डॉक्टर का काम 24 घंटे मरीज़ की जान बचाना है
हमारे संवाददाता नीरज कुमार पाठक की खबर
लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को हुई जो कोविड-19 से अलग अन्य बीमारियों से जूझ रहे थे। हर जगह ज़्यादातर क्लीनिक और प्राइवेट अस्पताल बंद थे। डॉक्टर भी कोरोना के डर से मरीज़ों की जांच नहीं कर रहे थे।
लेकिन महीनों चले लॉकडाउन के बीच पटना के डॉ. राजीव रंजन का क्लीनिक एक दिन के लिए भी बंद नहीं हुआ। बल्कि अगर उन्हें किसी मरीज़ के लिए उनके घर भी जाना पड़ता तो वह ज़रूर जाते क्योंकि उनके लिए मरीज़ की जान ज्यादा ज़रूरी थी।
वह कहते हैं, "मुझे हमेशा मेरी माँ की बात याद आती है जो उन्होंने मेरे एमबीबीएस पूरा होने पर कही थी, 'बेटा, डॉक्टर का काम 24 घंटे मरीज़ की जान बचाना है। यही दैविक सेवा है, भूलना मत।' मैं आज भी उनकी इस बात का अनुकरण करता हूँ।
"डॉ. रंजन खुद को एक मेडिकल एक्टिविस्ट मानते हैं और हमेशा से उनकी कोशिश सिर्फ अपने मरीज़ों की जान बचाने की रही है। उन्होंने बहुत से लोगों को टेलीमेडिकल काउंसलिंग भी दी। इस सबके दौरान उन्होंने अपनी सुरक्षा और दूसरों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा और सभी ज़रूरी दिशा-निर्देशों का पालन किया।
लॉकडाउन के दौरान उन्होंने लगभग 800 लोगों को ज़रूरी मेडिकल सेवा दी।
डॉ. राजीव रंजन के जज़्बे को द बेटर इंडिया सलाम करता है! दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
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