किसानों को बिचौलियों से मुक्ति लागू हुई ‘एक देश-एक
बाजार’ नीति
-शशिभूषण
कुंवर
हां अब किसानों को
भी देश के किसी भी मंडी में अपना उत्पाद बेचने की आजादी मिल गयी है. तमिलनाड़ु का
किसान कश्मीर में तो असम का किसान अपने उत्पादन को गुजरात में बेच सकता है.
केंद्र सरकार का “एक देश,एक बाजार” की नीति
के कारण यह संभव हो पाया है. अब किसान अपने उत्पादित फसलों के बेचने के लिए देश के
किसी राज्य के किसी भी बाजार तक जा सकता है. केंद्र सरकार द्वारा किसानों को यह एक
ऐसा बड़ा हथियार दिया गया है जिससे बिचौलियों की छुट्टी हो गयी है.
केंद्र की सरकार ने अभी तक देश को बदलने के लिए
कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं. उसी निर्णय के तहत एक देश और एक बाजार का फैसला भी
शामिल है. केंद्र सरकार ने किसानों को न सिर्फ बाजार दिया गया है बल्कि ऑनलाइन
पोर्टल के माध्यम से राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम) से देश के कृषि मंडियों को भी
जोड़ा है.
वित्त
मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने जब देश के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी, तभी किसानों को मिलनेवाले इस
लाभ का संकेत उन्होंने दे दिया था . तभी
उन्होंने एग्रीकल्चर फॉर्म में बदलाव की भी बात कही थी. एक देश एक बाजार शुरू होने के बाद अब किसानों को
अपनी फसल के लिए जहां भी ज्यादा दाम मिलेंगे, वे वहां अपनी फसल बेचने के लिए पूरी
तरह से स्वतंत्र हो जाएंगे. इस नीति को लागू करने के लिए सरकार ने एसेंशियल
कमोडिटी एक्ट 1955 में भी बदलाव कर दिया है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सरकार के इस
फैसले का इस प्रकार से स्वागत करते हुए कहा है कि किसानों के लिए यह राहत भरा एक
बड़ा कदम है. उन्होंने
कहा कि हमारे देश में अधिकतर छोटे किसान हैं और उन्हें अक्सर अपनी फसलों का उचित
दाम नहीं मिल पाता. उन्होंने कहा कि किसानों की हालत में सुधार लाने
के लिए केंद्र आवश्यक बदलाव कर रही है.
देश जितना विविधता
से भरा है, यहां की फसलों में भी उतनी ही विविधता है. देश में उत्पादित होने वाली
फसलें जिसका लाभ किसान उठा सकेंगे. गेहूं
के प्रमुख उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश, पंजाब
और हरियाणा शामिल है. चावल के उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़
और तमिलनाडु शामिल है. चने के
उत्पादक राज्यों में मध्य प्रदेश और तमिलनाडु है. जौ का
उत्पादन महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान
करते हैं. बाजरे का उत्पादन महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में होता है. नगदी
फसलों में गन्ना का उत्पादन उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र और बिहार के किसान करते हैं. पोस्ता का उत्पादन उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश
में किया जाता है. नारियल का उत्पादन केरल और तमिलनाडु करते हैं. अलसी का बीज मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में
उत्पादित होता है. इसी तरह मूंगफली का उत्पादन आंध्र प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु में किया जाता है. सरसों का उत्पादन करने वाले राज्यों में राजस्थान
और उत्तर प्रदेश शामिल है. तिल के उत्पादक राज्य उत्तरप्रदेश और राजस्थान हैं. सूरजमुखी
का उत्पादन महाराष्ट्र और कर्नाटक में किया जाता है. रेशेदार फसलों में कपास का उत्पादन महाराष्ट्र और गुजरात में किया
जाता है. इसी तरह से पटसन का
उत्पादन करने वाले बड़े राज्यों में पश्चिम बंगाल और बिहार शामिल हैं. रेशम का
उत्पादन कर्नाटक और केरल में किया जाता है. कॉफी का
उत्पादन कर्नाटक और केरल करते हैं. इसके
अलावा रबर का उत्पादन करने वाले राज्यों में केरल और कर्नाटक है. चाय का उत्पादन असम और केरल में किया जाता है. तंबाकू गुजरात महाराष्ट्र मध्य प्रदेश और बिहार
में किया जाता है. मिर्च
का उत्पादन केरल कर्नाटक, तमिलनाडु बिहार जैसे राज्यों में होता है. काजू का उत्पादन करने वाले राज्यों में केरल, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश शामिल है. अदरक
केरल और उत्तर प्रदेश उत्पादित करते हैं. हल्दी
का उत्पादन करने वाले राज्यों में आंध्र प्रदेश और ओडिशा शामिल.
कृषि विपणन को मजबूत
करने और किसानों को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से अपनी फसल की उपज बेचने की सुविधा
प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम) के साथ 177 नई मंडियों को जोड़ा
गया है. इसके तहत गुजरात (17), हरियाणा
(26), जम्मू और कश्मीर (1), केरल (5), महाराष्ट्र (54), ओडिशा (15), पंजाब (17), राजस्थान
(25), तमिलनाडु (1) और पश्चिम बंगाल (1) और 177 अतिरिक्त मंडियों के शुभारंभ के साथ, देश भर में ईएनएएम मंडियों की कुल संख्या 962 हो गयी है.
इससे पहले 17 राज्यों और 2 केंद्र
शासित प्रदेशों की 785 मंडियों
को ई-नाम के साथ एकीकृत किया गया था, जिसमें 1.66 करोड़
किसान, 1.30 लाख व्यापारी और 71,911 कमीशन एजेंट थे. ई-नाम
मंडी राज्य की सीमाओं से परे व्यापार की
सुविधा देता है। 12 राज्यों
में अंतर-मंडी व्यापार में कुल 236 मंडियों ने भाग लिया, जबकि 13 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों ने अंतर-राज्य
व्यापार में भाग लिया है, जिससे किसानों को दूर के व्यापारियों
के साथ सीधे बातचीत करने की अनुमति मिलती है। वर्तमान में, खाद्यान्न, तिलहन, रेशे, सब्जियों और फलों सहित 150 वस्तुओं
का व्यापार ई-नाम पर किया
जा रहा है. ई-नाम प्लेटफॉर्म पर 1,005 से अधिक एफपीओ पंजीकृत किए गए हैं और 7.92 करोड़ रुपये मूल्य के 2900 मीट्रिक टन कृषि उपज का कारोबार किया है.
कोविड-19 की लॉकडाउन स्थिति के दौरान डी-कंजेस्ट मंडियों के
लिए, एफपीओ ट्रेड मॉड्यूल, लॉजिस्टिक मॉड्यूल और ईएनडब्ल्यूआर आधारित
वेयरहाउस मॉड्यूल भी केंद्रीय
कृषि मंत्री द्वारा लॉन्च किया जा चुका है. तब से, 15 राज्यों के 82 एफपीओ
ने इसके साथ कारोबार किया है.
एकीकृत राष्ट्रीय
बाजार ने खरीदारों
और विक्रेताओं के बीच सूचना विषमता को दूर किया है. इससे वास्तविक मांग और आपूर्ति
के आधार पर वास्तविक तात्कालिक मूल्य की खोज आसन हो गयी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने “एक देश, एक बाजार” की नीति को लाकर यकीनन किसानों को
आर्थिक संबल प्रदान करने का काम किया है.
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