
माॅनसून की बारिश शुरू होते ही निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को अब बाढ़ का डर सताने लगा है। नदी किनारे बसे लोगों को पिछले सालों के बाढ़ की वो खौफनाक यादें ताजा होने लगी हैं। बाढ़ से तबाही का मंजर उनके आंखों के सामने फिर से घूमने लगा है। बता दें कि पिछले दो दिनों से रुक-रुक कर हो रही मूसलधार बारिश से निचले इलाके की नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है। नदियों का जलस्तर बढ़ते देख नदी इसको लेकर ग्रामीण रतजगा कर रहे हैं।
खासकर घाटकुसुम्भा प्रखंड के बटौरा, सुजावलपुर, गदबदिया, घाटकुसुम्भा, कोयला, मुड़बड़िया, बाउंघाट, पानापुर, प्राणपुर, जितपारपुर, महम्मदपुर, आलापुर गांव के किनारे से होकर बहने वाली हरोहर नदी में 8 से 10 फीट तक पानी बढ़ गया है। वहीं, हरोहर नदी में पानी का स्तर बढ़ते देख घाटकुसुम्भा प्रखंड क्षेत्र के नदी किनारे बसे लोगों को बाढ़ का भय सताने लगा है।
जिले में पिछले दो दिन से रुक-रुककर हो रही बारिश ने प्रखंड के ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बारिश की वजह से सड़क के नाम पर कच्ची पगडंडी डुब चुकी है। जिससे आधा दर्जन से अधिक गांवों का संपर्क प्रखंड मुख्यालय व जिला मुख्यालय से टूट चुका है। जिससे निचले इलाके के लोग बाढ़ से बचाव की तैयारी में अभी से ही जुट गए हैं।
पहली बारिश में ही नवनिर्मित पुल का अप्रोच पथ टूटने से आवागमन बाधित
वहीं, पानापुर के ग्रामीण बताते है कि बाउघाट और पानापुर के मध्य बना नवनिर्मित पुल को एप्रोच के माध्यम से कच्ची सड़क से जोड़ा गया था जो पहली बारिश में ही टूट गया है। अगर थोड़ी ज्यादा बरसात होती है तो ये एप्रोच पूरी तरह से टूट जाएगा। जिससे उस पुल के द्वारा जो लोग पैदल आवागमन करते है। उनकी भी मुश्किलें बढ़ जाएगी।पिछले साल बाढ़ की त्रासदी झेल चुके पंचायत की दुर्दशा देखकर जिला प्रशासन सहित जनप्रतिनिधियों द्वारा पक्की सड़क मार्ग बनाने का आश्वासन मिला था। किंतु पूरा साल बीत जाने के बाद भी इस योजना पर किसी तरह का कोई कार्य नही हुआ। जिसकी वजह से पानापुर पंचायत निवासी फिर से अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को मजबूर है।
सुजवालपुर-गदबदिया पथ भी बारिश में डूबा, बढ़ी परेशानी
डीहकुसुम्भा पंचायत के सुजवालपुर और गदबदिया का आवागमन भी बारिश की वजह से ठप्प हो चुका है। कहने को तो यहाँ के नेताओं का जिला परिषद की कुर्सी पर 15 साल तक कब्जा रहा किन्तु राज्य सरकार के पक्ष-विपक्ष में रहकर भी मात्र तीन किलोमीटर की सड़क को मुख्य सड़क से जुड़वा नही पाए। जिससे ग्रामीणों में उनकी नाराजगी स्पष्ट रूप से देखने मिलती है। वहीं, स्थानीय विधायक व सांसद से हर बार इस सड़क को घाटकुसुम्भा व बटौरा से जोड़ने की मांग की जाती रही है। किंतु अभी तक रोड के नाम पर इन लोगो को सिर्फ आश्वासन ही मिला है।
जरूरी सामान स्टॉक कर रहे ग्रामीण
हर वर्ष बाढ़ की त्रासदी झेल चुके ग्रामीण नदियों की जलस्तर बढ़ते देख तंबू, अनाज, जलावन, गैस सहित अन्य जरूरी सामानों की स्टॉक में जुट गए हैं और ऊंचे स्थलों का चयन कर रहे है, ताकि बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने पर जान माल को नुकसान से बचाया जा सके। वहीं, बाढ़ से निबटने के लिए प्रशासन भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। पिछले बाढ़ से सबक लेकर प्रशासनिक अधिकारी पुख्ता तैयारी में जुटे हैं।
जहां अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में आवश्यक दवाएं आदि रखने की तैयारी कि जा रही है वहीं, नाव समेत अन्य जरूरी सामान की उपलब्धता पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। हालांकि राहत की बात यह कि फिलहाल नदियों का जल स्तर खतरे के निशान से काफी नीचे है। बाढ़ जैसी स्थिति अभी उत्पन्न नहीं हुई है। बावजूद एहतियातन तैयारी शुरू कर दी गयी है। नदियों पर हर पल नजर रखी जा रही है।
नदी किनारे बसे लोग है चिंतित
जलस्तर बढ़ने से निचले इलाके में नदी किनारे बसे लोग हर साल बाढ़ को लेकर चिंतित रहते हैं। निचले इलाके में बरसात के मौसम हर साल बाढ़ जैसी स्थिति रहती है, मगर पिछले साल पूर्व आयी भीषण बाढ़ ने जिस तरह भारी तबाही मचायी है उसकी मार से अब तक लोग उबर नहीं पाये हैं। नदी किनारे बसे चंदन कुमार, शाहिदा पासवान, सुरेन्द्र महतो ने बताया कि बाढ़ के वक्त हमेशा हमलोगों की निगाहें नदियों के जल स्तर पर रहता है।
पता नहीं कब सारा सामान समेट कर भागना पड़ जाये। नदी किनारे बसे लोग बाढ़ की तैयारी दो-तीन माह पूर्व से ही शुरू कर देते हैं। बताया कि यहां के वाशिंदे को हर साल बाढ़ से भारी नुकसान झेलनी पड़ती है। अब तो यहां के लोगों को बाढ़ झेलनी तो नियति बन चुकी है। मगर दु:खद यह कि प्रशासनिक स्तर से जो सहायता मिलनी चाहिए वो नहीं मिल पाता है।
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source https://www.bhaskar.com/local/bihar/patna/shekhapura/news/due-to-the-constantly-rising-water-level-in-the-harohar-river-the-villagers-who-live-near-the-shore-were-forced-to-do-the-ratajga-127428213.html
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