मेरी लुगाई

---:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
आज मुझसे हीं
बिदक गई है मेरी लुगाई।
कारण यही है
चार दिन पहले आया भाई।
बहन को बतलाया
अभी हमें जाना है अौर अन्यत्र
खुद आ जाना लो निमंत्रण पत्र
यदि आ जाते हैं मेहमान
तो बता देना साईत,लगन,नक्षत्र
कहकर कि है नईहर में सगाई।
मैं जब पहुंचा घर
पड़ी पत्नी पर नजर
वह मुस्कुराकर बोली
अजी हमें जाना है नईहर
बुलाकर गाड़ी करिए विदाई।
मैंने खुब समझाया
सही ग़लत बताया
पर वह मेरी बात से हुई न राजी
आंखें तरेर कर झल्लाया
वह भी हमें खुब नखरे दिखाई।
बिना लितहर का जाना,
नहीं है ठीक जानेजाना
पर वह कुछ सुनने को नहीं तैयार
कही मत करो बहाना
हम जायेगें चाहे हो तो हो लडाई।
बताओ तो सही
है यह कौन सा उपाय
कि पत्नी को भी नईहर
कोई पति पहुंचाय
वह भी खर्च कर पाई-पाई।
वलिदाद,अरवल(बिहार)
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