डर लगता है बात करने में भी
दरवाजे पर बहुत देर से कुण्डी खटखटाने की आवाज सुनकर मैंने अपने मुण्डेर से आवाज दी ,कौन?बाहर से जानी पहचानी आवाज आई बाबा मैं "गजोधर"।इतना सुनना था मैं सोंचने लगा आखिर इस कोरोना काल में गजोधर भाई घर पर कैसे आ गये?इधर तो जबसे लौकडाउन शुरु हुआ है बराबर फोन पर बातें होती रहती थी।ये अचानक बिना किसी सूचना के घर पर आना जरूर कोई विशेष बात होगी।चलो चलकर देखते हैं।सोंचते सोंचते मैं अपने घर के तीसरे माले से सीढ़ियों से उतरता हुआ मुख्यद्वार पर पहुँच गया और जैसे ही दरवाजा खोला गजोधर भाई सामने खड़े दिखे।मुँह लटकाये उदास चेहरा दुखी भाव झलक रहा था।मैंने दरवाजा खोलते ही आश्चर्यजनक भाव में पूछा का गजोधर भाई सब समाचार ठीक है न!घर पर सब कुशल मंगल तो है न।बच्चों का क्या हाल है!मेरी इतनी बात पर मेरी बात को काटते हुये गजोधर भाई ने कहना आरंभ किया ....हाँ बाबा सब ठीक है।आपके आशीर्वाद से घर में सब कुशलमंगल है।लड़कन भी सब स्वस्थ और सुखी है।मैंने कहा ,तो इस समय अचानक आने का मतलब?इधर तो जब से लाकडाउन हुआ है आप भी मेरी ही तरह पूर्ण सुरक्षित रहते हुये घर से ही फोन पर बात कर लिया करते थे!फिर आज अचानक बिना कोई बात किये सीधे घर ही आ गये ,अरे फोन से ही बतिया लेते ,जो काम था कह देते पचास पार के आप हो चुके हैं अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना न चाहिये।इतना कहना था मुझे कि गजोधर भाई रुआँसे होकर बोलने लगे,न बाबा अब कहियो किसी से फोन पर बात नहीं करेंगे।बड़ा मन घबराता है किसी से फोन पर बात करने में।अब किसी पर भी विश्वास का जमाना नहीं रहा।मित्र के वेश में कौन शत्रुता कर रहा है कहना बड़ा मुश्किल हो गया है।आदमी मित्रता वश फोन पर भी हर तरह की बात कर लेता है।मानव स्वभाव वश बोलने के क्रम में कुछ सही गलत बोल ही देता है।मेरा तो स्वभाव आप जानबे करते हैं ,हम खुले विचार के आदमी हैं।मन में किसी के लिये कुछ रखते नहीं हैं जो बात होता है सब साफ साफ बोल देते हैं।हाँ बी.पी.के पेशेंट हैं कभी कभी किसी बात को लेकर बेवजह जब कोई छेड़ देता है जानबूझकर तो ,कुछ उल्टी सीधी बातें भी बातों बातों में बोल देता हूँ किसी के लिये।ये जानकर कि आप मेरे मित्र हैं इस बात को अपने तक ही सीमित रखेंगे।गजोधर भाई की आज इस प्रकार के दर्दभरी बातों को सुनकर मैं हतप्रभ रह गया ।अचानक ध्यान गया अरे ई का!अभी तक दरवाजे पर खड़े खड़े ही बातें कर रहा हूँ !मैंने उन्हें कहा आईये बैठकर बातें करते हैं ऐसे खड़ा खड़ा बात करना अच्छा नहीं लग रहा है।उन्हें लेकर बैठकखाने में चला गया और आमने सामने कुछ दूरी बनाते हुये सोफे पर बैठकर बातें होने लगीं।मैंने यह कहते हुये कि गजोधर भाई घर में कोई है नहीं।पत्नी बेटे के पास लाकडाउन मे फँसी हैं,बच्चे सब बाहर ही हैं,मैं अकेला ही हूँ ।यदि आप कहें तो चाय बनाकर लाऊँ?फिर बातें होती रहेंगी।गजोधर भाई ने सिरे से मेरे प्रस्ताव को नकारते हुये कहा नहीं रहने दीजिये बाबा आप कष्ट काहे को कीजिएगा।मैं अभी घर से चाय पीकर ही चला हूँ।मन बड़ा उदास था इसीलिये चला आया सोंचा अब फोन से तो किसी से बात करनी नहीं है तो चलें इसी बहाने आपसे मुलाकात भी हो जयेगी ,हाल समाचार भी हो जायेगा,इसीलिये चला आया और कोई बात नहीं है।अरे कल से मन बड़ी अकबक लग रहा था।एक मेरे नौजवान मित्र हैं ।स्वभाव से अच्छे ही हैं।आज तक कोई शिकायत भी उनसे कभी नहीं रही।बराबर हमदोनों की बातें मोबाईलफोन पर होती रहती थीं।हर मुद्दे पर खुलकर बातें होती थीं।कभी सामाजिक कभी राजनैतिक कभी किसी मित्र के स्वभाव संबंधी कभी कभी आपके विषय में भी अच्छी बुरी बातें होती ही रहती थीं।कमी बेसी सबमें होता है।इंसान कोई भी हो शत प्रतिशत कोई दूध का धुला थोड़े ही होता है।फिर मैत्री में व्यक्ति हर विषय में खुलकर बात करता ही है।आपसे भी तो फोन पर कै बार किसी के बारे में उसकी अच्छी बुरी हर बातों की चर्चा होती ही रहती है।लेकिन आज तक न तो आपने या हमने कभी एकदूसरे की बातों को कहीं रखा न किसी को बताया।जो आपने कहा वो मेरे पास जो मैंने कहा वो आपके पास आई गई बात हो गई।लेकिन कल तो उस नौजवान मित्र ने बड़ा गजब का खेल खेला मेरे साथ।मैंने उसकी इस हरकत को देखकर सभी मित्रों से अपना विश्वास ही खो दिया।मित्र को छोड़िये अब तो अपने परिवारो से मोबाईल पर बतियाने में डर लग रहा है।पता नहीं कौन मेरी बातों को टेप करके कब एक नया बखेड़ा खड़ा कर दे।मैने इतना सुनने के बाद गजोधर भाई से फिर पूछा आखिर जब आपलोग इतने अच्छे मित्र हैं तो फिर ऐसा क्या हो गया ,उन्होंने ऐसा क्या कर दिया आपके साथ कि अचानक आप इतने परेशान हो गये और किसी से भी मोबाईल पर बात न करने की बात सोंच ली!गजोधर भाई बड़े दुखी मन से बोलने लगे बाबा ऐसे लोगों को तो अब मित्र कहने में भी शर्म महसूस हो रही है।मित्र बड़ा ही विश्वासी होता है,जो विश्वासघाती हो वो भला मित्र कैसे हो सकता है?उन्होंने मेरे और उनके बीच किसी सामाजिक मुद्दे पर हुई बात का आडियो टेप एक सामाजिक पटल पर डालकर मेरी छवि धुमिल करने जैसा घृणित कृत्य किया।और आप तो जानते ही हैं जब इस तरह की बातें कहीं भी किसी सामाजिक पटल पर आती हैं तो कुछ नाकारा और बेकार किस्म के लोग उसमें नमक मिर्च लगाने को पहले से तैयार बैठे रहते हैं।कुछ तो ऐसे भी लोग होते हैं जिनको अपने अगर लिखना नहीं भी आता है तो दूसरे से लिखवा कर भी अपने नाम से फारवर्ड करने में अपना शान समझते हैं।ऊ तो कहिये कि समय पर कुछ सज्जन पढ़े लिखे समझदार लोग जिन्हें सामाजिक बुराइयों की परख होती है अगर उपस्थित होकर ऐसे कुकृत्यकर्मियों का नकेल न कसें तो आदमी अपने में मर कट जायेगा!इस घटना को लेकर कल से मन बड़ा खिन्न लग रहा था इसीलिये आपके पास आ गये बाबा।माफ कीजियेगा अब जो भी बात हमको या आपको करनी होगी आमने सामने ही करेंगे मोबाईल से नहीं।कौन चाहेगा बात का बतंगड़ बनाना।चलते हैं बाबा अब किसी पर भी विश्वास नहीं रहा।दुनिया बड़ी जालिम है।मित्र के वेश में कब शत्रु प्राण भी ले लेगा कहना बड़ी मुश्किल है।शत्रु कौन मित्र कौन इस कलियुग में पहचानना बहुत टेढ़ा है।राम राम।अगर कुछ गलती कहे होंगे तो माफ कीजियेगा।गजोधर भाई तो चले गये साथ में एक प्रश्न छोड़ गये सामाजिकों के मंथन के लिये।
......मनोज कुमार मिश्र"पद्मनाभ"।
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