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सार्थक कदम उठाओ

मज़दूर दिवस पर नवगीत

सार्थक कदम उठाओ

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हमको ज्यादा झूँठी-सच्ची
और नहीं समझाओ
मन से मानव धर्म निभाओ,
कुछ अच्छा कर जाओ

खूंन-पसीना करके हमने
बिल्डिंग बहुत बनाई
किन्तु भाग्य में अब तक अपने
झोपड़िया ना आई
तिल का ताड़ बनाते हरदम
हमको मत सिखलाओ

गाँव छोड़ मायूस बहुत हैं
शहर गये सपने
भूखे-प्यासे मारे-मारे
घूम रहे कितने
इसकी भी चैनल में चर्चा
कभी-कभी करवाओ

भेद-भाव के पर्वत ऊँचे
दूने रोज़ बढ़े हैं
सामन्ती शोषण के प्रकरण
कितने नये गढ़े हैं
बना आँकड़े अपने मन के
झूंठे मत दर्शाओ

चैनल-प्रिन्ट मीडिया घूमैं
विग्यापन बड़बोले
बोले हो जब भी जनता का
जियरा धक-धक डोले
हर फन में माहिर हो राजा
समाधान कुछ लाओ

सतरंगी सपने दिखलाये
पग-पग पर खिलवाड़
किये अनैतिक कार्य अनेकों
राष्ट्र भक्ति की आड़
जय जयकार करें यदि ढंग के
सार्थक कदम उठाओ

हमको ज्यादा झूँठी-सच्ची
और नहीं समझाओ
मन से मानव धर्म निभाओ,
कुछ अच्छा कर जाओ
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01मई 2020
~जयराम जय
'पर्णिका'बी -11/1,कृष्ण विहार,
कल्याणपुर,कानपुर-208017(उ.प्र.)