जिलाधिकारी के आदेशों को नहीं मानते बख्तियारपुर के अंचला अधिकारी ।
बख्तियारपुर अंचल कार्यालय के बारे में किसी को बताने की जरूरत नहीं है की बख्तियारपुर अंचल कार्यालय में काम कैसे करवाया जाता है जो व्यक्ति नजराना देता है उसका काम लॉक डाउन में भी होता है। लेकिन जिसके पास नजर आना का पैसा नहीं होता है उसके लिए तो सरकारी बाबू और पदाधिकारी दोनों के पास बहाना की कमी नहीं होते हैं यह तो हुए आम आदमी के लिए।
अब मैं अंचला अधिकारी बख्तियारपुर के बारे में जिला अधिकारी पटना के आदेश के बारे में पूरे साक्ष्य के साथ पत्रांक संख्या 309 तारीख 15-03-2018 को एक पत्र निर्गत हुआ था। जिसमें अंचलाधिकारी अशोक कुमार सिंह सहायक प्रभारी लिपिक गोपाल शरण मेहता एवं नाजिर उत्तम पांडे तीनों का वेतन बंद कर दिया गया था।
फिर कुछ माह बाद पत्रांक संख्या 1601 दिनांक 12-12-2018 को एक जिलाधिकारी के यहां से एक पत्र निर्गत हुआ था वेतन निकासी के संबंध में जिसके उपरांत अंचलाअधिकारी अशोक कुमार सिंह प्रभारी लिपिक गोपाल शरण मेहता यह दोनों अपना वेतन इस पत्र के माध्यम के आदेश वेतन निकासी कर लिया |
जबकि नाजिर उत्तम पांडे के वेतन निकासी नहीं किया गया मुझे इसकी पुष्टि के लिए मैं अनुमंडल पदाधिकारी बाढ़ अंचलाधिकारी बख्तियारपुर दूरभाष पर बात किया तो उन्होंने जांच की बात बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया।
यह कोई नई बात नहीं है जबकि कई बार पत्र के माध्यम से बख्तियारपुर अंचलाधिकारी अशोक कुमार सिंह एवं अनुमंडल पदाधिकारी बाढ़ को वेतन निकासी के बारे में उत्तम पांडे द्वारा मांग कर चुके हैं, फिर भी कुछ नहीं हुआ नाजिर उत्तम पांडे को भूखों मरने की स्थिति उत्पन्न हो गया है
क्योंकि जब नाजिर उत्तम पांडे से बात किया तो बोले कि मेरा जीवन यापन का मात्र एक नौकरी ही सहारा है जो विगत कई महीनों से वेतन बंद होने से भूखों मरने की नौबत हो गया है वाह रे सरकार और सरकारी व्यवस्था यह कौन सी और कैसा व्यवस्था है?
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