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'प्लास्टिक मानव जीवन के लिए खतरे की घंटी': श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र में प्लास्टिक मुक्त भारत पर जागरूकता अभियान

'प्लास्टिक मानव जीवन के लिए खतरे की घंटी': श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र में प्लास्टिक मुक्त भारत पर जागरूकता अभियान

पटना। पटना स्थित श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र के सभागार में 'प्लास्टिक मुक्त भारत' अभियान को लेकर एक महत्वपूर्ण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। फाउंडेशन के संस्थापक और गांधीवादी विचारक प्रेम जी ने इंटर्नशिप कर रही 140 छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि "प्लास्टिक का उपयोग मानव जीवन के लिए खतरे की घंटी है।"

प्रेम जी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि माइक्रोप्लास्टिक अब हवा में घुल चुका है और चिंताजनक रूप से यह माँ के दूध तक पहुँच गया है, जो इसके तत्काल बंद किए जाने की आवश्यकता को दर्शाता है। उन्होंने स्वीकार किया कि प्लास्टिक हमारे जीवन में गहराई से समा गया है, लेकिन लोगों से आह्वान किया कि वे घर से कपड़े का झोला लेकर निकलने की आदत डालें।

समुद्री जीवों और पशुओं के लिए बड़ा खतरा:

कार्यक्रम में महावीर कैंसर संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. अरुण कुमार ने प्लास्टिक से होने वाले स्वास्थ्य और पर्यावरणीय खतरों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक न केवल समुद्र में समुद्री जीवों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि प्लास्टिक कचरे के कारण भारत में बड़े पैमाने पर पशुओं की मृत्यु हो रही है। उन्होंने एक सामान्य उदाहरण देते हुए कहा कि हम जिस टूथब्रश का उपयोग करते हैं, वह पाँच सौ वर्षों तक धरती पर बना रह सकता है, और माइक्रोप्लास्टिक अब हर जगह मौजूद है।

प्लास्टिक के विकल्प और निपटान पर जोर:

डॉ. अरुण कुमार ने प्लास्टिक का उपयोग कम करने की सलाह दी और इसके सही निपटान के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्लास्टिक कचरे से सड़क निर्माण और ईंधन तेल निकालने जैसी पहलों की जानकारी दी। उन्होंने विशेष रूप से घर में प्लास्टिक और एल्युमीनियम के उपयोग से बचने और प्लास्टिक की बोतलों की जगह मेटल की बोतलों का उपयोग करने का आग्रह किया।

कैंसर का कारण बन सकता है गर्म भोजन:

स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी देते हुए डॉ. कुमार ने कहा कि प्लास्टिक में गर्म खाना कभी नहीं खाना चाहिए, क्योंकि यह कैंसर का कारण बन सकता है। उन्होंने शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए हर व्यक्ति को मौसमी फल खाने या नींबू पानी पीने की सलाह दी। उन्होंने निष्कर्षतः कहा, "अब समय आ गया है कि हम प्लास्टिक को 'ना' कहें।"

छात्राओं ने भी अपने विचार साझा किए और बताया कि आज भी दक्षिण भारत में केले के पत्ते पर भोजन करने की परंपरा है और बिहार के छठ महापर्व में सभी प्रसाद मिट्टी के बर्तन में ही बनाए जाते हैं, जो दर्शाता है कि हमारे पूर्वजों ने हर कार्य को विज्ञान से जोड़ा था।

इस अवसर पर फाउंडेशन के प्रोग्राम ऑफिसर प्रेरणा विजय, ऋतिक राज वर्मा, ज्योति कुमारी, अंजू कुमारी, निकिता कुमारी, श्यामली कुमारी, डिम्पल कुमारी समेत सैकड़ों इंटर्न उपस्थित रहे।

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