"गौरैया संरक्षण के विभिन्न आयाम” विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन 19 जुलाई को
इंसानों के घरों में कभी अपना बसेरा बनाने वाली नन्ही सी चिड़ियाँ ‘गौरैया’ आज विलुप्ति के कगार पर है। कहीं यह दिखती हैं तो कहीं विलुप्त हो चुकी है। आंकडे बताते हैं कि विश्वभर में घर-आंगन में चहकने-फूदकने वाली छोटी सी प्यारी चिड़िया गौरैया की आबादी में 60 से 80 फीसदी तक की कमी आई है। ब्रिटेन की रॉयल सोसाइटी ऑफ़ बर्ड्स ने भारत से लेकर विश्व के विभिन्न इलाको में शोध करवाया और गौरैया की विलुप्ति को लेकर रेड लिस्ट में उसे शामिल करवाया था। इसके संरक्षण के प्रति जागरूकता को लेकर दिल्ली और बिहार सरकार ने गौरैया को राजकीय पक्षी घोषित कर रखा है।
‘गौरैया’
संरक्षण
को लेकर पटना में एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन 19 जुलाई,
रविवार को भारतीय प्राणी सर्वेक्षण,गंगा
समभूमि प्रादेशिक केंद्र, पटना एवं हमारी गौरैया : संरक्षण हमारी पहल,
पटना
के संयुक्त प्रयास से किया जा रहा है। "गौरैया संरक्षण के विभिन्न आयाम” विषय
पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार को देश भर के जाने-माने विशेषज्ञ संबोधित करेंगे।
आयोजक डॉ गोपाल शर्मा, प्रभारी,
भारतीय
प्राणी सर्वेक्षण, गंगा
समभूमि प्रादेशिक केंद्र, पटना और संजय कुमार,
हमारी गौरैया : संरक्षण हमारी पहल, पटना
के संयोजक ने बताया कि इस वेबिनार को मुख्य अतिथि वक्ता के तौर पर गुजरात के चर्चित
स्पैरोमैन जगत कीनखाबवाला संबोधित करेंगे। गौरैया संरक्षण में जगत कीनखाबवाला का
विशेष योगदान हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके कार्यों की चर्चा ‘मन
की बात’
कार्यक्र्म में कर चुके हैं। अन्य वक्ताओं में डा. गोपाल शर्मा-
वैज्ञानिक
एवं प्रभारी अधिकारी, भारतीय
प्राणी सर्वेक्षण, भारत
सरकार,
अरविन्द मिश्रा-सदस्य,
आई.बी.सी.एन.
एवं पक्षी विशेषज्ञ, भागलपुर,
डा. समीर कुमार सिन्हा- उपनिदेशक, वाइल्ड
लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया, नई
दिल्ली, संजय
कुमार-गौरैया
संरक्षक-लेखक, पटना,
निर्मल शर्मा-स्पैरो
सेवर-लेखक,
उत्तर प्रदेश, ओम
सिंह- अध्यक्षा, चैतन्य
वेलफेयर फाउंडेशन, लखनऊ,
मनोज कुमार-वरीय पत्रकार पटना,
सूदन सहाय-पर्यावरणविद, अररिया, और दिनेश कुमार-निदेशक पी.आई.बी. शामिल हैं।
यों तो
विश्व गौरैया दिवस वर्ष 2010 से ही गौरैया संरक्षण की दिशा में व्यक्तिग्त,
संस्थागत,
सरकारी और निजी पहल शुरू हो गयी थी और आज बड़ी संख्या में लोग सक्रिय हैं । वेबिनर
के सभी वक्ता किसी न किसी रूप से गौरैया
संरक्षण से जुड़ें हैं और लगातार संरक्षण की दिशा में काम कर रहे हैं। वेबिनर के
दौरान ये अपने अनुभव को भी साझा करेंगे ताकि गौरैया संरक्षण की दिशा को गति मिले ।
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