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सूनैईत ही

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सूनैईत ही
विनय मिश्र 
जमा लेली हे सूर - लगा देली हे ताल ..
देखीह मच जतअव अब धमाल ..
ये भइया -- ये भइया ..
भौजी करे लगलथू हे बवाल ..!
हिले लगल हे मन के छप्पर ..
डोले लगल हे दिल के दिवाल ..
जब से जमा लेली हे सूर ..
लगा देली हे ताल .. !
मीरा के बहिन मौसेरी ..
कृष्णा के साली हथू ..
खुद मे पूरा संगीतालय ..
ई जे तोर घरवाली हथू .. !
नैन नृत्य करे हईन ..
चितचोरनी हथू मृगनयनी ..
तू तोता बन मत फूला जा ..
रागिनी के सहेली हथू तोर मैनी .. !
दिरैंची के दीया भी देख देख ..
रौशनी संग डोले हइन ..
देखू ई कमबख़्त हवा ..
खिड़की के पल्ला खोलले हइन .. !
मंचे पर कुछ कहलक --
हवा के झोंका ..
झूम के गावइत देवरा के ..
देख्ईत हे हर घर के झरोखा .. !
चूड़ी दर चूड़ी के खनक सुनु ..
देंखू पगलाएल पायल के बवाल ..
जमा लेली हे सूर ..
जब से लगा देली हे ताल .. !
""""""""""""""""""""""""""""""""""""विनयबुद्धि"""""""""
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