शायद मेरा
शायद मेरा!कोई राह देखता होगा
आते-जाते दरबाजे पे खड़ा होगा !
परिंदे! उड़ते-रहें ! नीली-आसमां में
आंखों में ख़्वाब कितना बड़ा होगा !
कबूतरों की तरह फड़फड़ाते हैं चाहत
वक़्त-उम्मीदों के मुँडेरे पे ठहरा होगा !
रुसबाईओ के दर्द से लिपटे हुये दामन
ज़ख्म बिछुड़ने का कितना गहरा होगा !
सुबह का सूरज!शाम-नदी में डूब जाता
फिर चाँदनी अक्स हुस्न का सेहरा होगा !
क्यूं-हसरतें गुम हो जातें खौफ अंधेरों में
नाकामियां!छल से,उसको भी घेरा होगा !
कोई! कैसे छुपाये-यौवन,अपने-बाहों में
हर मुकाम पे ढूढ़तें लोगों के पहरा होगा !
लोग- आपत्ति जताते रहें,बड़ी बेरुखी से
जो हाल मेरा,वही हाल भी तुम्हारा होगा !
परछाइयों के दामन भी- साथ- छोड़ देतें
जिंदगी!रात और दिन जैसा गुजारा होगा !
इंतजारे-बफा में क्या सुकून मिले-'सत्यार्क '
मुहबत से जीत के जिंदगी,कोई हारा होगा !
मौजूद- मैं- भी था!वहां पे- हमसाया बन के
जमी-आसमां मिलने की-क्या नजारा होगा !
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