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मेधावी की मार्केटिंग, कोचिंग संस्थाओं का मायाजाल:-

मेधावी की मार्केटिंग, कोचिंग संस्थाओं का मायाजाल:-अखिलेश कुमार 


 कोचिंग संस्थाओं के संचालकों द्वारा अपनी दुकानदारी चमकाने के लिए मेधावी छात्र छात्राओं के भावनाओं को कैसे भुनाया जाता है और अपने मायाजाल में फंसाकर संस्था का ग्राफ उच्चा करने का प्रयास कैसे किया जाता है, इसका ताजा उदाहरण मैट्रिक के परीक्षा में बिहार टॉपर हिमांशु राज है।
  रोहतास जिले के नटवार कला गांव निवासी निम्नमध्यवर्गीय परिवार से आने वाले हिमांशु राज के बिहार में प्रथम स्थान प्राप्त होने की खबर जैसे ही फैली, उसके घर पर राजनीतिक व समाजिक लोगों का शुभकामना देने के लिए तांता लग गया।
  इसी बीच छात्र छात्राओं को प्रतियोगिता परीक्षा के लिए कोचिंग कराने वाले पटना के साथ उत्तर भारत के प्रमुख कोचिंग संस्थान के लोग भी वहां पहुंच गए, तथा हिमांशु को लैपटॉप, मोबाइल भेंट कर कई पोज में फोटो खिंचवाए और कुछ फार्म पर यह कहते हुए हस्ताक्षर करा लिए कि हम नि:शुल्क ऑनलाइन क्लास कराएंगे। तथा पटना पहुंचते हीं कई कोचिंग संस्थान यह प्रचार प्रसार आरंभ कर दिये कि हमारा संस्थान बिहार टॉपर हिमांशु राज का पहला पसंद बना। ऐसा दावा एक कोचिंग संस्थान नहीं, बल्कि गिफ्ट देकर जिसने फोटो खिंचवाया वो सबने किया।
 इस सम्बन्ध में जब आज हिमांशु राज व उसके पिता सुबाष जी से मेरी बात हुई तो उन लोगों ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी कोचिंग संस्थान में नामांकन कराने का निर्णय अभी नहीं लिया गया है। पटना से कई कोचिंग संस्थान के लोग बधाई देने आए थे, तथा उपहार स्वरूप लैपटाप, मोबाइल भेंट करते समय फोटो लेने के बाद वो कहे कि हम नि:शुल्क ऑनलाइन क्लास कराएंगे। आप केवल इस इस फार्म पर हस्ताक्षर कर दें। इन्कार करने पर उन लोगों ने कहा कि एक सप्ताह करके देखिएगा, फिर इच्छा होगी तो पढिएगा, अन्यथा छोड़ दिजिएगा। भावनाओं में आकर हमने हस्ताक्षर कर दिया था।
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