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ऑनलाइन की आवश्यकता


ऑनलाइन की आवश्यकता
    -  योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे. पी. मिश्र)
आज ऑन लाईन का जमाना है। कोरोना महामारी से बचने के उद्देश्य से बाहर जाना-आना बहुत हद तक प्रतिबंधित है, लाचार होकर घर बैठे ही काम कर लेने का जुगत भिड़ानी पड़ती है। छोटे-मोटे उदाहरण में- बिजली बिल जमा करना, मोबाइल री-चार्ज करना आदि पड़ता है, लेकिन बड़ा काम तब आ पड़ता है, जब किसी नौकरी के लिए आवेदन फार्म भरना हो, या इन्कम-टैक्स का रिटर्न भरना हो, या किसी परीक्षा के लिए फार्म ही भरना पड़ता हो, जहाँ फीस भी जमा करनी पड़ती है और दूसरी तरफ से स्वीकृति मिल जाने की भी बात से भी सुनिश्चित हो जाना पड़ता है। 'हरि अनंत हरि कथा अनंता...'! आज कोरोना महामारी के चलते बाहर स्कूल-काॅलेज जाना-आना प्रतिबंधित है। विद्यार्थी जो स्कूल-कालेज बंद हो जाने से अपने घर में या बाहर ही रुके पड़े हैं, उनका भी दैनन्दिन क्लास चलाने के लिए ऑन लाईन क्लास की भी व्यवस्था की गई है, जैसे वे अपनी पढ़ाई से अलग-थलग न पड़ जायें, और कोर्स पूरा करते रहें।
आँनलाइन क्लास
कोरोना महामारी ने भले अधिकांश लोगों को घर में बैठा दिया, जो घर से भागे-भागे फिरते थे, उन्हें घर में ही बिठा दिया! स्कूल-कालेज के लड़के- लड़कियां जो अपने घर को कोई मोल न देकर  बाहर को अनमोल समझ बैठे थे, उन्हें भी घर का मोल समझा दिया, क्योंकि घड़ी की सूई के चौबीस घंटे की दोस्ती उन्हें अब घर में ही मिल गई. जो लोग काम की मारा-मारी के चलते भाग- दौड़ में लगे रहते थे, उनको घर का ऐसा आराम मिला कि जीवनभर याद रखने की बात हो गई! अब तो, काम पर रोज जाने की भी अनिवार्यता नहीं रही! शासनादेशानुसार उनहें एक निश्चित अवधि पर ही काम पर जिना है! सामाजिक- दूरी बनाये रखने के निमित्त! शायद ही किसी पहलेवाले को ऐसा अवसर मिला हो या आनेवाले को ही ऐसा अवसर मिले! पुराने जमाने के मां-बाप / अभिभावक को क्या पता कि आज के स्कूल/काॅलेज में किस तरह से पढ़ाई होती है, उन्हें भी वह सब देखने का अवसर घर बैठे ही मिल गया! भला हो कोरोना का कि गुब्बारे की तरह उसका डर फूट तो पड़ा,  प्रत्यक्ष में भले जान लेवा भय दिखाया, पर, परोक्ष में उसने कितना भला कर दिया कि क्लास को घर में ही लगा दिया! बड़ा सब चीज में आॅनलाइन- आॅनलाइन सुनते थे, उस दूर के लाईन को घर में ही दिखा दिया - स्कूल-कालेज से घर आकर फिर वहाँ जा नहीं पा रहे शिक्षार्थियों को आॅनलाइन क्लास करना सिखा ही नहीं दिया, उस पर क्लास की तरह बैठा भी दिया! कोई पटना में बैठा हो या मुंबई में, कश्मीर में हो या चेन्नई में, कोलकाता में हो या अहमदाबाद में, सबको ही, डैस-बोर्ड पर  ही दिखा दिया! पढ़ाई का न हर्ज हो, न घर से दूर रहने को मजबूर, यहाँ तक कि आॅफिस का  काम घर बैठे ही हो गया मंजूर! देखो, बिना भिड़े ही काम का अंजाम दे दिया; कोरोना तुमने जान तो लिया ही, घर बैठे काम का वरदान भी दे दिया!
उदाहरण के लिए 'लॉकडाउन के दौरान एक पब्लिक स्कूल की ऑनलाइन कक्षाएं बच्चों को खूब भा रही हैं। विद्यालय की दैनिक संचालन व्यवस्था को ऑनलाइन कर दिया गया है । लगभग 900 बच्चों को प्रतिदिन विषयवार ऑनलाइन वीडियोज और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है । योग, स्पोर्ट्स, म्यूजिक, डांस के टिप्स भी दिए जा रहे हैं। विशेष प्रार्थना सभाओं के जरिए कोरोना वायरस से बचाव के तरीके भी बताये जा रहे हैं.'
किसी भी ऑफिस में अभी बैठे-ही बैठे ऑनलाइन मिटिंग कर ली जाती है. प्रधान मंत्री को हम देश भर के राज्य प्रमुखों से बात करते देखते हैं और विदेशोें से भी. युग ऐसा आ रहा है, जब ऑनलाइन ही अधिकतर कार्य होगा और कागज पर ही काम (पेपर वर्क) करने की निर्भरता भी कम हो जायेगी. बैंकों में भी तो सारा काम ऑनलाइन ही हो रहा है, तब जोखिम से बचने के लिए दो अधिकारी के करने से ही कोई काम पूर्ण होता है. प्रति क्षण का कार्य सर्वर या सुपर कम्प्यूटर द्वारा बैंकों के हेडऑफिस में भी दर्ज होता है और एटीएम से भुगतान की वाध्यता के चलते तो यह अन्य बैंकों में भी दर्ज होता है.
तो पहले देख लें कि ऑनलाइन कहते किसे हैं और यह काम कैसे करता है?
"Online होने का मतलब होता है कि जब एक मशीन (machine) चालू स्थिति में हो और साथ ही किसी दूसरे प्रयोजक (device/devices) के साथ जुडा़ हुआ हो। उदाहरण के लिए, जब एक network printer online होता है, तब computers जो कि connected (जुड़े हुए ) होते हैं उस network के साथ वो भी print करवा सकते हैं. वहीँ दूसरे devices, जैसे की scanners, video cameras, audio interfaces, और दूसरी चीज़ों को online होना तब कहा जा सकता है जब वो चल (run कर) रहे हों और वहीँ साथ में जुड़े (connected) भी हों एक computer system के साथ.
वहीं लेकिन, ये शब्द ऑनलाइन (online) का असल अर्थ होता है कि इन्टरनेट (Internet) के साथ जुड़ा हुआ होना. यह जुड़ाव (connection) किसी भी माध्यम से हो सकता है फिर चाहे वो एक फोन लाईन (phone line) हो, या एक dial-up या DSL modem हो, एक cable line via एक cable modem के, या फिर एक wireless connection ही क्यूँ न हो.
एक computer online तब भी हो सकता है जब वो एक computer network के साथ एक connection के जरिये जुड़ा हुआ हो. Technically बात करें, तब computers जो कि एक network से जुड़े हुए होते हैं वो online होते हैं फिर चाहे वो Internet के साथ connected हो या नहीं. लेकिन ज्यादातर networks routed होते हैं एक T1 line या दूसरे Internet connection के साथ. जब computer या दूसरे device online नहीं होते हैं, तब  उन्हें  offline  कहा जाता है."
ऑनलाइन के काम के बारे में आम जनता को भी जानना चाहिए, ताकि पूरे विश्वास के साथ वे इस पद्धति से अपना काम कर या करवा सकें! घर भर के सभी लोगों को आॅनलाइन कार्य से अवगत होना चाहिए;
ई- पोर्टल का काम भी तो ऑनलाइन ही होता है, अत: उनको भी इस संबंध में उचित जानकारी के लिए औरों को यथायोग्य प्रोत्साहित करना चाहिए! 
आज मई दिवस है- मजदूरों का दिवस! उन्हें भी खुश होना चाहिए कि उनके साथ एक यांत्रिक मजदूर - ऑनलाइन-कम्प्यूटर भी अब जुड़ गया है!
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- योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे. पी. मिश्र), अर्थमंत्री-सह-कार्यक्रम संयोजक, बिहार-हिन्दी-साहित्य-सम्मेलन, पटना-800003. निवास- मीनालय, केसरीनगर, पटना 800024.