Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

अमरनाथ गुफा से जुड़े कुछ रहस्य जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं?

अमरनाथ गुफा से जुड़े कुछ रहस्य जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं?

एक बार भगवान शिव माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर बैठकर कुछ वार्तालाप कर रहे थे तभी कुछ सोचते हुए माता पार्वती ने महादेव शिव से पूछा की आप तो अजर है , अमर है फिर ऐसा क्यों है की आप की अर्धांग्नी होने के बावजूद मुझे हर बार जन्म लेकर नए स्वरूप में आना पड़ता है, आपको प्राप्त करने के लिए बरसो कठिन तपस्या करनी पड़ती है। 

मुझे बताइए की आखिर आपको प्राप्त करने के लिए मेरी तपस्या और साधना इतनी कठिन क्यों ? तथा आपके कंठ में पड़ी इस नरमुंड माला और अमर होने का क्या रहस्य है। 

महादेव शिव ने पहले तो यह जरूरी नहीं समझा की उन्हें देवी पार्वती के इन प्रश्नों का उत्तर देना चाहिए, परन्तु उनके हठ के कारण शिव को कुछ गूढ़ रहस्य उनको बताने पड़े। 

शिव महापुराण में मृत्यु सहित अजर-अमर को लेकर कई बाते बताई गई है जिनमे एक साधना से जुडी अमरकथा पड़ी रोचक है। जिसे भक्तजन अमरत्व की कथा के रूप में जानते है। 

हर साल बर्फ से ढके हिमालय के पर्वतो पर स्थित अमरनाथ , कैलाश और मानसरोवर तीर्थ स्थलों में लाखो भक्तो की भीड़ जुड़ती है। अनेको भक्त श्रद्धा भाव से इन पवित्र तीर्थ स्थलों में पहुंचने के लिए सेकड़ो किलोमीटर की पैदल यात्रा कर यहाँ पहुंचते है. शिव के प्रिय अधिकमास, अथवा आषाढ़ पूर्णिमा से श्रावण मास की पूर्णिमा के बीच अमरनाथ की यात्रा भक्तो को खुद से जुड़े रहस्यों के कारण प्रासंगिक लगती है। 

शिव पुराण सहित अनेक हिन्दू धार्मिक ग्रंथो में यह बताया गया है की अमरनाथ की गुफा ही वह स्थान था जहाँ भगवान शिव ने माता पार्वती को जन्म-मृत्यु व अमरता से जुड़े गहरे एवं गुप्त राज बताए थे। उस दिन उस गुफा में महादेव शिव और माता पार्वती के अलावा कोई अन्य प्राणी नहीं था. ना महादेव शिव के वाहन नंदी, ना उनके गले में सर्प था, ना उनके जटा में चन्द्र देव ना देवी गंगा और नहीं उनके समीप गणेश व कार्तिकेय। 

जब महादेव शिव देवी पार्वती को गुप्त ज्ञान देने के लिए गुफा धुंध रहे थे तब उन्होंने सर्वप्रथम अपने वाहन नंदी को एक स्थान पर छोड़ा, जिस स्थान पर शिव ने नंदी को छोड़ा था वह स्थान पहलगाम कहलाया. पहलगाम से ही अमरनाथ की यात्रा आरम्भ होती है इसके बाद भगवान शिव ने अपनी जटाओं से चन्द्र देव को अलग किया. जहाँ चन्द्र देव शिव से अलग हुए वह स्थान चंदनवाड़ी कहलाती है। 

इसके बादगंगा जी को पंचतरणी में और कंठाभूषण सर्पों को शेषनाग पर छोड़ दिया, इस प्रकार इस पड़ाव का नाम शेषनाग पड़ा। 

अमरनाथ यात्रा में पहलगाम के बाद अगला पडा़व है गणेश टॉप, मान्यता है कि इसी स्थान पर महादेव ने पुत्र गणेश को छोड़ा. इस जगह को महागुणा का पर्वत भी कहते हैं. इसके बाद महादेव ने जहां पिस्सू नामक कीडे़ को त्यागा, वह जगह पिस्सू घाटी है। 

इस प्रकार महादेव ने अपने पीछे जीवनदायिनी पांचों तत्वों को स्वंय से अलग किया. इसके पश्चात् पार्वती संग एक गुफा में महादेव ने प्रवेश किया. कोर्इ तीसरा प्राणी, यानी कोर्इ कोई व्यक्ति, पशु या पक्षी गुफा के अंदर घुस कथा को न सुन सके इसलिए उन्होंने चारों ओर अग्नि प्रज्जवलित कर दी. फिर महादेव ने जीवन के गूढ़ रहस्य की कथा शुरू कर दी। 

कहा जाता है की महादेव के कथा सुनाते सुनाते देवी पार्वती सो गई परन्तु इस बात का महादेव को पता नहीं चला और उन्होंने अपनी कथा सुनानी जारी रखी. तभी वहां दो कबूतर भगवान शिव के आँखो से बचते बचाते उस गुफा में आ गए और उन्होंने भी उन गुप्त रहस्यों को सुन लिया जो भगवान शिव देवी पार्वती को बता रहे थे. भगवान शिव अपनी कथा सुनाने में मग्न थे अतः उनका ध्यान बिलकुल भी उन दोनों कबूतरों पर नहीं गया। 

दोनों कबूतर कथा सुनते रहे जब कथा समाप्त हुई और महादेव शिव का ध्यान देवी पार्वती पर गया तो उन्हें पता चला की वे तो सो रही है. तो आखिर कथा सुन कौन रहा था ? तभी भगवान शिव की नजर उन दोनों कबूतरों पर पड़ी जो भगवान शिव द्वारा सुनाये गये अमरत्व की कथा को सुन चुके थे। 

वे दोनों जानते थे की उन्होंने चुपके से शिव द्वारा माता पार्वती को सुनाई यह गुप्त कथा सुन ली है और इस कारण शिव उन पर क्रोधित है अतः वे दोनों कबूतर शिव के चरणों पर गए तथा कहा हे ! भगवान हमने आपसे यह अमरकथा सुनी है अगर यदि आप हमे मारते है तो यह अमरकथा झूठी हो जायेगी। 

अतः हमे क्षमा कर हमारा मार्गदर्शन करें। महादेव शिव ने मुस्कराते हुए उन कबूतरों से कहा की में तुम्हे वरदान देता हु की तुम दोनों शिव और पार्वती के प्रतीक चिन्ह के रूप इस गुफा में सदैव निवास करोगे. इस तरह ये दोनों कबूतर अमर हो गए और यह गुफा अमरकथा की साक्षी बनी. जिस कारण इस गुफा का नाम अमरनाथ पड़ा। 

मान्यता है की आज भी इन दोनों कबूतरों के दर्शन अमरनाथ गुफा में होते है और यह भी प्रकृति का ही एक चमत्कार है की शिव की विशेष पूजा वाले दिन इस गुफा में बर्फ के शिवलिंग अपना आकार ले लेते है। इस गुफा में स्थित बर्फ से निर्मित शिवलिंग अपने आप में एक चमत्कार ही है. अमरनाथ गुफा के अंदर एक ओर देवी पार्वती और भगवान गणेश की बर्फ से निर्मित प्रतिमा भी देखी जा सकती है।
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ