मंडल कमीशन सामाजिक समानता के लिए नहीं बल्कि राजनीतिक चाशनी के लिए था:- रावेन्द्र ।
आरक्षण विरोधी आंदोलन की सामाजिक संगठन समानता परिषद के अध्यक्ष पंडित रावेन्द्र तिवारी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि देश में पहली गैर कांग्रेसी सरकार के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई जी ने मंडल कमीशन बना कर लंबी राजनीतिक पारी खेलना चाहते थे किन्तु दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ और श्रीमती इंदिरा गाँधी जी के नेतृत्व में सरकार बन गई श्रीमती गांधी के हत्या के बाद राजीव गांधी जी ने सरकार बनाई किन्तु मंडल कमीशन जैसे जातिवादी चाशनी से खुद को दूर रखा पर जनता दल के सरकार में आते ही इसे विश्वनाथ प्रताप सिंह ने 7 अगस्त 1990 को संसद में OBC को 27 % आरक्षण देने की घोषणा के साथ मंडल कमीशन की सिफारिश को स्वीकार करके बड़ी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को जन्म दे दिया जो आज भारतीय राजनीति के लिए अभिशाप साबित हो रहा है ।
मंडल कमीशन के सिफारिश के पूर्व अनुसूचित जाति जन जाति के लिए 22,5% आरक्षण की ब्यवस्था रखी गई थी जो OBC के 27%आरक्षण के साथ 49,5% तक पहुँच गई ऐसे में बेरोजगारी की मार झेल रहे सामान्य वर्ग के युवा आन्दोलन के लिए मजबूर हो गये ।
सामान्य वर्ग के बेरोजगार नौजवानों का देश की जनता ने आरक्षण विरोधी आंदोलन भी नजदीक से देखा और बलिदान भी देखा जब राजीव गोस्वामी सुरेन्द्र सिंह चौहान शमा गुप्ता मोनिका चढ्ढा जैसे सैकड़ों आन्दोलन कारियों ने अपने प्राणों की आहुति देते हुए देश के राजनीतिक दलों को उनके भूल का अहसास दिलाया ।
आरक्षण ब्यवस्था पर देश की सर्वोच्च न्यायालय ने अनेकों बार टिप्पणी की जिसमें हाल की टिप्पणी अति विशेष है माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है यदि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं तो फिर इसे संवैधानिक मान्यता क्यों है भारतीय संसद के द्वारा आरक्षण की ब्यवस्था तो दी गई किन्तु दुर्भाग्य से इसके समीक्षा के लिए कोई प्रावधान नहीं रखा गया यही कारण है कि आज दलित दलित को सोषण कर रहा है पिछड़ा पिछड़ा का सोषण कर रहा है सोषण की इस जंग में देश का सामान्य वर्ग पिस रहा है क्योंकि जिन तर्को के साथ आरक्षण ब्यवस्था को लागू किया गया वह तर्क आज की राजनीतिक चाशनी में गर्त में मिल गया है ।
अनुसूचित जाति जन जाति के आरक्षण की बात हो या फिर पिछड़ा वर्ग के आरक्षण की बात हो एक भी परिवार न ही सामाजिक समानता हासिल कर पाया न ही एक बार आरक्षण का लाभ लेकर दूसरी पीढ़ी ने त्याग किया यनि पीढ़ी दर पीढ़ी आरक्षण का लाभ लेकर सिर्फ और सिर्फ सामान्य वर्ग को कमजोर बनाया जा रहा है जिसके चलते सामान्य वर्ग की प्रतिभा का सोषण हो रहा है जो देश के लिए समाज के लिए घातक सिद्ध होगा और समानता की जगह वर्ग संघर्ष को बढ़ावा मिलेगा अतः जरूरत इस बात की है कि पिछली गल्तियों को सरकार सुधार करे तथा आरक्षण की जगह संरक्षण की ब्यवस्था को लागू करे कोई भी जरूरत मंद किसी भी जाति धर्म का हो सरकार उसे हर संभव मदद करे किन्तु प्रतिशत की छूट देकर प्रतिभा का अनादर न करे यही भारत सरकार से हम माँग करते नहीं ।
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