संस्कार विहीन जनसंख्या वृद्धि देश के लिए बड़ा खतरा है
पंडित रावेन्द्र तिवारी
आज हम अपने दायित्वों का निर्वहन करने में निरंतर असफलता की तरफ बड़ी तेजी से बढ़ रहें हैं जिसका खामियाजा हमारा समाज ही नहीं हमारा देश भी भुगत रहा है ।
हर ब्यक्ति की प्रमुख लालसा होती है कि उसकी पारिवारिक बृद्धि हो किन्तु क्या यह लालसा अपने उत्तरदायित्व को निभाने में कृत संकल्पित है बर्तमान हालातों को देखते हुए तो दूर दूर तक नहीं दिखाई देता है ।
परिवार बृद्धि और परवरिश में बहुत बड़ा अंतर उभरकर सामने आ रहा है जो सामाजिक सौहार्द के साथ साथ राष्ट्र के लिए भी घातक सिद्ध हो रहा है माता पिता के द्वारा परिवार की बृद्धि की जा रही है या अपनी भोग विलासिता का प्रदर्शन किया जा रहा है यह सोचने का समय है ।
मेरा आशय किसी माता पिता को अपमानित करने का नहीं है बल्कि बच्चों को बेहतर परवरिश देने का है ।आज जब हम मासूम बालिकाओं की आबरू लुटने की खबरों को देखते अथवा पढ़ते हैं या फिर किसी अन्य अनैतिक गतिविधियों में युवा पीढ़ी को संलग्न देखते हैं तो निश्चित रूप से ऐसे अभिभावकों के प्रति मन में बहुत गुस्सा आता है जो इन्हें जन्म तो दे दिए किन्तु जो इन्हें परवरिश देना चाहिए संस्कार देना चाहिए जिससे समाज और देश का गौरव बढ़े वही देना उचित नहीं समझें ।
बर्तमान समय में सड़कों पर दौड़ती सरपट बाइक हो या फिर हेयर स्टाइल हो घरों में बच्चों के रहने का तौर तरीका हो हर मोर्चे पर युवाओं में संस्कार की कमी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है तो वही आज के आधुनिक युग में मोबाइल फोन पर जो गुण उपलब्ध है उसे तो युवा पीढ़ी आत्मसात करने से रही पर जो अवगुण उपलब्ध है उसे धारण करने मे कोई संकोच नहीं कर रहे जिसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि समाज ही नहीं बल्कि देश को भी जनसंख्या वृद्धि पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है और यह तभी संभव है जब एक देश एक विधान सबको अवसर एक समान का संविधान लागू हो जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू हो वरना आने वाले दिनों में संस्कार विहीन जनसंख्या वृद्धि देश के लिए बड़ा खतरा साबित होगी।
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