कैद में श्रीकृष्ण जन्मभूमि
क्या पता कब मुक्त होगी आयेगी वह शुभ घड़ी !
आतताई जुल्मियों ने बांधकर बंधक रखा ।
हैं पड़े लाचार अबतक बालपन के सब सखा ।।
तोड़ने आयेंगे कब माता-पिता की हथकड़ी !
जन्मभूमि मुक्त होगी आयेगी वह शुभ घड़ी !
कूदकर यमुना में लाये आप विषधर नाथकर ।
स्वयं गोबर्धन उठाकर है दिखाया हाथ पर ।
नाश असुरों का किया लीला तुम्हारी है बड़ी !
मुक्त होगी जन्मभूमि आएगी वह शुभ घड़ी !
एक बार अबकी कन्हइया आ भी जाओ तो सही !
कैद में है जन्मभूमि अब भी तेरी रो रही ।।
हाथ जोड़े आस में सम्पूर्ण जनता है खड़ी ।
क्या पता कब मुक्त होगी आयेगी वह शुभ घड़ी ।।
आ गया है अब समय कलयुग में एक अवतार का ।जन्मभूमि जोहती है आस अब उद्धार का ।।
चाहते चितचैन नैनन की नजर तुम पर गड़ी ।
मुक्त कर दो जन्मभूमि होगी यह कृपा बड़ी !
कवि चितरंजन 'चैनपुरा' , जहानाबाद, बिहार, दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
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