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गाँधीजी के आह्वान पर

आज (19.8.2020 को) महाकवि आरसी प्रसाद सिह की जयन्ती है। वे एक वीर स्वतंत्रता सेनानी तथा हिन्दी- मैथिली के प्रखर कवि थे। उनकी 'जीवन का झरना' एक कालजयी रचना है!
उन्हें जयन्ती पर शत-शत नमन!
काव्य-पुष्प अर्पित है!
- योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे. पी. मिश्र)

महाकवि आरसी प्रसाद सिंह-जयन्ती-नमन
(19 अगस्त, 1911 - 15 नवम्बर, 1996)

गाँधीजी के आह्वान पर-

गाँधीजी के आह्वान पर-
जिसने विश्वविद्यालय त्यागा;
स्वतंंत्रता-समर में कूद जो -
देशभक्ति में प्राणपण लागा!


वह महाकवि-मनीषी आरसी-
अध्यापन, आकाशवाणी छोड़;
लिया अपने जीवन को एकमात्र-
कविता, साहित्य, संस्कृति से जोड़!


व्यक्तिवादी, गीति कविता की-
अजस्र धार बहानेवाले;
छायावादोत्तर कविता की-
प्रवह-प्रवृत्ति दिखानेवाले!


नारी रूपाकर्षण, रोमांस,
प्रेमजन्य उत्सुकता की ओर;
उत्तेजना, आस-निरास संग-
दी रचनाएँ वेदना विभोर!


आरसी उस निज धारावादी ने-
किया उजागर कविता रूप;
भाषा-प्रवाह, काव्य-शैली में-
थीं रचनाएँ जिसकी अनूप!


आरसी की चहकती कविताएँ,
जीवन-स्वर में बोलती हैं;
काव्य जीवन में घोलती हैं,
जीवन सुख-दु:ख से तौलती हैं!


रोमानी धारा में आनेवाली-
छायावाद से अलग हैं रचनाएँ;
नई प्रवृत्ति सूचित हैं करतीं-
आरसी की प्रगीत कविताएँ!


कलापी, संचयिता, पाञ्चजन्य,
नई दिशा, प्रेमगीत, नन्ददास;
संजीवनी, आरण्यक, कथामाला,
जीवन और यौवन, द्वन्द्व समास!


वीर कुँवर सिंह, रजनीगंधा, 
चाणक्य-शिक्षा, बदल रही है हवा;
युद्ध अवश्यम्भावी है के साथ-
मैं किस देश में हूँ से भी खफा!


आस्था का अग्निकुंड, भारत सावित्री,
कलम और बंदूक, जीवन का झरना;
जगमग, बाल गोपाल, हीरा-मोती,
कागज की नाव, सोने का झरना!


वह कवि आरसी प्रसाद सिंह,
हिन्दी, मैथिली भाषा विभूति;
बिहार क्या सारा देश ही-
गर्वित है पा जिसकी सुकृति!


रागात्मकता, भाव सबलता,
तीक्ष्ण अनुभूति गुण से पूर्ण;
आरसी का संपूर्ण काव्य-
है जीवन-रस से परिपूर्ण!


उस आरसी प्रसाद सिंह को-
सुधी-समाज का है नमन;
जयन्ती पर महाकवि को है-
हिन्दी-मैथिली काव्य का नमन!

- योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे. पी. मिश्र)
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