राण गंवायेगा।
फिर एक बार विचार करो?
यह देश कैसे बच पायेगा।।
      है समाज का जो विरोधी,
      उन सबको संहार करो।
      सन्धि का है ये समय नहीं?
      उठो और उस पर वार करो।।
क्षमा दया का पात्र नहीं वह,
केवल दण्डित करना होगा।
निज पौरुष के रण गर्जन से-
महिमा मंडित करना होगा।।
    उठ वीर आज इस वसुधा हित,
    केवल करने को धर्म युद्ध।
    जो है राष्ट्रद्रोह के साथ खडा-
    जीतने को उससे विषम युद्ध।।
---:भारतका एक ब्राह्मण.
   संजय कुमार मिश्र 'अणु'
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