वृक्षारोपण (लघुकथा)
मीरा जैन
अरे हरिया ! तू यह क्या कर रहा है कल ही नेता जी ने यहां ढेर सारे पौधे लगा वृक्षारोपण का नेक कार्य किया हैं ताकि हमारे गांव मे भी खूबसूरत हरियाली छा जाये और पर्यावरण शुद्ध रहे, देख अखबार में फोटो भी छपी है एक तू है कि इन पौधों को उखाड़ने में तुला हुआ है तेरी जगह और कोई होता तो मैं पुलिस के हवाले कर देता उन्होंने फोन कर मुझे इन पौधों की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा है समझा, चल भाग यहां से '
गांव के मुखिया की आवाज सुन हरिया ने सिर ऊपर उठाया और समझाइसी स्वर में जवाब दिया-
' मुखिया जी ! कल वृक्षारोपण के वक्त आप तो यहां थे नहीं, मैं ही था ये गढ्ढे भी मैंने खोदे हैं नेताजी ने तो केवल अखबार में छपने के लिए ही वृक्षारोपण किया है उसी काम को मैं अब अंजाम दे रहा हूं देखिए आपके पीछे आम, जाम, नीम, जामुन आदि के पौधे रखे हैं जिन्हें में यहां वहां से ढूंढ ढूंढ कर इन गड्ढों में लगाने के लिए लाया हूं और इन पौधों को देखिए जिन्हे उनके साथ आए लोग आनन-फानन में पास वाले खेत से कुछ पौधे उखाड़ लाये और नेताजी के हाथों लगवाते हुए फोटो खींचा और चले गए '
मुखिया जी की नजर जब उन पौधों पर पड़ी तो उनका तमतमाया चेहरा लटक गया क्योंकि वे पौधे भिंडी ,टमाटर ग्वारफली ,मिर्ची आदि के थे.
मीरा जैन
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