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क्यों नही हम नीम पीपल और तुलसी बो रहे,

क्यों नही बरगद लगाते, आम जामून बो रहे?
क्यों नही हम नीम पीपल और तुलसी बो रहे,
है अजब सी मानसिकता, स्वार्थ में मानव घिरा,
काटकर वन वृक्ष धरा से, नागफनी को बो रहे|
कह रहे सब वायू प्रदूषित, जीना दूभर है यहाँ,
विनाश कर प्रकृति का, कंकरीट धरा पर बो रहे?
कैसे बढे उत्पादन यहाँ, बस यही चिन्ता सताती,
लाभ की खातिर जमीं में, जहर क्यों हम बो रहे?



अ कीर्ति वर्धन
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