पुण्यश्लोक प०हिमांशु मिश्र जी को समर्पित
विनय मिश्र की कलम से
चमुच आज कलम शिव पिनाक धनुष के तरह भारी हो गया था । उठाए नही उठ रहा था -- हृदय से बहुत अनुनय विनय - करने पर वागेश्वरी कृपा हुई । और हम अपने बैकुण्ठ वासी पिता तुल्य चाचा जी के पुण्यतिथि पर टूटे फूटे शब्दों मे अपनी मामूलीबुद्धि से असिम हृदय पीड़ा को व्यक्त कर पा रहा हूँ । --- एक महान राजनीतिज्ञ , समाजसेवी , आर्युवेद ज्ञाता , माँ अबिका भवानी आमी के यज्ञ आयोजक , धर्म ज्ञानी-- कई किताबों के रचनाकार वंशमहाप्राण - प० हिमांशु मिश्र का एकाएक चले जाना ! परिवार समाज इष्ट मित्र सभी को झकझोर गया । ---- आप इच्छा समोनाशती ....
दैव इच्छा प्रवल होता है बेटा -- उन्हीं के शब्दों मे है । शिक्षा संस्कार देते हमसे कहते रहते थे ।और बात वही सत्य हुई भी । एक बुलंद स्तंभ की बहुत कहानियां होती है । और इनकी भी एक पर एक दृष्टांत जो शिक्षा और.सकारात्मकता से भरी पड़ी है । फेसबुक पर सदा धर्मविद के तरह आते और ज्ञान को सरल कर लोगों तक पहुंचाते रहते थे । फेसबुक मित्रों से - ले कर समाज के हर वर्ग मे इनके अजिज है । आज इन्हें याद कर आंखे नम हुई जा रही है । आज पहली पुण्यतिथि पर कलम को हाथ और हृदय का भरपूर साथ न मिलने से ..
लेखनी थरथरा रही है ।
बैकुंठ वासी मेरे पितृ पूर्वज हमे क्षमा करे । साथ ही पढ़ने वाले मित्रों से भी आग्रह है त्रुटियों को छोड़ भावना के आंसुओं की निरंतरता को कम करने का आसीस प्रदान करे ।
वर्तमान पता ----
-------------- हनुमान मंदिर ..
शंकर औषधालय गर्दनीबाग ..
पटना ( बिहार )
निरंतर ढूंढती कुछ आंखें आज भी खोजती है सब जानते बुझते हुए । तड़प उठी है पैतृक गांव- (यारी) की मिट्टी--
अपने वंश बेल के अमृत फल को आज अपने बीच न पा कर।-----------------------------------------------------
----------------------------------------------------------------------
--------------**मैं पहुंच चूका हूँ ..
पितरों के घर ..
देह मरी है ..
आत्मा है अमर .. ।
दैव इच्छा प्रवल होता है बेटा -- उन्हीं के शब्दों मे है । शिक्षा संस्कार देते हमसे कहते रहते थे ।और बात वही सत्य हुई भी । एक बुलंद स्तंभ की बहुत कहानियां होती है । और इनकी भी एक पर एक दृष्टांत जो शिक्षा और.सकारात्मकता से भरी पड़ी है । फेसबुक पर सदा धर्मविद के तरह आते और ज्ञान को सरल कर लोगों तक पहुंचाते रहते थे । फेसबुक मित्रों से - ले कर समाज के हर वर्ग मे इनके अजिज है । आज इन्हें याद कर आंखे नम हुई जा रही है । आज पहली पुण्यतिथि पर कलम को हाथ और हृदय का भरपूर साथ न मिलने से ..
लेखनी थरथरा रही है ।
बैकुंठ वासी मेरे पितृ पूर्वज हमे क्षमा करे । साथ ही पढ़ने वाले मित्रों से भी आग्रह है त्रुटियों को छोड़ भावना के आंसुओं की निरंतरता को कम करने का आसीस प्रदान करे ।
वर्तमान पता ----
-------------- हनुमान मंदिर ..
शंकर औषधालय गर्दनीबाग ..
पटना ( बिहार )
निरंतर ढूंढती कुछ आंखें आज भी खोजती है सब जानते बुझते हुए । तड़प उठी है पैतृक गांव- (यारी) की मिट्टी--
अपने वंश बेल के अमृत फल को आज अपने बीच न पा कर।-----------------------------------------------------
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--------------**मैं पहुंच चूका हूँ ..
पितरों के घर ..
देह मरी है ..
आत्मा है अमर .. ।
माँ महामाया ..
तुम्हें ज्ञान दे ..
मैं तुममें समाहित हूँ पुत्र ..
खुद को समझ और मुझे पहचान ले .. ।
तुम्हें ज्ञान दे ..
मैं तुममें समाहित हूँ पुत्र ..
खुद को समझ और मुझे पहचान ले .. ।
काया मरती ही रही है ..
भवानी नव तन देती ही रही है ..
कृति ही आयुवान है - पुत्र ..
वंश परम्परा मे पलती रही है .. !
भवानी नव तन देती ही रही है ..
कृति ही आयुवान है - पुत्र ..
वंश परम्परा मे पलती रही है .. !
स्मरण के चरण को ..
आंसुओं से मत धोना ..
मृत्यु परिवर्तन का एक क्रम है ..
तुम धौर्य को मत खोना .. ।
आंसुओं से मत धोना ..
मृत्यु परिवर्तन का एक क्रम है ..
तुम धौर्य को मत खोना .. ।
दृष्टिगत परिवारों के ..
तुम स्वयं अब दृष्टि हो ..
मैं उपर उठ चूका हूँ पुत्र ..
अब तुम्ही हमारी श्रृष्टि हो ..।
तुम स्वयं अब दृष्टि हो ..
मैं उपर उठ चूका हूँ पुत्र ..
अब तुम्ही हमारी श्रृष्टि हो ..।
छोड़ो - मोह तड़प विछोह ..
मृत्यु माया के लहर ..
शरीरों की गति तय है ..
आत्मा है अमर याद रख मेरे टुकड़े जीगर ..।
मृत्यु माया के लहर ..
शरीरों की गति तय है ..
आत्मा है अमर याद रख मेरे टुकड़े जीगर ..।
स