मई दिवस है
आया!
(मजदूर दिवस - 1 मई, 2020 पर)
- योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे. पी. मिश्र)
मई दिवस है
आया! मजदूर दिवस है आया!
बड़े ताम-झाम
से, लाल सलाम से,
मजदूर एकता की
पुकार लगाया;
मजदूर दिवस है
आया! मई दिवस है आया!
मंच पर बैठते
जो नेता, कोरोना भय ने जिन्हें समेटा;
मजदूर दिवस के
कर्त्ता-धर्ता, किसने नारा लगाया!
मजदूर दिवस है
आया! मई दिवस है आया!
सुनने में आई
आवाज, नई क्रांति का आगाज;
आज जानें कहाँ
छिपे हैं, कौन हांक पर आया?
मजदूर दिवस है
आया! मई दिवस है आया!
इस राह पर
चलनेवालो, ऐ मजदूरो! ऐ मतवालो!
भूखे पेट
सोनेवालो, क्या तेरी आस है जगाया?
मजदूर दिवस है
आया! मई दिवस है आया!
एक सपना जो
संजोया तुमने, पाने जो खोया
तुमने,
घर आने का
प्रयास तेरा, धरती पर उतर
क्या आया!
मजदूर दिवस है
आया! मई दिवस है आया!
महिला मज़दूरी
की बात चली, मजबूरी की बात
चली?
समता की बात
सभी करते, पर, किसने हाथ बढ़ाया!
मजदूर दिवस है
आया! मई दिवस है आया!
मजदूर की
कहानी चली, लोटा-छिपी की
निशानी चली;
किसने पेट
तेरा सहलाया, निवाला का हाथ
बढ़ाया!
मजदूर दिवस है
आया! मई दिवस है आया!
परिजन से दूर
पड़े हैं, तन ढकने को कपड़े नहीं हैं;
क्या किसीने
साथ दिया, बांह पकड़कर संग चलाया!
मजदूर दिवस है
आया! मई दिवस है आया!
चिलचिलाती धूप
में, रोज-रोज धधकते रूप में;
क्या किसी ने
अंग लगाया, क्या दिया
किसी ने छाया!
मजदूर दिवस है
आया! मई दिवस है आया!
उठो मजदूरो
तुम चेतो, मजबूरी में खुद न लेटो;
हक हित लड़ने
तुम्हें, विश्व-दिवस ने है बुलाया!
मजदूर दिवस है
आया! मई दिवस है आया!
योगेन्द्र
प्रसाद मिश्र (जे. पी. मिश्र), अर्थमंत्री-सह-कार्यक्रम-संयोजक, बिहार
हिन्दी साहित्य सम्मेलन, कदमकुआं, पटना-800003. निवास : मीनालय, केसरीनगर, पटना 800 024.